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Navratri 2023 : नवरात्र के तीसरे दिन मां चंद्रघंटा की पूजा, आराधना से होती है विजय की प्राप्ति - Rajasthan Hindi News

Navratri 2023 3rd Day, देवी की उपासना के शारदीय नवरात्र के महापर्व में देवी के अलग-अलग 9 रूपों की पूजा होती है और हर दिन की पूजा का एक खास महत्व है. अपने मनवांछित कार्य में विजय की प्राप्ति के साथ ही संकट निवारण के लिए नवरात्र के तीसरे दिन मां चंद्रघंटा की स्वरूप की पूजा होती है.

Navratri 2023 3rd Day
मां चंद्रघंटा की पूजा
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By ETV Bharat Rajasthan Team

Published : Oct 17, 2023, 7:51 AM IST

बीकानेर. देवी की आराधना के महापर्व नवरात्र में शारदीय नवरात्र के तीसरे दिन मां चंद्रघंटा के स्वरूप की पूजा होती है. देवी के चंद्रघंटा स्वरूप की पूजा का विशेष महत्व है और साधक को पूजा-अर्चना से किसी भी विचार किए कार्य में आते संकट से छुटकारा मिलता है और विजय की प्राप्ति होती है.

देवी अवतार की ये है कथा : पंचांगकर्ता पंडित राजेंद्र किराडू कहते हैं कि जब भी देवताओं और असुरों के बीच युद्ध हुआ और असुरों से युद्ध में देवता जीतने में असफल रहे तब अलग-अलग देवी देवताओं के स्वरूप का अवतार हुआ. उन्होंने बताया कि एकबार असुरों से जीतने में असफल हो रहे देवताओं ने त्रिदेवों ब्रह्मा, विष्णु और भगवान शिव से प्रार्थना करने पहुंचे. इस दौरान त्रिदेवों ने उन्हें मां दुर्गा की पूजा करने की सलाह दी. जिसके बाद देवताओं ने मां दुर्गा की पूजा-आराधना की और उन्हें प्रसन्न किया. जिसके बाद मां दुर्गा ने देवी चंद्रघंटा का अवतार लिया. मां चंद्रघंटा को भगवान शंकर ने अपना त्रिशूल, भगवान विष्णु ने अपना चक्र, इंद्र ने अपना घंटा, सूर्य ने तेज, तलवार और सिंह प्रदान किया. किराडू ने बताया कि नवरात्र के समय महिषासुर का देवताओं के साथ युद्ध चल रहा था और उसी समय देवी के अलग-अलग अवतार हुए थे. मां चंद्रघंटा का अवतार भी इसी समय हुआ था.

पढ़ें : Shardiya Navratri 2023 : राजस्थान में रेत के टीलों और पहाड़ियों के बीच स्थित हैं मां वांकल, जानिए क्या है मंदिर का इतिहास

शारीरिक पीड़ा-रोग दूर करने के लिए पूजा : पंचांगकर्ता पंडित राजेंद्र किराडू ने बताया कि नवरात्रि के तीसरे दिन मां चंद्रघंटा की पूजा कर उन्हें प्रसन्न किया जाता है. माता चंद्रघंटा को कल्याणकारी और शांतिदायक का रूप मानते हैं. माता चंद्रघंटा के मस्तक पर घंटे के आकार का आधा चंद्रमा का दृश्य है और इसी कारण मां के इस स्वरूप को चंद्रघंटा नाम मिला. शारीरिक रूप से कष्ट पाने वाले लोग, अगर मां चंद्रघंटा की पूजा करते हैं तो उनकी जटिल रोगों की पीड़ा दूर हो सकती है. उन्होंने बताया कि मां दुर्गा की पूजा में मालपुआ और खीर का भोग लगता है, जो मां को अति प्रिय है. मां चंद्रघंटा की पूजा आराधना में देशी गाय का दूध का अर्पण करने से मां अति प्रसन्न होती हैं. इसके अलावा माता को सभी प्रकार के पुष्प प्रिय हैं, लेकिन मां चंद्रघंटा स्वरूप की पूजा करते हुए मदार के पुष्प अर्पण करने चाहिए.

बीकानेर. देवी की आराधना के महापर्व नवरात्र में शारदीय नवरात्र के तीसरे दिन मां चंद्रघंटा के स्वरूप की पूजा होती है. देवी के चंद्रघंटा स्वरूप की पूजा का विशेष महत्व है और साधक को पूजा-अर्चना से किसी भी विचार किए कार्य में आते संकट से छुटकारा मिलता है और विजय की प्राप्ति होती है.

देवी अवतार की ये है कथा : पंचांगकर्ता पंडित राजेंद्र किराडू कहते हैं कि जब भी देवताओं और असुरों के बीच युद्ध हुआ और असुरों से युद्ध में देवता जीतने में असफल रहे तब अलग-अलग देवी देवताओं के स्वरूप का अवतार हुआ. उन्होंने बताया कि एकबार असुरों से जीतने में असफल हो रहे देवताओं ने त्रिदेवों ब्रह्मा, विष्णु और भगवान शिव से प्रार्थना करने पहुंचे. इस दौरान त्रिदेवों ने उन्हें मां दुर्गा की पूजा करने की सलाह दी. जिसके बाद देवताओं ने मां दुर्गा की पूजा-आराधना की और उन्हें प्रसन्न किया. जिसके बाद मां दुर्गा ने देवी चंद्रघंटा का अवतार लिया. मां चंद्रघंटा को भगवान शंकर ने अपना त्रिशूल, भगवान विष्णु ने अपना चक्र, इंद्र ने अपना घंटा, सूर्य ने तेज, तलवार और सिंह प्रदान किया. किराडू ने बताया कि नवरात्र के समय महिषासुर का देवताओं के साथ युद्ध चल रहा था और उसी समय देवी के अलग-अलग अवतार हुए थे. मां चंद्रघंटा का अवतार भी इसी समय हुआ था.

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शारीरिक पीड़ा-रोग दूर करने के लिए पूजा : पंचांगकर्ता पंडित राजेंद्र किराडू ने बताया कि नवरात्रि के तीसरे दिन मां चंद्रघंटा की पूजा कर उन्हें प्रसन्न किया जाता है. माता चंद्रघंटा को कल्याणकारी और शांतिदायक का रूप मानते हैं. माता चंद्रघंटा के मस्तक पर घंटे के आकार का आधा चंद्रमा का दृश्य है और इसी कारण मां के इस स्वरूप को चंद्रघंटा नाम मिला. शारीरिक रूप से कष्ट पाने वाले लोग, अगर मां चंद्रघंटा की पूजा करते हैं तो उनकी जटिल रोगों की पीड़ा दूर हो सकती है. उन्होंने बताया कि मां दुर्गा की पूजा में मालपुआ और खीर का भोग लगता है, जो मां को अति प्रिय है. मां चंद्रघंटा की पूजा आराधना में देशी गाय का दूध का अर्पण करने से मां अति प्रसन्न होती हैं. इसके अलावा माता को सभी प्रकार के पुष्प प्रिय हैं, लेकिन मां चंद्रघंटा स्वरूप की पूजा करते हुए मदार के पुष्प अर्पण करने चाहिए.

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