भीलवाड़ा. निकाय चुनाव के तहत दोनों प्रमुख दल बीजेपी और कांग्रेस से टिकट नहीं मिलने के कारण कई बागी होकर चुनाव मैदान में हैं. जहां आज नामांकन वापस लेने का अंतिम दिन है. इन बागियों की मान-मनुवाद जारी है. भीलवाड़ा नगर परिषद के पूर्व सभापति और साल 2018 में निर्दलीय विधायक के रूप में भाग्य आजमाने वाले ओम नारायणी वाल ने ईटीवी भारत से खास बातचीत की.
बातचीत के दौरान उन्होंने कहा कि हम इस निकाय चुनाव में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की दो साल की योजना को लेकर चुनाव मैदान में जा रहे हैं. साल 2005 में जब भीलवाड़ा में कांग्रेस का बोर्ड बना, उस समय मैं सभापति बना. साल 2005 से 2010 तक का स्वर्णिम कार्यकाल रहा. तब भीलवाड़ा शहर में काफी विकास के काम हुए. उसके बाद साल 2010 से 2020 तक बीजेपी के सभापति रहे. उस दौरान असफलता और भ्रष्टाचार से जनता परेशान रही. उनके खिलाफ हम चुनाव मैदान में जनता के बीच जा रहे हैं. साथ ही जनता को यह बता रहे हैं कि 10 साल में भीलवाड़ा कितना पिछड़ गया है और अब हम प्रदेश में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के भरोसे भीलवाड़ा को और आगे बढ़ाना चाहते हैं.
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मुख्यमंत्री अशोक गहलोत हमारे वरिष्ठ विधायक रामलाल जाट का सपना है कि भीलवाड़ा में कांग्रेस का बोर्ड बने, जिससे भीलवाड़ा का पिछड़ापन दूर होकर आगे बढ़ सके. हम पुलिया योजना, पालड़ी योजना, आवारा पशु, सड़क, नाली और सफाई आदि आदि मुद्दों को लेकर हम चुनाव मैदान में जा रहे हैं. वहीं साल 2005 में जब मैं सभापति था, तब अंदर ग्राउंड पार्किंग का सपना था. वह अभी तक पूरा नहीं हो पाया है. उसको अगर कांग्रेस का बोर्ड बनता है तो पूरा करने का प्रयास करेंगे.
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वहीं कांग्रेस से बागी होकर चुनाव मैदान में डटे रूठे लोगों को मनाने का क्या प्रयास किया जा रहा है, जिस पर पूर्व सभापति ओम नारायणी वाल ने कहा कि कांग्रेस के अंदर कोई नाराजगी नहीं है. कांग्रेस से ज्यादा नाराजगी तो बीजेपी के अंदर है. वहां राजनेताओं में फुट है. टिकट मांगने का हर कार्यकर्ता को अधिकार है, लेकिन टिकट नहीं मिलने के बाद हम रूठे को मना लेंगे और हम सभी साथ मिलकर चुनाव मैदान में जा रहे हैं. मुझे आशा और विश्वास है कि साल 2021 में भीलवाड़ा नगर परिषद के लिए कांग्रेस का बोर्ड बनेगा.
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वहीं साल 2018 में निर्दलीय विधायक का चुनाव लड़ने के सवाल पर उन्होंने कहा कि साल 2018 में मैंने विधानसभा चुनाव में निर्दलीय के रूप में भाग्य आजमाया था. मैं चुनाव नहीं लड़ना चाहता था. लेकिन कार्यकर्ताओं के कारण चुनाव मैदान में गया और मुझे वापस लोकसभा चुनाव में कांग्रेस पार्टी में लिया गया. हमारे उस समय के कांग्रेस प्रत्याशी अनिल डांगी सहित किसी भी राजनेता के साथ न मतभेद है न मनभेद है. हम सभी एक जाजम पर बैठकर प्रत्याशियों की घोषणा किए हैं और हम सब एकजुट होकर चुनाव मैदान में जा रहे हैं.