बीकानेर. नवरात्र में आध्यात्मिक और मानसिक शक्ति प्राप्त करने के लिए अनेक प्रकार के उपवास, संयम, नियम, भजन, पूजन योग साधना आदि करते हैं. सभी नवरात्र में माता के सभी 51 शक्ति पीठ पर भक्त विशेष रुप से माता के दर्शन के लिए पहुंचते हैं. माघ एवं आषाढ मास की नवरात्र को गुप्त नवरात्र कहते हैं, क्योंकि इसमें गुप्त रूप से शिव व शक्ति की उपासना की जाती है. गुप्त नवरात्र में साधक गुप्त साधनाएं करने गुप्त स्थान पर जाते हैं.
प्रत्यक्ष फल देते हैं गुप्त नवरात्र : गुप्त नवरात्र में दस महाविद्याओं की साधना से प्रत्यक्ष फल की प्राप्ति होती है. गुप्त नवरात्र में मंत्र साधना, शक्ति साधना से सभी मनोकामनाएं पूरी होती है. गुप्त नवरात्र के बारे में यह कहा जाता है कि इस कालखंड में की गई साधना निश्चित ही फलवती होती है. इस समय की जाने वाली साधना की गुप्त बनाए रखना बहुत आवश्यक है. अपना मंत्र और देवी का स्वरुप गुप्त बनाए रखें. गुप्त नवरात्र में शक्ति साधना का संपादन आसानी से घर में ही किया जा सकता है. इस महाविद्याओं की साधना के लिए यह सबसे अच्छा समय होता है. गुप्त व चमत्कारिक शक्तियां प्राप्त करने का यह श्रेष्ठ अवसर होता है.
देवी दुर्गा शक्ति का साक्षात स्वरूप है दुर्गा शक्ति में दमन का भाव भी जुड़ा है. यह दमन या अंत होता है शत्रु रूपी दुर्गुण, दुर्जनता, दोष, रोग या विकारों का ये सभी जीवन में अड़चनें पैदा कर सुख-चैन छीन लेते हैं. यही कारण है कि देवी दुर्गा के कुछ खास और शक्तिशाली मंत्रों का देवी उपासना के विशेष काल में जाप शत्रु, रोग, दरिद्रता रूपी भय बाधा का नाश करने वाला माना गया है. सभी नवरात्र शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा से लेकर नवमी तक किए जाने वाले पूजन, जाप और उपवास का प्रतीक है. नव शक्ति समायुक्तां नवरात्रं तदुच्यते.
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देवी पुराण के अनुसार एक वर्ष में चार माह नवरात्र के लिए निश्चित है. देवी भागवत के अनुसार जिस तरह वर्ष में चार बार नवरात्र आते हैं. और जिस प्रकार नवरात्रि में देवी के नौ रूपों की पूजा की जाती है. ठीक उसी प्रकार गुप्त नवरात्र में दस महाविद्याओं की साधना की जाती है. जिसमें दो प्रत्यक्ष और दो अप्रत्यक्ष. अप्रत्यक्ष नवरात्र को ही गुप्त नवरात्र कहा जाता है. प्रत्यक्ष तौर पर चैत्र और आश्विन महीने में मनाई जाती हैं और अप्रत्यक्ष यानी गुप्त नवरात्र आषाढ़ और माघ मास में होती हैं
मां कुष्मांडा की पूजा : इस दिन लोग नवरात्र की तरह मां कुष्मांडा की पूजा करते हैं. वही तंत्र और मंत्र सिद्धि के लिए मां भुवनेश्वरी की महाविद्या की पूजा की जाती है. मां कुष्मांडा को सफेद कोहड़ा, फल, सूखे मेवे और सौभाग्य का सामान अर्पित कर मां को हलवे और दही का भोग लगाना चाहिए.