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Chaitra Navratri 2023: हिंदू नव वर्ष की होती है शुरुआत, साल में 4 बार आती है नवरात्रि...जानें कारण - चैत्र मास की शुक्ल प्रतिपदा

Hindu New Year 2023, चैत्र मास की शुक्ल प्रतिपदा से शुरू होता है नवरात्र. इस दिन से ही हिंदू नव वर्ष यानी कि नए विक्रम संवत की शुरुआत होती है. इस बार विक्रम संवत 2080 बुधवार 22 मार्च से प्रारंभ हो रहा है.

Chaitra Navratri 2023
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Published : Mar 20, 2023, 10:21 AM IST

बीकानेर. नवरात्र में नौ दिन शक्ति की प्रतीक देवी के नौ रूपों की पूजा होती है. देवी की आराधना के इस महापर्व में पूजन का भी अपना एक विधान है. दरअसल पूरे वर्ष में देवी की 40 दिन तक की जाने वाली विशेष आराधना को चार नवरात्रों में विभक्त किया गया है. हिंदू कैलेंडर के अनुसार वर्ष में चैत्र और शारदीय नवरात्र के अलावा दो गुप्त नवरात्र भी होते हैं. हालांकि प्रचलन में चैत्र और शारदीय नवरात्र होते हैं. तंत्र सिद्धि के लिए गुप्त नवरात्र का अपना एक महत्व है.

चार नवरात्र और 40 दिन
पंडित राजेंद्र किराडू कहते हैं कि हमारे ऋषि-मुनियों ने नवरात्र को चार भागों में विभक्त किया था. दरअसल देवी की आराधना के लिए साल में 40 दिन का निर्धारण होते वक्त चार नवरात्र हुए. जिसमें से एक चैत्र नवरात्र एक शारदीय नवरात्र के साथ ही दो गुप्त नवरात्र होते हैं. माघ और आषाढ़ माह में गुप्त नवरात्र होते हैं. जबकि चैत्र और आश्विन माह की शारदीय नवरात्र प्रकट नवरात्र होती है.

क्यों हुआ 4 भागों में विभक्त?
देवी भागवत महापुराण में मां दुर्गा की पूजा के लिए इन चार नवरात्र का उल्लेख है. तंत्र और सिद्धि साधना के लिए गुप्त नवरात्र बहुत महत्वपूर्ण मानी जाती हैं. पंडित राजेंद्र किराडू कहते हैं कि लगातार 40 दिन तक पूजा में किसी भी प्रकार का कोई विघ्न आ सकता है इसलिए यह चार भागों में विभक्त किया गया था.

दसवें दिन हवन पूजा
नवरात्रि में 9 दिन तक देवी के अलग-अलग स्वरूप की पूजा होती है और दसवें दिन दशांश हवन पूजन किया जाता है और नवरात्रि का पूजन हवन पूजा के साथ पूर्ण माना जाता है और दशांश हवन यज्ञ में आहुतियां दी जाती है.

पढ़ें-चैत्र नवरात्रि 22 मार्च से: नौका नहीं, सिंह पर ही सवार होती हैं देवी, जानिए क्यों हैं मतभिन्नता

करें ये पाठ
पंडित राजेंद्र किराडू कहते हैं कि वैसे तो हर दिन मां दुर्गा की आराधना का दिन है और हर दिन मां दुर्गा की पूजा करनी चाहिए लेकिन नवरात्र में देवी की पूजा का विशेष महत्व है. इससे जल्दी मनवांछित कार्य की पूर्ति होती है. नवरात्र मंत्र सिद्धि का महापर्व है. वे कहते हैं कि गृहस्थ साधक को चैत्र और शारदीय नवरात्र में ही पूजा आराधना करनी चाहिए. तंत्र विद्या से जुड़े लोग तांत्रिक गुप्त नवरात्रि में देवी की आराधना करते हैं. इस दौरान साधक को नवाहन परायण, देवी भागवत, श्रीसुक्त, देवी अथर्वशीर्ष, दुर्गा सप्तशती का पाठ करना चाहिए. देवी के मंत्रों की सिद्धि के लिए नवरात्र में षोडशोपचार पूजन का महत्व है.

