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Mahashivratri 2023: महाशिवरात्रि के दिन शिव की पूजा के साथ बन रहे विशेष योग, मिलेगा ये फल

हिंदू पंचांग के अनुसार महाशिवरात्रि का त्योहार शनिवार 18 फरवरी को है. महाशिवरात्रि की पूजा निशिता काल में की जाती है, इसलिए यह त्योहार 18 फरवरी को ही मनाया जाएगा.

Mahashivratri 2023
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Published : Feb 15, 2023, 11:10 AM IST

बीकानेर. भगवान शिव संपूर्ण सृष्टि के प्रचलन के लिए हैं. उनसे ब्रह्मा, विष्णु की उत्पत्ति होती है. भगवान शिव के अनुसार ही त्रिदेव सृष्टि का निर्माण, पालन और संहार करते हैं. भोलेनाथ ने ही सप्ताह के सात दिनों का निर्माण किया है और प्रत्येक दिवस का एक अधिपति भी नियुक्त किया है. भगवान शंकर सृष्टि सृजन और इसके संरक्षक हैं. महादेव अनंत हैं अर्थात जिसका न तो कोई प्रारंभ है न ही कोई मध्य और न ही कोई अंत. सृष्टि के संहारकर्ता के साथ-साथ वे इसके सृजनकर्ता भी हैं. सृष्टि को नवजीवन देने के लिए वे स्वंय विष धारण कर लेते हैं और दूसरों को अमृत बांट देते हैं.

महाशिवरात्रि पर विशेष संयोग- सनातन धर्म में प्रत्येक महीने की कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी को शिवभक्त शिवरात्रि का व्रत करते हैं. फाल्गुन मास की कृष्ण पक्ष चतुर्दशी की शिवरात्रि को महाशिवरात्रि नाम से जाना जाता है. इस बार शिवरात्रि के दिन प्रदोष व्रत का भी संयोग बन रहा है. भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए प्रदोष एवं शिवरात्रि का व्रत अति उत्तम बताया गया है. प्रदोष व्रत के प्रभाव से प्रत्येक गृहस्थ को मनोवांछित फल की प्राप्ति होती है. इस बार महाशिवरात्रि कई विशेष संयोग और उत्तम फल देने वाली है.

पढ़ें- Special: छोटी काशी के ऐसे शिवालय जहां भक्त महाशिवरात्रि पर ही कर सकते हैं दर्शन

पढ़ें- Shani Pradosh Vrat 2023: शनि प्रदोष व्रत में कैसे करें शिव पूजा, भोलेनाथ की पूजा का शुभ मुहूर्त जानिए

संतान प्राप्ति का मिलेगा फल- इस बार कृष्ण पक्ष की प्रदोष शनिवार के दिन यानि शनि प्रदोष है. पञ्चांगकर्ता पंडित राजेन्द्र किराडू कहते हैं कि धर्म शास्त्रों के मुताबिक यदि किसी को संतान प्राप्ति नहीं हो रही हो या संतान जन्म के बाद जीवित न रहे तो भगवान शिव की पूजा करनी चाहिए. वे कहते हैं कि शनि प्रदोष का व्रत प्रारंभ करने और भगवान शिव की कृपा से संतान की प्राप्ति होती है. इस बार कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी के दिन शनि प्रदोष व्रत है और उसी दिन महाशिवरात्रि व्रत होगा.

बीकानेर. भगवान शिव संपूर्ण सृष्टि के प्रचलन के लिए हैं. उनसे ब्रह्मा, विष्णु की उत्पत्ति होती है. भगवान शिव के अनुसार ही त्रिदेव सृष्टि का निर्माण, पालन और संहार करते हैं. भोलेनाथ ने ही सप्ताह के सात दिनों का निर्माण किया है और प्रत्येक दिवस का एक अधिपति भी नियुक्त किया है. भगवान शंकर सृष्टि सृजन और इसके संरक्षक हैं. महादेव अनंत हैं अर्थात जिसका न तो कोई प्रारंभ है न ही कोई मध्य और न ही कोई अंत. सृष्टि के संहारकर्ता के साथ-साथ वे इसके सृजनकर्ता भी हैं. सृष्टि को नवजीवन देने के लिए वे स्वंय विष धारण कर लेते हैं और दूसरों को अमृत बांट देते हैं.

महाशिवरात्रि पर विशेष संयोग- सनातन धर्म में प्रत्येक महीने की कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी को शिवभक्त शिवरात्रि का व्रत करते हैं. फाल्गुन मास की कृष्ण पक्ष चतुर्दशी की शिवरात्रि को महाशिवरात्रि नाम से जाना जाता है. इस बार शिवरात्रि के दिन प्रदोष व्रत का भी संयोग बन रहा है. भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए प्रदोष एवं शिवरात्रि का व्रत अति उत्तम बताया गया है. प्रदोष व्रत के प्रभाव से प्रत्येक गृहस्थ को मनोवांछित फल की प्राप्ति होती है. इस बार महाशिवरात्रि कई विशेष संयोग और उत्तम फल देने वाली है.

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संतान प्राप्ति का मिलेगा फल- इस बार कृष्ण पक्ष की प्रदोष शनिवार के दिन यानि शनि प्रदोष है. पञ्चांगकर्ता पंडित राजेन्द्र किराडू कहते हैं कि धर्म शास्त्रों के मुताबिक यदि किसी को संतान प्राप्ति नहीं हो रही हो या संतान जन्म के बाद जीवित न रहे तो भगवान शिव की पूजा करनी चाहिए. वे कहते हैं कि शनि प्रदोष का व्रत प्रारंभ करने और भगवान शिव की कृपा से संतान की प्राप्ति होती है. इस बार कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी के दिन शनि प्रदोष व्रत है और उसी दिन महाशिवरात्रि व्रत होगा.

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