बीकानेर. दुनिया में पाए जाने वाले सभी सांप जहरीले नहीं होते हैं. हमारे देश में भी करीब साढ़े 300 से ज्यादा सांप की प्रजातियां हैं जिनमें 60 से ज्यादा जहरीले सांप हैं. लेकिन समस्या इन सांपों के काटने से ज्यादा इनकी Anti Venom को लेकर है. इसको लेकर अब शोध की दिशा में वैज्ञानिक बहुत आगे जा चुके हैं. आने वाले दिनों में सब तरह से सांप के काटने के बाद एक ही एंट्री वेनम काम कर सकेगी.
डूंगर कॉलेज के प्रताप सभागार में प्राणिशास्त्र विभाग द्वारा आयोजित एकदिवसीय राष्ट्रीय कार्यशाला में भारतीय विज्ञान संस्थान बैंगलोर के डॉ कार्तिक सुनागर और अजिंक्य उनावाने सहित देश के बड़े सर्प वैज्ञानिकों ने सर्पों की पहचान एवं उनके प्रबन्धन की प्रत्यक्ष सैद्धांतिक व प्रायोगिक जानकारी दी. कार्यशाला में खासतौर से सीमा सुरक्षा बल के जवानों के साथ ही वन विभाग के कर्मचारी और गार्ड भी मौजूद रहे. इस दौरान विशेषज्ञ वक्ताओं ने इन लोगों को सांपों की प्रजातियों को पहचानने के साथ ही उन को सुरक्षित पकड़ने के लिए भी टिप्स दिए.
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जहर से ही बनती दवाई: डॉ कार्तिक सुनागर ने कहा कि देश में हर साल करीब 60000 लोगों की मौत सांप के काटने से होती है. करीब 3 गुना लोग सांप के काटने के बाद शारीरिक रूप से विकलांग हो जाते हैं. उन्होंने कहा कि सांप के काटने से होने वाली मौतों की बात सही है, लेकिन सांप के जहर से ही जो दवाई बनती है. वह सांप के काटे व्यक्ति के लिए काम आती है. वर्तमान में अलग-अलग क्षेत्रों में पाई जाने वाली प्रजातियों के सांप से बनने वाली एंटी वेनम केवल वहीं तक सीमित हैं. लेकिन अब हम इस तरह के शोध में सफल हुए हैं कि कहीं दूसरी जगह के प्रजाति के काटे हुए सांप के लिए बनाई गई एंटी वेनम काम आ सके. इसके लिए शोध का काम लगभग पूरा हो गया है. आने वाले दिनों में सब कुछ सही रहा, तो इस तरह के एंटी वेनम भी बाजार में आ जाएगी.
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पहचान को लेकर दिखाया डेमो: इस दौरान विशेषज्ञ वक्ताओं ने कोबरा, वाइपर, क्रेत व अन्य विषैले सर्पों की प्रजातियों की पहचान के साथ ही उनके व्यवहार, आवास, प्रजनन, भोजन, उनके विष की तीव्रता लेकर जानकारी शेयर की. इस दौरान विषैले सांपों को सुरक्षित रूप से पकड़ने का लाइव डेमो भी दिखाया. वक्ताओं ने कहा कि सर्प हमारे शत्रु नहीं हैं, बल्कि हमारी पारिस्थितिकी के महत्वपूर्ण घटक हैं. वन्यजीव अधिनियमों के अनुसार अन्य प्राणियों की तरह सांपों को भी बचाना हम सबका कर्तव्य है. कुछ सावधानी रखने पर हम सर्पदंश की घटनाओं से बच सकते हैं. सर्पदंश की स्थिति में हमें तान्त्रिक, झाड़फूंक आदि के चक्कर में नहीं पड़ना चाहिए.