बांसवाड़ा. आदिवासी बहुल बांसवाड़ा डूंगरपुर को विकास के मामले में हमेशा से पिछड़ा माना जाता है. लेकिन राजनीतिक जागरूकता के मामले में इस इलाके का कोई सानी नहीं है. चुनाव परिणाम बताते हैं कि लोकसभा चुनाव 2019 के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का जनता के बीच जबरदस्त अंडर करंट चल रहा था. इसके बावजूद भी यहां के काफी लोगों को ना तो मोदी पसंद आए और ना ही राहुल गांधी की न्याय योजना उन्हें लुभा पाई.
कुल मिलाकर इस लोकसभा क्षेत्र से 5 प्रत्याशी मैदान में थे. लेकिन बड़ी संख्या में लोग ऐसे भी सामने आए जिन्हें एक भी प्रत्याशी लुभा नहीं पाया. इन मतदाताओं ने प्रत्याशियों के बजाय नोटा के विकल्प को अपनाना ज्यादा पसंद किया. प्रदेश में नोटा का इस्तेमाल करने वालों में बांसवाड़ा लोकसभा सीट टॉप पर माना गया है. चुनाव आयोग के आंकड़े बताते हैं कि यहां 29,962 मतदाताओं ने नोटा का इस्तेमाल किया, जो कि प्रदेश में सर्वाधिक है. इस लोकसभा सीट से 2.08 प्रतिशत मतदाताओं ने प्रत्याशियों को नकार दिया. उदयपुर में 28179 मतदाताओं ने नोट को पसंद किया, जो कुल मतदाताओं का 1.94 प्रतिशत है. राजस्थान में सबसे कम नोटा का इस्तेमाल अलवर में हुआ. जहां 5331 मतदाताओं ने प्रत्याशियों को खारिज कर दिया.
कुशलगढ़ विधानसभा क्षेत्र में सर्वाधिक 4,609 मतदाताओं ने इस विकल्प का उपयोग किया. वहीं बागीदौरा से 4,591 ,घाटोल से 4,006 , गढी में 3,675 ,बांसवाड़ा में 3,562, डूंगरपुर में 3,130 ,चौरासी में 3,410 और सबसे कम सागवाड़ा में 2,974 मतदाताओं ने पांचों ही प्रत्याशियों को पसंद नहीं करते हुए नोटा का इस्तेमाल किया. बता दें कि वर्ष 2014 के लोकसभा चुनाव में भी बांसवाड़ा लोकसभा सीट पर 34,404 वोट नोटा को पडे थे. और इसी प्रकार बांसवाड़ा का नाम प्रदेश में नोटा इस्तेमाल करने वालों में पहले स्थान पर तो राष्ट्रीय स्तर पर चौथे स्थान पर पहुंच गया.