बीकानेर. श्रावण शुक्ल पंचमी को नागपंचमी का पर्व मनाया जाता है. यह नागदेवता की पूजा का पर्व है. मनुष्यों और नाग देवता का संबंध पौराणिक कथाओं से मिलता रहा है. दरअसल नाग देवता के प्रति मनुष्यों की ओर से कृतज्ञता व्यक्त करने का दिन ही नागपंचमी है. सावन माह के सोमवार को नाग पंचमी का होना एक संयोग है. इसका महत्व कालसर्प योग वाले व्यक्तियों के लिए खास है.
मानव जाति की सहायता करते नाग : ज्योतिर्विद पंडित विष्णु व्यास कहते हैं कि शेषनाग के फन पर पृथ्वी टिकी है, भगवान विष्णु क्षीरसागर में शेषशैय्या पर सोते हैं. शिवजी के गले में सर्पों के हार हैं. कृष्ण जन्म पर नाग की सहायता से ही वासुदेवजी ने यमुना पार की थी. जनमेजय ने पिता परीक्षित की मृत्यु का बदला लेने हेतु सर्पों का नाश करने वाला जो सर्पयज्ञ आरम्भ किया था. वह आस्तिक मुनि के कहने पर इसी पंचमी के दिन बंद किया गया था. इतना ही नहीं समुद्र-मंथन के समय देवताओं की भी मदद भी वासुकि नाग ने की थी.
श्रावण मास में ही क्यों नागपंचमी : ज्योतिर्विद पंडित विष्णु व्यास कहते हैं कि वर्षा ऋतु में वर्षा का जल धीरे-धीरे धरती में समाकर सांप के बिलों में भर जाता है. अतः श्रावण मास के काल में सांप सुरक्षित स्थान की खोज में बाहर निकलते हैं. सम्भवतः पुरातन समय में उनकी रक्षा करने हेतु एवं सर्पभय व सर्पविष से मुक्ति के लिए हमारी भारतीय संस्कृति में इस दिन नागपूजन, उपवास आदि की परंपरा रही है.
सर्प हैं खेतों के क्षेत्रपाल : ज्योतिर्विद पंडित विष्णु व्यास कहते हैं कि भारत देश कृषि प्रधान देश है. सांप खेती का रक्षण करते हैं, इसलिए उसे ʹक्षेत्रपालʹ कहते हैं. जीव-जंतु, चूहे आदि जो फसल का नुकसान करने वाले तत्त्व हैं, उनका भोजन करके सांप हमारे खेतों को हरा भरा रखते हैं. इस तरह सांप मानव जाति की पोषण व्यवस्था का रक्षण करते हैं. ऐसे रक्षक की हम नागपंचमी के दिन पूजा करते हैं.
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ऐसे मनाएं नागपंचमी : ज्योतिर्विद पंडित विष्णु व्यास कहते हैं कि इस दिन कुछ लोग उपवास करते हैं. नागपूजन के लिए दरवाजे के दोनों ओर गोबर या गेरुआ या लेपन (पीसे हुए चावल व हल्दी का गीला लेप) से नाग बनाया जाता है. कहीं-कहीं मूंज की रस्सी में सात गांठ लगाकर सर्पाकार देते हैं. पटरे या जमीन को गोबर से लीपकर, उस पर सांप का चित्र बना के पूजा की जाती है. गंध, पुष्प, कच्चा दूध, खीर, भीगे चने, लावा से पूजा होती है. जहाँ सांप का बिल दिखता वहां कच्चा दूध और लावा चढ़ाया जाता है. इस दिन सर्पदर्शन बहुत शुभ माना जाता है.
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इन 12 प्रसिद्ध सर्प के नाम का करें स्मरण : ज्योतिर्विद पंडित विष्णु व्यास कहते हैं कि धृतराष्ट्र, कर्कोटक, अश्वतर, शंखपाल, पद्म, कम्बल, अनंत, शेष, वासुकि, पिंगल, तक्षक, कालिया और इनसे अपने परिवार की रक्षा हेतु प्रार्थना की जाती है. इस दिन सूर्यास्त के बाद जमीन खोदना निषिद्ध है.
ॐ अनंताय नमः
ॐ वासुकाय नमः
ॐ शंख पालाय नमः
ॐ तक्षकाय नमः
ॐ कर्कोटकाय नमः
ॐ धनंजयाय नमः
ॐ ऐरावताय नमः
ॐ मणि भद्राय नमः
ॐ धृतराष्ट्राय नमः
ॐ कालियाये नमः
कालसर्प योग का उपाय : ज्योतिर्विद पंडित विष्णु व्यास कहते हैं कि नाग पंचमी के दिन जिन को काल सर्प योग है, वे शांति के लिए ये उपाय करें. पंचमी के दिन पीपल के नीचे, एक कटोरी में कच्चा दूध रख दीजिये, घी का दीप जलाएं, कच्चा आटा, घी और गुड़ मिला कर एक छोटा लड्डू बना के रख दें और ये मंत्र बोल कर प्रार्थना करें. नाग पंचमी के दिन भगवान शिव के मंदिर में जाकर कालसर्प योग से पीड़ित व्यक्ति को भगवान शिव और नाग की पूजा करनी चाहिए. यदि संभव हो तो तांबे का नाग का जोड़ा भगवान शिव को अर्पित करना चाहिए. इससे कालसर्प योग की बाधा से मुक्ति मिलती है.