भीलवाड़ा. जिले के आसींद पंचायत समिति के कालियास गांव के वरिष्ठ नागरिक और पूर्व सरपंच चंद्रशेखर सिंह राठौड़ अपने पिता के नाम से जारी बंदूक के लाइसेंस को हस्तांतरण को लेकर 15 साल से न्याय की गुहार लगा रहे हैं, लेकिन अब तक उनकी इस समस्या का समाधान नहीं हुआ है.
चंद्रशेखर सिंह राठौड़ ने ईटीवी भारत के सामने अपना दर्द बयां करते हुए कहा कि उनके पिताजी का देहांत वर्ष 2004 में हो चुका है. मृत्यु उपरांत उनकी जो पुश्तैनी बंदूक थी, वह थाने के अंदर जमा करवा दी. लेकिन 15 साल से अब तक बंदूक नहीं दी गई. उनके मुताबिक उन्होंने इस दौरान संभागीय आयुक्त और जिला कलेक्टर तक के चक्कर लगाए. साथ ही कहा कि गृह विभाग के सख्त निर्देश है कि उनके हथियार का हस्तांतरण किया जाए, अगर नहीं किया जाता तो 6 माह में बंदूक खराब हो सकती है.
चंद्रशेखर सिंह राठौड़ ने बताया कि वो नए लाइसेंस नहीं बनवा रहे हैं. लेकिन जिस तरह पुश्तैनी जायदाद पर पिता के मरने के बाद बेटे यानी वारिस के नाम हो जाती है. उसी तरह पिता जी के नाम से जारी बंदूक के लाइसेंस का नाम हस्तांतरित किया जाए. साथ ही कहा कि न्यायालय ने भी उनके पक्ष में फैसला दे दिया है. लेकिन उनको बंदूक देने पर अभी तक कोई फैसला नहीं हुआ है.
देखना होगा कि वरिष्ठ नागरिक और पूर्व सरपंच चंद्रशेखर सिंह राठौड़ के पिता के नाम से जारी बंदूक का लाइसेंस उनके पिता की मृत्यु के उपरांत अब उनके नाम से जिला प्रशासन जारी करता है या इसी तहर न्याय की गुहार लगाते हुए उन्हें परेशान होते रहना पड़ेगा.