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राजस्थान में यहां मामूली गहराई पर ही मिला तांबा और आयरन का भंडार, दौड़ी खुशी की लहर

राजस्थान के भीलवाड़ा में मामूली गहराई पर ही आयरन ओर व कॉपर के भंडार मिलने के संकेत मिले (Iron ore and copper reserve found in Bhilwara) हैं. गत 22 अगस्त से भीलवाड़ा के चांदगढ़ में 3500 मीटर ड्रिलिंग में करीब 100 मीटर गहराई के 35 बोरहोल्स करवाए गए हैं. इस दौरान 3 बोरहोल्स में तांबा व आयरन मिले हैं.

Iron ore and copper reserve found in Bhilwara
राजस्थान में यहां मामूली गहराई पर ही मिला तांबा और आयरन का भंडार, दौड़ी खुशी की लहर
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Published : Dec 5, 2022, 7:40 PM IST

जयपुर. भीलवाड़ा माइनिंग क्षेत्र के कोटडी तहसील के चांदगढ़ में आयरन ओर (लोह अयस्क) के एक्सप्लोरेशन के दौरान (तांबा) कॉपर के भंडार मिलने के संकेत मिले ( Iron ore and copper reserve found in Bhilwara) हैं. विभाग की ओर से आरएसएमईटी के माध्यम से भीलवाड़ा के कोटडी के चांदगढ़ गांव में आयरन ओर के लिए 3500 मीटर ड्रिलिंग का कार्य करवाया जा रहा है.

एसीएस माइंस एवं पेट्रोलियम डॉ सुबोध अग्रवाल ने बताया कि विभाग ओर से 22 अगस्त को भीलवाड़ा के चांदगढ़ में आयरन ओर के 3500 मीटर ड्रिलिंग का कार्य आरंभ करवाया गया, जिसमें अधिकतम 100 मीटर गहराई के 35 बोर होल्स कार्य प्रगतिरत हैं. ड्रिलिंग के दौरान अभी तक 3 बोरहोल्स में तांबा व आयरन ओर इन्टसेक्ट हुआ है. राजस्थान राज्य खनिज अन्वेषण ट्रस्ट की ओर से करवाये जा रहे ड्रिलिंग से क्षेत्र में स्ट्रेटजिक मिनरल मिलना एक बड़ी उपलब्धि के रुप में देखा जा रहा है. अभी तक की गई कोर ड्रिलिंग के कोर के अध्ययन से क्षेत्र में खनिज तांबा व आयरन ओर के प्रचुर भण्डार की विपुल संभावनाएं हैं.

पढ़ें: अब अलवर कहलाएगी 'गोल्डन' सिटी, सरिस्का में मिला सोना-चांदी और कॉपर का भंडार

शुरूआती अन्वेषण व कोर ड्रिलिंग से मामूली गहराई 5-6 मीटर, 20-25 मीटर और 55-60 मीटर गहराई पर ही आयरन ओर के साथ ही तांबे के भण्डार के नमूने मिलना अच्छे संकेत के रुप में देखा जा रहा है. डॉ अग्रवाल ने बताया कि क्षेत्र में लगभग 1.5 किमी से 2 किमी लंबाई व लगभग 250 से 300 मीटर की चौड़ाई क्षेत्र में कॉपर खनिज की संभावना है. साथ ही क्षेत्र में 500 से 700 मीटर की गहराई पर छिद्रण कार्य किए जाने से खनिज कॉपर के वृहद भंडार मिलने की पूर्ण संभावना है. कॉपर विद्युत सुचालक होने के कारण इसका मुख्य उपयोग विद्युत उपकरण एवं विद्युत उद्योग में किया जाता है तथा मिश्रधातु के रूप में इसका उपयोग पीतल, कांसा तथा स्टेनलेस स्टील बनाने में प्रमुखता से किया जाता है.

