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आजादी के सुपर हीरो, माणिक्यलाल वर्मा ने इस आंदोलन में निभाई महती भूमिका, यातनाएं झेली पर झुके नहीं - आजादी के सुपर हीरो

देश की आजादी के लिए स्वतंत्रता संग्राम के दौरान कई स्वतंत्रता सेनानियों ने प्राणों को न्योछावर किया था. आजादी के लिए अंग्रेजों के खिलाफ आंदोलन छेड़ने वालों में स्वतंत्रता सेनानी माणिक्यलाल वर्मा का नाम भी खास है. उन्होंने बिजोलिया किसान आंदोलन का नेतृत्व किया था. उन्होंने अंग्रेजों की यातनाएं झेली, लेकिन टूटे नहीं.

Manikyalal Verma Contribution in freedom movement
माणिक्यलाल वर्मा
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Published : Aug 14, 2022, 5:21 PM IST

भीलवाड़ा. देश की आजादी का अमृत महोत्सव (Azadi Ka Amrit Mahotsav) मनाया जा रहा है. भारत को अंग्रेजों की बेड़ियों से मुक्त कराने के लिए के लिए स्वतंत्रता सेनानियों ने अपने प्राणों को न्योछावर कर दिया. आजादी के लिए जारी रहे संघर्ष में देश के कोने-कोने से स्वतंत्रता सेनानी जुड़ते रहे और शौर्य गाथा लिखते रहे. आजादी के दिवानों में एक नाम माणिक्य लाल वर्मा का है. माणिक्य लाल वर्मा ने बिजोलिया किसान आंदोलन (Bijolia Farmer Movement) में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी. साथ ही अंग्रेजों से लड़ते हुए जेल भी गए, जहां उन्हें कई प्रकार की यातनाएं भी दी गई.

भीलवाड़ा जिले के ऊपर माल क्षेत्र के नाम से प्रसिद्ध बिजोलिया क्षेत्र के उमाजी का खेड़ा गांव की वीर भूमि पर जन्मे थे माणिक्य लाल वर्मा (Manikyalal Verma of Bhilwara). स्वतंत्रता सेनानी माणिक्यलाल वर्मा ने ने स्वतंत्रता आंदोलन में त्याग, बलिदान का ऐसा परचम लहराया कि आज भी उनकी वीर गाथा को बड़े शौर्यता के साथ सुनाई (Manikyalal Verma Contribution in freedom movement) जाती है. बिजोलिया क्षेत्र के उमाजी का खेड़ा गांव की वीरभूमि पर 4 दिसंबर 1897 को माणिक्य लाल वर्मा का जन्म कायस्थ परिवार में हुआ था. युवावस्था में वह बिजोलिया रावले में सेवा कार्य करते थे. इसी बीच उनका संपर्क क्रांतिकारी रासबिहारी बॉस के जरिए राजस्थान में क्रांति फैलाने के लिए भेजे गए प्रतिनिधि विजय सिंह पथिक से हुआ. वहीं से वर्मा ने भी आजादी आंदोलन में भाग लेने का प्रण ले लिया.

माणिक्यलाल वर्मा ने बिजोलिया किसान आंदोलन में निभाई महती भूमिका

पढ़ें- आजादी के सुपर हीरो, संत गोविंद गुरु ने भक्ति मार्ग पर चलकर जगाई थी आजादी की अलख

बिजोलिया आंदोलन में निभाई महत्वपूर्ण भूमिकाः माणिक्य लाल वर्मा ने 1919 से 1923 के बीच भीलवाड़ा जिले के बिजोलिया किसान आंदोलन (Bijolia Farmer Movement) में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी. वे कई वर्षों तक जेल में भी रहे. जहां उनको कई तरह की यातनाएं भी दी गई. उन्होंने दक्षिणी राजस्थान में जनजातियों , अन्य पिछड़ा वर्गों और महिलाओं के बीच शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी. उन्होने अनुसूचित जातियों की सामाजिक स्थितियों को बढ़ावा देने के लिए विमुक्त जाति संघ की स्थापना की. इस संगठन ने राजस्थान में अनुसूचित जाती के छात्रों के लिए कई छात्रावासों की स्थापना भी करवाई. उनकी पहल पर ही पश्चिमी सीमावर्ती जिले के सीमांत में छात्रावास की स्थापना की गई.

पढ़ें- जब जमनालाल बजाज ने गांधीजी के सामने रखा ये प्रस्ताव, फिर

जबरन मजदूरी के खिलाफ किसान सत्याग्रहः माणिक्यलाल वर्मा ने बिजोलिया में 1918 में विद्या प्रचारिणी सभा करवाई. जहां उन्होने जबरन मजदूरी के खिलाफ किसान सत्याग्रह का आयोजन किया गया. जिसके कारण वर्मा को ब्रिटिश हुकूमत ने जेल भेज दिया था. जब वर्मा जेल से वापस निकले तो उन्होने 1939 में भारत छोड़ो आंदोलन में भाग लिया था. उन्होंने भारत के कई राज्यों में जन सम्मेलन का आयोजन करवाया.

