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पिता की मौत के बाद बंदूक के लाइसेंस हस्तांतरण को 15 साल से चक्कर काटने को मजबूर

भीलवाड़ा में एक वरिष्ठ नागरिक अपने पिता की मौत के बाद बंदूक के लाइसेंस हस्तांतरण को लेकर बेहद परेशान हैं. इसके लिए वो पिछले 15 साल में कई अधिकारियों तक के चक्कर लगा चुके हैं, लेकिन अब तक उनकी इस समस्या का समाधान नहीं हुआ है.

भीलवाड़ा में बंदूक के लाइसेंस हस्तांतरण के लिए अधिकारियों के चक्कर लगा रहे ये वरिष्ठ नागरिक
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Published : Jul 14, 2019, 6:22 PM IST

भीलवाड़ा. जिले के आसींद पंचायत समिति के कालियास गांव के वरिष्ठ नागरिक और पूर्व सरपंच चंद्रशेखर सिंह राठौड़ अपने पिता के नाम से जारी बंदूक के लाइसेंस को हस्तांतरण को लेकर 15 साल से न्याय की गुहार लगा रहे हैं, लेकिन अब तक उनकी इस समस्या का समाधान नहीं हुआ है.

चंद्रशेखर सिंह राठौड़ ने ईटीवी भारत के सामने अपना दर्द बयां करते हुए कहा कि उनके पिताजी का देहांत वर्ष 2004 में हो चुका है. मृत्यु उपरांत उनकी जो पुश्तैनी बंदूक थी, वह थाने के अंदर जमा करवा दी. लेकिन 15 साल से अब तक बंदूक नहीं दी गई. उनके मुताबिक उन्होंने इस दौरान संभागीय आयुक्त और जिला कलेक्टर तक के चक्कर लगाए. साथ ही कहा कि गृह विभाग के सख्त निर्देश है कि उनके हथियार का हस्तांतरण किया जाए, अगर नहीं किया जाता तो 6 माह में बंदूक खराब हो सकती है.

भीलवाड़ा में बंदूक के लाइसेंस हस्तांतरण के लिए 15 साल से अधिकारियों के चक्कर लगा रहे एक वरिष्ठ नागरिक

चंद्रशेखर सिंह राठौड़ ने बताया कि वो नए लाइसेंस नहीं बनवा रहे हैं. लेकिन जिस तरह पुश्तैनी जायदाद पर पिता के मरने के बाद बेटे यानी वारिस के नाम हो जाती है. उसी तरह पिता जी के नाम से जारी बंदूक के लाइसेंस का नाम हस्तांतरित किया जाए. साथ ही कहा कि न्यायालय ने भी उनके पक्ष में फैसला दे दिया है. लेकिन उनको बंदूक देने पर अभी तक कोई फैसला नहीं हुआ है.

देखना होगा कि वरिष्ठ नागरिक और पूर्व सरपंच चंद्रशेखर सिंह राठौड़ के पिता के नाम से जारी बंदूक का लाइसेंस उनके पिता की मृत्यु के उपरांत अब उनके नाम से जिला प्रशासन जारी करता है या इसी तहर न्याय की गुहार लगाते हुए उन्हें परेशान होते रहना पड़ेगा.

भीलवाड़ा. जिले के आसींद पंचायत समिति के कालियास गांव के वरिष्ठ नागरिक और पूर्व सरपंच चंद्रशेखर सिंह राठौड़ अपने पिता के नाम से जारी बंदूक के लाइसेंस को हस्तांतरण को लेकर 15 साल से न्याय की गुहार लगा रहे हैं, लेकिन अब तक उनकी इस समस्या का समाधान नहीं हुआ है.

चंद्रशेखर सिंह राठौड़ ने ईटीवी भारत के सामने अपना दर्द बयां करते हुए कहा कि उनके पिताजी का देहांत वर्ष 2004 में हो चुका है. मृत्यु उपरांत उनकी जो पुश्तैनी बंदूक थी, वह थाने के अंदर जमा करवा दी. लेकिन 15 साल से अब तक बंदूक नहीं दी गई. उनके मुताबिक उन्होंने इस दौरान संभागीय आयुक्त और जिला कलेक्टर तक के चक्कर लगाए. साथ ही कहा कि गृह विभाग के सख्त निर्देश है कि उनके हथियार का हस्तांतरण किया जाए, अगर नहीं किया जाता तो 6 माह में बंदूक खराब हो सकती है.