पढ़ें: राजस्थान के 15 जिलों में 'यूरेनियम' मिलने की संभावना, AMD ने हेलीबोर्न जियोलॉजिकल सर्वे करने का रखा प्रस्ताव

देश में सर्वाधिक लगभग 54 प्रतिशत कॉपर के भण्डार राजस्थान में हैं. राजस्थान के बाद झारखण्ड तथा मध्य प्रदेश का स्थान आता है. उन्होंने बताया कि भीलवाड़ा में आयरन ओर के साथ कॉपर के डिपोजिट मिलने की संकेत से आशा का संचार हुआ है. राज्य में कॉपर प्रमुख रूप से झुंझुनू के खेतड़ी में पाया जाता है. इसके अतिरिक्त झुंझुनूं के ही मदान-कुदान-कोलिहान, बनवास अकवाली, सिंघाना-मुरादपुर, देवपुरा-बनेरा बेल्ट भीलवाड़ा, डेरी-बसंतगढ़ सिरोही, खो-दरिबा खेड़ा, मुण्डियावास अलवर एवं अंजनी, बेडावल चाटी-मानपुरा जिला उदयपुर में भी कॉपर के भण्डार पाए गए हैं.

जयपुर. भीलवाड़ा माइनिंग क्षेत्र के कोटडी तहसील के चांदगढ़ में आयरन ओर (लोह अयस्क) के एक्सप्लोरेशन के दौरान (तांबा) कॉपर के भंडार मिलने के संकेत मिले ( Iron ore and copper reserve found in Bhilwara) हैं. विभाग की ओर से आरएसएमईटी के माध्यम से भीलवाड़ा के कोटडी के चांदगढ़ गांव में आयरन ओर के लिए 3500 मीटर ड्रिलिंग का कार्य करवाया जा रहा है.

एसीएस माइंस एवं पेट्रोलियम डॉ सुबोध अग्रवाल ने बताया कि विभाग ओर से 22 अगस्त को भीलवाड़ा के चांदगढ़ में आयरन ओर के 3500 मीटर ड्रिलिंग का कार्य आरंभ करवाया गया, जिसमें अधिकतम 100 मीटर गहराई के 35 बोर होल्स कार्य प्रगतिरत हैं. ड्रिलिंग के दौरान अभी तक 3 बोरहोल्स में तांबा व आयरन ओर इन्टसेक्ट हुआ है. राजस्थान राज्य खनिज अन्वेषण ट्रस्ट की ओर से करवाये जा रहे ड्रिलिंग से क्षेत्र में स्ट्रेटजिक मिनरल मिलना एक बड़ी उपलब्धि के रुप में देखा जा रहा है. अभी तक की गई कोर ड्रिलिंग के कोर के अध्ययन से क्षेत्र में खनिज तांबा व आयरन ओर के प्रचुर भण्डार की विपुल संभावनाएं हैं.

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शुरूआती अन्वेषण व कोर ड्रिलिंग से मामूली गहराई 5-6 मीटर, 20-25 मीटर और 55-60 मीटर गहराई पर ही आयरन ओर के साथ ही तांबे के भण्डार के नमूने मिलना अच्छे संकेत के रुप में देखा जा रहा है. डॉ अग्रवाल ने बताया कि क्षेत्र में लगभग 1.5 किमी से 2 किमी लंबाई व लगभग 250 से 300 मीटर की चौड़ाई क्षेत्र में कॉपर खनिज की संभावना है. साथ ही क्षेत्र में 500 से 700 मीटर की गहराई पर छिद्रण कार्य किए जाने से खनिज कॉपर के वृहद भंडार मिलने की पूर्ण संभावना है. कॉपर विद्युत सुचालक होने के कारण इसका मुख्य उपयोग विद्युत उपकरण एवं विद्युत उद्योग में किया जाता है तथा मिश्रधातु के रूप में इसका उपयोग पीतल, कांसा तथा स्टेनलेस स्टील बनाने में प्रमुखता से किया जाता है.

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देश में सर्वाधिक लगभग 54 प्रतिशत कॉपर के भण्डार राजस्थान में हैं. राजस्थान के बाद झारखण्ड तथा मध्य प्रदेश का स्थान आता है. उन्होंने बताया कि भीलवाड़ा में आयरन ओर के साथ कॉपर के डिपोजिट मिलने की संकेत से आशा का संचार हुआ है. राज्य में कॉपर प्रमुख रूप से झुंझुनू के खेतड़ी में पाया जाता है. इसके अतिरिक्त झुंझुनूं के ही मदान-कुदान-कोलिहान, बनवास अकवाली, सिंघाना-मुरादपुर, देवपुरा-बनेरा बेल्ट भीलवाड़ा, डेरी-बसंतगढ़ सिरोही, खो-दरिबा खेड़ा, मुण्डियावास अलवर एवं अंजनी, बेडावल चाटी-मानपुरा जिला उदयपुर में भी कॉपर के भण्डार पाए गए हैं.

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