यातनाएं झेली पर झुके नहीं

पढ़ें- राजस्थान में बना था आजाद भारत का पहला तिरंगा, दौसा के लिए गर्व की बात

माणिक्य लाल वर्मा का निधन 14 जनवरी 1969 को हुआ था. उनकी पत्नी नारायणी देवी राज्यसभा सदस्य थी. साथ ही पुत्र दीनबंधु वर्मा उदयपुर निर्वाचन क्षेत्र से लोकसभा के सदस्य थे. उनके दामाद शिवचरण माथुर राजस्थान में दो बार मुख्यमंत्री भी रहे. वर्तमान में उनके नाम से भीलवाड़ा शहर में माणिक्य लाल वर्मा टैक्सटाइल एंड इंजीनियरिंग कॉलेज व माणिक्य लाल वर्मा राजकीय महाविद्यालय है. साथ ही उदयपुर की पिछोला झील के किनारे एक विशाल उद्यान भी माणिक्य लाल वर्मा के नाम से है.

पढ़ें- Changemakers जानिए कौन हैं राजेंद्र सिंह जिन्होंने 1000 गांवों की बदल दी तस्वीर

आदिवासियों के उत्थान के लिए किया कामः माणिक्य लाल वर्मा केवल स्वतंत्रता संग्राम (freedom movement) सीमित नहीं रहे. उन्होंने आदिवासियों के उत्थान के लिए भी गांव-गांव जाकर अच्छे काम किए. शुरुआती दौर में 15 रूपये महिने में बिजोलिया रावले में नौकरी किया करते थे. स्वतंत्रता संग्राम के जरिए 1947 में जब देश आजाद हुआ तब वे संयुक्त राजस्थान के प्रधानमंत्री के पद से भी सुशोभित हुए. जब वर्मा जेल में रहे तब उनको अंग्रेजों ने कहीं तरह की यातनाएं दी लेकिन वह उनके सामने ना टूटे- ना झुके.

पढ़ें- आजादी के सुपर हीरो: अंग्रेजों से संघर्ष में आदिवासियों की मशाल बने थे मोतीलाल तेजावत

165 में मिला पद्म भूषणः माणिक्य लाल वर्मा की जन्म स्थली पर स्थित राजकीय सीनियर उच्च माध्यमिक विद्यालय परिसर में स्मारक बना हुआ है. जहां विद्यालय में अध्ययन करने वाले छात्र-छात्राएं व शिक्षक प्रतिदिन उनको नमन करते हैं. विद्यालय के प्रिंसिपल कुलदीप ने कहा कि उमा जी का खेड़ा गांव वो पावन भूमि है, जहां स्वतंत्रता सेनानी माणिक्य लाल वर्मा ने जन्म लिया. वे राजस्थान के गठन से पूर्व प्रधानमंत्री भी रहे. वर्मा 1952 में टोक और 1957 में चित्तौड़गढ़ से लोकसभा के सदस्य भी रहे. भारत सरकार द्वारा वर्ष 1965 को पद्म भूषण से भी सम्मानित किया गया. उन्होंने बताया कि स्कूल में बनी मुर्ति का अनावरण राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने वर्ष 2002 में किया था.

भीलवाड़ा. देश की आजादी का अमृत महोत्सव (Azadi Ka Amrit Mahotsav) मनाया जा रहा है. भारत को अंग्रेजों की बेड़ियों से मुक्त कराने के लिए के लिए स्वतंत्रता सेनानियों ने अपने प्राणों को न्योछावर कर दिया. आजादी के लिए जारी रहे संघर्ष में देश के कोने-कोने से स्वतंत्रता सेनानी जुड़ते रहे और शौर्य गाथा लिखते रहे. आजादी के दिवानों में एक नाम माणिक्य लाल वर्मा का है. माणिक्य लाल वर्मा ने बिजोलिया किसान आंदोलन (Bijolia Farmer Movement) में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी. साथ ही अंग्रेजों से लड़ते हुए जेल भी गए, जहां उन्हें कई प्रकार की यातनाएं भी दी गई.

भीलवाड़ा जिले के ऊपर माल क्षेत्र के नाम से प्रसिद्ध बिजोलिया क्षेत्र के उमाजी का खेड़ा गांव की वीर भूमि पर जन्मे थे माणिक्य लाल वर्मा (Manikyalal Verma of Bhilwara). स्वतंत्रता सेनानी माणिक्यलाल वर्मा ने ने स्वतंत्रता आंदोलन में त्याग, बलिदान का ऐसा परचम लहराया कि आज भी उनकी वीर गाथा को बड़े शौर्यता के साथ सुनाई (Manikyalal Verma Contribution in freedom movement) जाती है. बिजोलिया क्षेत्र के उमाजी का खेड़ा गांव की वीरभूमि पर 4 दिसंबर 1897 को माणिक्य लाल वर्मा का जन्म कायस्थ परिवार में हुआ था. युवावस्था में वह बिजोलिया रावले में सेवा कार्य करते थे. इसी बीच उनका संपर्क क्रांतिकारी रासबिहारी बॉस के जरिए राजस्थान में क्रांति फैलाने के लिए भेजे गए प्रतिनिधि विजय सिंह पथिक से हुआ. वहीं से वर्मा ने भी आजादी आंदोलन में भाग लेने का प्रण ले लिया.

