भीलवाड़ा. इस बार बारिश कम होने के कारण किसानों ने गत वर्ष की तुलना में सरसों (mustard crop in Bhilwara) की दोगुनी बुवाई की है. इसके चलते खलियानों ने पीली चादर ओढ़ ली है. किसानों ने ईटीवी भारत से बातचीत में कहा कि सरसों की फसल को पानी कम चाहिए. इसलिए ज्यादा बुवाई की है. अगर ठंड ज्यादा रहेगी तो सरसों का अच्छा उत्पादन होगा.
जिले के ग्रामीण अंचल में जहां तक नजर जाए, वहां तक पीली चादर सी नजर आती है. गत वर्ष बारिश ज्यादा होने के कारण किसानों का गेहूं की फसल के प्रति रुझान था, लेकिन इस बार वर्षा ऋतु में कम बारिश के कारण रबी की फसल के रूप में सबसे ज्यादा सरसों की बुवाई की है. गत वर्ष जिले में 25 हजार हेक्टेयर भूमि में सरसों की बुवाई हुई थी, लेकिन इस बार 50 हजार हेक्टेयर में सरसों की बुवाई की गई है.
जिले के कृषि विभाग उपनिदेशक रामपाल खटीक ने ईटीवी भारत से बातचीत में कहा कि गत वर्ष की तुलना में इस वर्ष जिले में सरसों की फसल की दोगुनी बुवाई की है. 50 हजार हेक्टेयर भूमि में सरसों की बुवाई हुई है. तमाम कृषि पर्यवेक्षकों को निर्देश दिए हैं कि फील्ड में विजिट कर सरसों की फसल में मोयले के प्रकोप से बचाने के लिए कीटनाशक छिड़काव की सलाह दें. जैसे-जैसे सर्दी का सितम बढ़ेगा, सरसों की फसल में अच्छा उत्पादन होगा.
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किसान जगदीश प्रसाद माली ने बताया कि मैंने 5 बीघा में सरसों की फसल की है. वर्षा ऋतु में इस बार फायदा नहीं मिला. कम वर्षा के कारण सरसों की फसल में कम पानी की आवश्यकता होती है. इसलिए इस फसल की बुवाई की है. हमें उम्मीद है कि अगर ठंड ज्यादा बढ़ेगी तो इसमें उत्पादन अच्छा होगा. हम ईश्वर से प्रार्थना कर रहे हैं कि ठंड ज्यादा रहे जिससे हमारे सरसों की फसल में भरपूर मात्रा में उत्पादन हो सके और हम भी हमारा परिवार आसानी से चला सके.