बीकानेर. हिंदू धर्म में वैशाख शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि का विशेष महत्व बताया गया है. इस दिन को कृत युगादि तिथि भी कहा जाता है. इसके पीछे का आशय है कि इस दिन त्रेतायुग का प्रारम्भ हुआ था. अक्षय तृतीया के दिन गंगा नदी स्वर्ग से धरती पर आई थी. साथ ही अक्षय तृतीया को अन्न एवं रसोई की देवी मां अन्नपूर्णा अवतार हुआ था. इस दिन की गई विशेष पूजा से जीवन में सबकुछ प्राप्त किया जा सकता है.
अक्षय का अर्थ है कि जिसका कभी क्षय न हो यानि की जो कभी खत्म नहीं हो और अनश्वर हो या फिर सदा बना रहने वाला. इसलिए अक्षय तृतीया का कई मायनों में महत्व बताया गया है. शास्त्रों के अनुसार इस दिन किए गए शुभ एवं धार्मिक कार्यों के अक्षय फल मिलते हैं. अक्षय तृतीया को श्री हरिविष्णु के अवतार भगवान परशुराम का जन्म हुआ था. अक्षय तृतीया को ऋषि वेद व्यास ने महाभारत ग्रंथ की लिखना शुरू की थी. महाभारत ग्रंथ अनुसार भगवान श्रीकृष्ण ने पांडवों को एक अक्षय पात्र दिया था, जो कभी खाली नहीं होता था. इसके कारण ही पांडवों को अन्न की कमी कभी महसूस नहीं हुई.
पढ़ेंः Akshaya Tritiya 2023: इस बार अक्षय तृतीया को नहीं बजेगी शहनाई, बाजारों से भी रौनक गायब
करें ये कामः अक्षय तृतीया के दिन ब्रह्म मुहूर्त में भगवान विष्णु की विधि-विधान से पूजा करने का प्रावधान है. पूजा में प्रसाद के रूप में चने की दाल, जौ, गेहूं का सत्तू और ककड़ी अर्पण किया जाता है. ऋतु अनुसार फल, व़स्त्र इत्यादि दान करने का भी विशेष महत्व है. इस दिन किए गए दान का अक्षय फल प्राप्त होता है. सुख-समृद्धि प्राप्त होती है. पौराणिक मान्यताओं के अनुसार देवाधिदेव महादेव ने अक्षय तृतीया के दिन ही भगवान कुबेर को समस्त ब्रह्मांड के साथ ही स्वर्ग के धन संरक्षक के रूप में वरदान दिया. इसीलिए अक्षय तृतीया पर सोना खरीदने और भगवान कुबेर की पूजा करने का महत्व बताया गया है.
पढ़ेंः Akshaya Tritiya 2023: अक्षय तृतीया पर बन रहे 6 अद्भुत योग, ये उपाय बदल देंगे किस्मत!
अबूझ मुहूर्त इस बार नहींः वैसे तो हर साल अक्षय तृतीया मांगलिक कार्यों, विवाह, गृह प्रवेश के लिए अबूझ मुहूर्त माना जाता है, लेकिन इस बार अक्षय तृतीया पर विवाह का कोई मुहूर्त नहीं है. पंचांगकर्ता पंडित राजेंद्र किराडू कहते हैं कि इस बार अक्षय़ तृतीया पर गुरु का तारा अस्त है. इसलिए इस बार अक्षय तृतीया पर विवाह आदि के योग नहीं हैं. दरअसल मार्च में गुरु का तारा अस्त हुआ था. अब गुरू 28 अप्रैल को उदय होंगे. तब तक कोई विवाह का मुहूर्त नहीं है.