हिंदू वर्ष में चार नवरात्र
विक्रम संवत 2080 हिंदू नव वर्ष में पहला नवरात्र चैत्र प्रतिपदा 22 मार्च से शुरू होगा.आषाढ़ मास में गुप्त नवरात्र 19 जुलाई से शुरू होगा. शारदीय नवरात्र 15 अक्टूबर से शुरू होंगे और माघ मास में 10 फरवरी 2024 को गुप्त नवरात्र शुरू होंगे.

बीकानेर. नवरात्र में नौ दिन शक्ति की प्रतीक देवी के नौ रूपों की पूजा होती है. देवी की आराधना के इस महापर्व में पूजन का भी अपना एक विधान है. दरअसल पूरे वर्ष में देवी की 40 दिन तक की जाने वाली विशेष आराधना को चार नवरात्रों में विभक्त किया गया है. हिंदू कैलेंडर के अनुसार वर्ष में चैत्र और शारदीय नवरात्र के अलावा दो गुप्त नवरात्र भी होते हैं. हालांकि प्रचलन में चैत्र और शारदीय नवरात्र होते हैं. तंत्र सिद्धि के लिए गुप्त नवरात्र का अपना एक महत्व है.

चार नवरात्र और 40 दिन
पंडित राजेंद्र किराडू कहते हैं कि हमारे ऋषि-मुनियों ने नवरात्र को चार भागों में विभक्त किया था. दरअसल देवी की आराधना के लिए साल में 40 दिन का निर्धारण होते वक्त चार नवरात्र हुए. जिसमें से एक चैत्र नवरात्र एक शारदीय नवरात्र के साथ ही दो गुप्त नवरात्र होते हैं. माघ और आषाढ़ माह में गुप्त नवरात्र होते हैं. जबकि चैत्र और आश्विन माह की शारदीय नवरात्र प्रकट नवरात्र होती है.

क्यों हुआ 4 भागों में विभक्त?
देवी भागवत महापुराण में मां दुर्गा की पूजा के लिए इन चार नवरात्र का उल्लेख है. तंत्र और सिद्धि साधना के लिए गुप्त नवरात्र बहुत महत्वपूर्ण मानी जाती हैं. पंडित राजेंद्र किराडू कहते हैं कि लगातार 40 दिन तक पूजा में किसी भी प्रकार का कोई विघ्न आ सकता है इसलिए यह चार भागों में विभक्त किया गया था.

दसवें दिन हवन पूजा
नवरात्रि में 9 दिन तक देवी के अलग-अलग स्वरूप की पूजा होती है और दसवें दिन दशांश हवन पूजन किया जाता है और नवरात्रि का पूजन हवन पूजा के साथ पूर्ण माना जाता है और दशांश हवन यज्ञ में आहुतियां दी जाती है.

पढ़ें-चैत्र नवरात्रि 22 मार्च से: नौका नहीं, सिंह पर ही सवार होती हैं देवी, जानिए क्यों हैं मतभिन्नता

करें ये पाठ
पंडित राजेंद्र किराडू कहते हैं कि वैसे तो हर दिन मां दुर्गा की आराधना का दिन है और हर दिन मां दुर्गा की पूजा करनी चाहिए लेकिन नवरात्र में देवी की पूजा का विशेष महत्व है. इससे जल्दी मनवांछित कार्य की पूर्ति होती है. नवरात्र मंत्र सिद्धि का महापर्व है. वे कहते हैं कि गृहस्थ साधक को चैत्र और शारदीय नवरात्र में ही पूजा आराधना करनी चाहिए. तंत्र विद्या से जुड़े लोग तांत्रिक गुप्त नवरात्रि में देवी की आराधना करते हैं. इस दौरान साधक को नवाहन परायण, देवी भागवत, श्रीसुक्त, देवी अथर्वशीर्ष, दुर्गा सप्तशती का पाठ करना चाहिए. देवी के मंत्रों की सिद्धि के लिए नवरात्र में षोडशोपचार पूजन का महत्व है.

हिंदू वर्ष में चार नवरात्र
विक्रम संवत 2080 हिंदू नव वर्ष में पहला नवरात्र चैत्र प्रतिपदा 22 मार्च से शुरू होगा.आषाढ़ मास में गुप्त नवरात्र 19 जुलाई से शुरू होगा. शारदीय नवरात्र 15 अक्टूबर से शुरू होंगे और माघ मास में 10 फरवरी 2024 को गुप्त नवरात्र शुरू होंगे.

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