माणिक्यलाल वर्मा ने बिजोलिया किसान आंदोलन में निभाई महती भूमिका

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बिजोलिया आंदोलन में निभाई महत्वपूर्ण भूमिकाः माणिक्य लाल वर्मा ने 1919 से 1923 के बीच भीलवाड़ा जिले के बिजोलिया किसान आंदोलन (Bijolia Farmer Movement) में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी. वे कई वर्षों तक जेल में भी रहे. जहां उनको कई तरह की यातनाएं भी दी गई. उन्होंने दक्षिणी राजस्थान में जनजातियों , अन्य पिछड़ा वर्गों और महिलाओं के बीच शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी. उन्होने अनुसूचित जातियों की सामाजिक स्थितियों को बढ़ावा देने के लिए विमुक्त जाति संघ की स्थापना की. इस संगठन ने राजस्थान में अनुसूचित जाती के छात्रों के लिए कई छात्रावासों की स्थापना भी करवाई. उनकी पहल पर ही पश्चिमी सीमावर्ती जिले के सीमांत में छात्रावास की स्थापना की गई.

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जबरन मजदूरी के खिलाफ किसान सत्याग्रहः माणिक्यलाल वर्मा ने बिजोलिया में 1918 में विद्या प्रचारिणी सभा करवाई. जहां उन्होने जबरन मजदूरी के खिलाफ किसान सत्याग्रह का आयोजन किया गया. जिसके कारण वर्मा को ब्रिटिश हुकूमत ने जेल भेज दिया था. जब वर्मा जेल से वापस निकले तो उन्होने 1939 में भारत छोड़ो आंदोलन में भाग लिया था. उन्होंने भारत के कई राज्यों में जन सम्मेलन का आयोजन करवाया.

यातनाएं झेली पर झुके नहीं

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माणिक्य लाल वर्मा का निधन 14 जनवरी 1969 को हुआ था. उनकी पत्नी नारायणी देवी राज्यसभा सदस्य थी. साथ ही पुत्र दीनबंधु वर्मा उदयपुर निर्वाचन क्षेत्र से लोकसभा के सदस्य थे. उनके दामाद शिवचरण माथुर राजस्थान में दो बार मुख्यमंत्री भी रहे. वर्तमान में उनके नाम से भीलवाड़ा शहर में माणिक्य लाल वर्मा टैक्सटाइल एंड इंजीनियरिंग कॉलेज व माणिक्य लाल वर्मा राजकीय महाविद्यालय है. साथ ही उदयपुर की पिछोला झील के किनारे एक विशाल उद्यान भी माणिक्य लाल वर्मा के नाम से है.

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आदिवासियों के उत्थान के लिए किया कामः माणिक्य लाल वर्मा केवल स्वतंत्रता संग्राम (freedom movement) सीमित नहीं रहे. उन्होंने आदिवासियों के उत्थान के लिए भी गांव-गांव जाकर अच्छे काम किए. शुरुआती दौर में 15 रूपये महिने में बिजोलिया रावले में नौकरी किया करते थे. स्वतंत्रता संग्राम के जरिए 1947 में जब देश आजाद हुआ तब वे संयुक्त राजस्थान के प्रधानमंत्री के पद से भी सुशोभित हुए. जब वर्मा जेल में रहे तब उनको अंग्रेजों ने कहीं तरह की यातनाएं दी लेकिन वह उनके सामने ना टूटे- ना झुके.

पढ़ें- आजादी के सुपर हीरो: अंग्रेजों से संघर्ष में आदिवासियों की मशाल बने थे मोतीलाल तेजावत

165 में मिला पद्म भूषणः माणिक्य लाल वर्मा की जन्म स्थली पर स्थित राजकीय सीनियर उच्च माध्यमिक विद्यालय परिसर में स्मारक बना हुआ है. जहां विद्यालय में अध्ययन करने वाले छात्र-छात्राएं व शिक्षक प्रतिदिन उनको नमन करते हैं. विद्यालय के प्रिंसिपल कुलदीप ने कहा कि उमा जी का खेड़ा गांव वो पावन भूमि है, जहां स्वतंत्रता सेनानी माणिक्य लाल वर्मा ने जन्म लिया. वे राजस्थान के गठन से पूर्व प्रधानमंत्री भी रहे. वर्मा 1952 में टोक और 1957 में चित्तौड़गढ़ से लोकसभा के सदस्य भी रहे. भारत सरकार द्वारा वर्ष 1965 को पद्म भूषण से भी सम्मानित किया गया. उन्होंने बताया कि स्कूल में बनी मुर्ति का अनावरण राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने वर्ष 2002 में किया था.

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