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Special: 61 साल की उम्र में भी खेल रहे हैं ये अंतरराष्ट्रीय खिलाड़ी, वॉलीबॉल कोर्ट से विधायक तक तय किया सफर

खेल के मैदान से करियर की शुरुआत करके राजनीति में भी जीतकर जनता की सेवा करने वाले अंतरराष्ट्रीय वॉलीबॉल खिलाड़ी हगामी लाल मेवाड़ा अब अपने गृहक्षेत्र में बच्चों को वॉलीबॉल के गुर सीखा रहे है. 61 वर्ष की उम्र में भी हगामी लाल मेवाड़ा का खेल को लेकर वो ही जुनून है, जैसा उस वक्त रहता था. देखिए भीलवाड़ा से स्पेशल रिपोर्ट...

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Published : Feb 13, 2020, 3:29 PM IST

अंतरराष्ट्रीय वॉलीबॉल खिलाड़ी हगामी लाल मेवाड़ा
अंतरराष्ट्रीय वॉलीबॉल खिलाड़ी हगामी लाल मेवाड़ा

भीलवाड़ा. आसींद कस्बे के रहने वाले हगामी लाल मेवाड़ा अंतरराष्ट्रीय स्तर पर वॉलीबॉल के खिलाड़ी रहे है. मेवाड़ा भारत के नाम कई खिताब जीतकर लाए है. वॉलीबॉल के साथ-साथ मेवाड़ा ने राजनीति की दहलीज पर भी जोरदार स्मैश लगाते हुए नगर पालिका अध्यक्ष से लेकर विधायक तक का सफर तय किया, लेकिन मेवाड़ा ने राजनीति के साथ-साथ वॉलीबॉल के प्रति प्रेम बरकरार रखा और वर्तमान में भी वह हमेशा आसींद कस्बे के वॉलीबॉल ग्राउंड में बच्चों से लेकर बड़ों तक को वॉलीबॉल के गुर सिखाते हैं.

अंतरराष्ट्रीय वॉलीबॉल खिलाड़ी हगामी लाल मेवाड़ा

पढ़ें: खेल मंत्री ने की राजसमंद में स्पोर्ट्स कॉम्प्लेक्स के लिए 40 लाख रुपए देने की घोषणा

आसींद से पूर्व विधायक और अंतरराष्ट्रीय वॉलीबॉल के खिलाड़ी हगामी लाल मेवाड़ा का वॉलीबॉल के प्रति अटूट प्रेम है. जहां बचपन से ही उनकी रुचि वॉलीबॉल खेल के प्रति थी, जो वॉलीबॉल का अंतरराष्ट्रीय स्तर पर बेहतर प्रदर्शन कर भारत के नाम कई किताब लेकर आए. उन्होंने वॉलीबॉल में भारत में जाना पहचाना चेहरा माना जाता है. मेवाड़ा राजनीति में आए, लेकिन खेल के प्रति अटूट प्रेम देखने को मिला. जहां राजनीति की विरासत तो मेवाड़ा ने अपने बेटे मनीष मेवाड़ा को सौंप दी है वहीं वॉलीबॉल की विरासत आसींद कस्बे वासियों के बच्चों के नाम की है.

मेवाड़ा कस्बे के बच्चों को प्रतिदिन शाम 2 घंटे वॉलीबॉल का खेल सिखाते हैं. जहां ईटीवी भारत की टीम पहुंची तो देखा नगर पालिका कैंपस में बने वॉलीबॉल ग्राउंड में मेवाड़ा कस्बे के बच्चों को वॉलीबॉल सिखाते मिले. मेवाड़ा की उम्र भले ही करीब 61 वर्ष के करीब है, लेकिन जिस तरह मेवाड़ा ने युवावस्था में वॉलीबॉल के जोरदार स्मैश लगाकर भारत का नाम रोशन किया, उसी तरह 61 वर्ष की उम्र में भी स्मैश लगाते दिखे. इस दौरान मेवाड़ा ने ईटीवी भारत को बताया कि उन्होंने वॉलीबॉल की शुरुआत 1975 की पहली बार स्कूल से की और 1986 तक लगातार नेशनल खेलते रहे. मेवाड़ा राजस्थान टीम के भी कैप्टन रहे, इस दौरान तीन बार राजस्थान टीम ने गोल्ड मेडल हासिल की. वहीं एशियाई टीम में पहली साउथ कोरिया गई और पहली बार हिंदुस्तान की टीम ने कांस्य पदक जीता. उस वक्त मेवाड़ा भी टीम के मेंबर थे.

पढ़ें: 30 सालों में कितना बदला पोलो का खेल, सुनिए- समीर सुहाग की जु़बानी...