भीलवाड़ा में बंदूक के लाइसेंस हस्तांतरण के लिए 15 साल से अधिकारियों के चक्कर लगा रहे एक वरिष्ठ नागरिक

चंद्रशेखर सिंह राठौड़ ने बताया कि वो नए लाइसेंस नहीं बनवा रहे हैं. लेकिन जिस तरह पुश्तैनी जायदाद पर पिता के मरने के बाद बेटे यानी वारिस के नाम हो जाती है. उसी तरह पिता जी के नाम से जारी बंदूक के लाइसेंस का नाम हस्तांतरित किया जाए. साथ ही कहा कि न्यायालय ने भी उनके पक्ष में फैसला दे दिया है. लेकिन उनको बंदूक देने पर अभी तक कोई फैसला नहीं हुआ है.

देखना होगा कि वरिष्ठ नागरिक और पूर्व सरपंच चंद्रशेखर सिंह राठौड़ के पिता के नाम से जारी बंदूक का लाइसेंस उनके पिता की मृत्यु के उपरांत अब उनके नाम से जिला प्रशासन जारी करता है या इसी तहर न्याय की गुहार लगाते हुए उन्हें परेशान होते रहना पड़ेगा.

Intro:भीलवाड़ा- भीलवाड़ा जिले के आसींद पंचायत समिति के कालियास गांव के वरिष्ठ नागरिक एवं पूर्व सरपंच चंद्रशेखर सिंह राठौड़ को अपने पिता के नाम से जारी बंदूक के लाइसेंस को हस्तांतरण को लेकर 15 साल से न्याय की गुहार लगाते हुए दर-दर ठोकरें खाने को मजबूर होना पड़ रहा है।


Body:कालियास गांव के चंद्रशेखर सिंह राठौड़ ने ईटीवी भारत के सामने अपना दर्द बयां करते हुए कहा कि मेरे पिताजी का देहांत वर्ष 2004 में हो चुका है । मृत्यु उपरांत उनकी पुश्तैनी बंदूक थी वह थाने के अंदर जमा करवा दी । लेकिन अभी तक संभागीय आयुक्त,जिला कलेक्टर तक के चक्कर लगाने के 15 वर्ष बाद भी वह बंदूक मुझको नहीं दी गई । जबकि गृह विभाग के सख्त निर्देश है कि उनके हथियार का हस्तांतरण किया जाए। अगर नहीं किया जाता तो 6 माह में बंदूक खराब हो सकती है।
हम नए लाइसेंस नहीं बना रहे हैं लेकिन जिस तरह जमीन में पुश्तैनी जायदाद पर पिता के मरने के बाद बेटे यानी वारिस के नाम चला जाता है उसी प्रकार मेरे पिताजी के नाम से जारी बंदूक के लाइसेंस को मेरे नाम हस्तांतरण किया जाए । जिसका न्यायालय ने भी मेरे पक्ष में फैसला दे दिया है मगर हमारे को बंदूक देने पर अभी तक कोई फैसला नहीं हुआ । हमारे को तो सिर्फ नवीन लाइसेंस नहीं बनाना है सिर्फ नवीनीकरण यानी अनुज्ञा पत्र लेना है। मैंने इस संबंध में संभागीय आयुक्त से लेकर जिला कलेक्टर तक फरियाद लगाई लेकिन मेरे को अब तक न्याय नहीं मिला ।

अब देखना यह होगा कि वरिष्ठ नागरिक और पूर्व सरपंच चंद्रशेखर सिंह राठौड़ के पिता के नाम से जारी बंदूक का लाइसेंस उनके पिता की मृत्यु के उपरांत अब उनके नाम से जिला प्रशासन जारी करता है या इसी प्रकार 15 साल की तरह न्याय की गुहार को लेकर दर-दर की ठोकरें खाने को मजबूर होना पड़ेगा।

सोमदत्त त्रिपाठी ईटीवी भारत भीलवाड़ा

बाईट- चन्द्रशेखर सिह राठौड
वरिष्ठ नागरिक व पूर्व संरपच


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