भीलवाड़ा. आने वाली पीढ़ियां अपने महापुरुषों को याद रखें. इसलिए शहर में हर गली चौराहों और मुहल्लों का नाम उनके नामों पर रखा जाता है, ताकि लोग उनके द्वारा किए गए नेक कार्यों को भी याद रखें.
कुछ यही वजह भी है कि जिला प्रशासन द्वारा महापुरुषों की मूर्तियां लगाई जाती हैं, जिससे की आमजन सहित युवा उनके आदर्शों का पालन कर अपना भविष्य संवार सकें. लेकिन भीलवाड़ा शहर में इसके उलट इन्हीं महापुरुषों की प्रतिमाएं प्रशासन की अनदेखी के चलते धूल फांक रही हैं. हमने इस मुद्दे पर जनता की राय जानी.
पटेल नगर निवासी अमित त्रिवेदी ने कहा कि केंद्र सरकार ने सरदार वल्लभ भाई पटेल की विश्व की सबसे ऊंची मूर्ति स्टैच्यू ऑफ यूनिटी बनवाई. यह मूर्ति लगभग 300 करोड़ की लागत से बनाई गई है. ऐसे ही उनके शहर में भी सरदार वल्लभ भाई की एक मूर्ति है, जो नगर विकास न्यास की अनदेखी के चलते टूट गई है.
उन्होंने कहा कि अगर यहां कोई चौकीदार होता या प्रशासन इसकी देखरेख करवाता तो शायद यह दशा न होती. त्रिवेदी ने बताया कि पटेल ने देश में एक अहम भूमिका निभाई है. देश को एक सम्मान दिया है और उन्हीं की मूर्ति पर आज प्रशासन ध्यान नहीं दे रहा है. इसके साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि शहर में कई अन्य जगहों पर भी महापुरुषों की मूर्तियां लगाई गई हैं, जिनकी हालत कुछ ऐसी ही बनी हुई है.
राधा कृष्ण कॉलोनी निवासी उमेश टेलर ने कहा है कि शहर में जिन महापुरुषों की मूर्तियां लगाई गई हैं. इसकी तरफ प्रशासन तनिक भी ध्यान नहीं दे रहा है. उन्होंने बताया कि जब इन महापुरुषों की जयंती आती है तब प्रशासन को याद आता है की इनकी साफ-सफाई करनी है. वहीं जयंती खत्म होते ही दूसरे दिन प्रशासन इनकी ओर ध्यान ही नहीं देता. प्रशासन की देखरेख के अभाव में यह मूर्तियां टूट रही हैं.
गौरतलब हो कि नगर विकास न्यास द्वारा लाखों रुपए खर्चकर शहर के हर चौराहे पर महापुरुषों के नेक कार्य को याद करने के लिए उनकी मूर्तियां लगाई गई है. जहां उनका सम्मान तो दूर यूआईटी इनकी देखरेख तक नहीं कर पा रही है. जब ईटीवी भारत ने इस बारे में बात करना चाहा तो चुनाव कार्यों में व्यस्त होना बताकर बात करने से इंकार कर दिया.
ऐसे में अब देखना यह है कि नगर विकास न्यास कब इन मूर्तियों की ओर ध्यान देकर इनकी मरम्मत करवाता है या ये मूर्तियां ऐसे ही अपनी बदहाली पर आंसू बहाती रहेगी.