वहीं वॉलीबॉल सिखाने के सवाल पर उन्होंने कहा कि मेरा मानना है कि मेरी पहचान खेल में हैं, ना की राजनीति में. साथ ही मेवाड़ा ने बताया कि वॉलीबॉल की वजह से ही वो राजनीतिक भावना आई. खेल में हार-जीत होती रहती है, लेकिन जब से उन्होंने राजनीति शुरू की तब से कई तरह के उतार-चढ़ाव देखे हैं. वहीं अपने खेल को लेकर उन्होंने बताया कि वर्तमान में बच्चों के साथ रोजाना वॉलीबॉल खेलते भी है उनको सिखाते भी हैं. चाहे उनकी उम्र 61 के करीब है, लेकिन खेल से उनका अभी भी बहुत लगाव हैं.

भीलवाड़ा. आसींद कस्बे के रहने वाले हगामी लाल मेवाड़ा अंतरराष्ट्रीय स्तर पर वॉलीबॉल के खिलाड़ी रहे है. मेवाड़ा भारत के नाम कई खिताब जीतकर लाए है. वॉलीबॉल के साथ-साथ मेवाड़ा ने राजनीति की दहलीज पर भी जोरदार स्मैश लगाते हुए नगर पालिका अध्यक्ष से लेकर विधायक तक का सफर तय किया, लेकिन मेवाड़ा ने राजनीति के साथ-साथ वॉलीबॉल के प्रति प्रेम बरकरार रखा और वर्तमान में भी वह हमेशा आसींद कस्बे के वॉलीबॉल ग्राउंड में बच्चों से लेकर बड़ों तक को वॉलीबॉल के गुर सिखाते हैं.

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आसींद से पूर्व विधायक और अंतरराष्ट्रीय वॉलीबॉल के खिलाड़ी हगामी लाल मेवाड़ा का वॉलीबॉल के प्रति अटूट प्रेम है. जहां बचपन से ही उनकी रुचि वॉलीबॉल खेल के प्रति थी, जो वॉलीबॉल का अंतरराष्ट्रीय स्तर पर बेहतर प्रदर्शन कर भारत के नाम कई किताब लेकर आए. उन्होंने वॉलीबॉल में भारत में जाना पहचाना चेहरा माना जाता है. मेवाड़ा राजनीति में आए, लेकिन खेल के प्रति अटूट प्रेम देखने को मिला. जहां राजनीति की विरासत तो मेवाड़ा ने अपने बेटे मनीष मेवाड़ा को सौंप दी है वहीं वॉलीबॉल की विरासत आसींद कस्बे वासियों के बच्चों के नाम की है.

मेवाड़ा कस्बे के बच्चों को प्रतिदिन शाम 2 घंटे वॉलीबॉल का खेल सिखाते हैं. जहां ईटीवी भारत की टीम पहुंची तो देखा नगर पालिका कैंपस में बने वॉलीबॉल ग्राउंड में मेवाड़ा कस्बे के बच्चों को वॉलीबॉल सिखाते मिले. मेवाड़ा की उम्र भले ही करीब 61 वर्ष के करीब है, लेकिन जिस तरह मेवाड़ा ने युवावस्था में वॉलीबॉल के जोरदार स्मैश लगाकर भारत का नाम रोशन किया, उसी तरह 61 वर्ष की उम्र में भी स्मैश लगाते दिखे. इस दौरान मेवाड़ा ने ईटीवी भारत को बताया कि उन्होंने वॉलीबॉल की शुरुआत 1975 की पहली बार स्कूल से की और 1986 तक लगातार नेशनल खेलते रहे. मेवाड़ा राजस्थान टीम के भी कैप्टन रहे, इस दौरान तीन बार राजस्थान टीम ने गोल्ड मेडल हासिल की. वहीं एशियाई टीम में पहली साउथ कोरिया गई और पहली बार हिंदुस्तान की टीम ने कांस्य पदक जीता. उस वक्त मेवाड़ा भी टीम के मेंबर थे.

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वहीं वॉलीबॉल सिखाने के सवाल पर उन्होंने कहा कि मेरा मानना है कि मेरी पहचान खेल में हैं, ना की राजनीति में. साथ ही मेवाड़ा ने बताया कि वॉलीबॉल की वजह से ही वो राजनीतिक भावना आई. खेल में हार-जीत होती रहती है, लेकिन जब से उन्होंने राजनीति शुरू की तब से कई तरह के उतार-चढ़ाव देखे हैं. वहीं अपने खेल को लेकर उन्होंने बताया कि वर्तमान में बच्चों के साथ रोजाना वॉलीबॉल खेलते भी है उनको सिखाते भी हैं. चाहे उनकी उम्र 61 के करीब है, लेकिन खेल से उनका अभी भी बहुत लगाव हैं.

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