भीलवाड़ा. राजस्थान के भीलवाड़ा में हिंदुस्तान जिंक लिमिटेड के पास बसे भेरू खेड़ा गांव के मकानों में दरारें आ चुकी हैं. ईटीवी भारत के साथ बातचीत में ग्रामवासियों का दर्द छलक पड़ा. ग्रामवासियों का आरोप है कि प्रशासन और सरकार हमारी पीड़ा को नहीं सुन रहे हैं, साथ ही जब रात को हम मकान में सोते हैं तो छत पर दरारें देखकर नींद भी नहीं आती. वे हमेशा मौत के साए में रात गुजारने को मजबूर हैं. वर्ष 2010 में भेरू खेड़ा गांव कंपनी की परिधि में आने के कारण हिंदुस्तान जिंक लिमिटेड के पास ही 300 मीटर दूरी पर भेरू खेड़ा प्रथम (सतपाल नगर) के नाम से नया गांव डवलप किया था. उस नए गांव में वर्ष 2014 तक काफी मेहनत कर ग्रामवासियों ने बड़े इरादे के साथ मकान बनाए थे.
ग्रामवासियों का सपना था कि अब हमारे को जीवन भर नया मकान नहीं बनाना पड़ेगा और हमें बने हुऐ मकान में जीवन बिताने में कोई दिक्कत नहीं होगी. लेकिन वर्ष 2014 से आज तक अनवरत हिंदुस्तान जिंक लिमिटेड के खनन के दौरान ब्लास्टिंग से (Farmers against HZL) उन मकान बनाने वाले किसान, आमजन और पशुपालकों के सपने चकनाचूर हो गए. महज 8 साल में ही पत्थर व सीमेंट से बने पक्के मकान में दरारें आ गई हैं. मकान में कई जगह तो यह दरारें 1 से 2 इंच चौड़ी हैं.
भेरू खेड़ा प्रथम गांव के पुखराज गुर्जर ने बताया कि वे खेती व पशुपालन का काम करते हैं. वर्ष 2014 में बड़ी उम्मीद के साथ मकान बनाया, लेकिन वर्तमान में पूरे मकान में दरारें आ चुकी हैं. अब वापस नया मकान बनाना हमारे बस की बात नहीं है, क्योंकि हम किसानी के काम पर ही आश्रित हैं. वहीं, नंदलाल गुर्जर ने कहा कि हिंदुस्तान जिंक लिमिटेड के ब्लास्टिंग से मकान में दरारें आई हैं. हमारा गांव हिंदुस्तान जिंक लिमिटेड के पास स्थित था, लेकिन कंपनी के खनन का मलवा पड़ने के कारण हिंदुस्तान जिंक लिमिटेड ने पास ही 300 मीटर की दूरी वर्ष 2010 मे नया गांव डवलप किया था. जहां 2010 में नए गांव के लिए भूमि आरक्षित होने के बाद उस भूमि पर हमने बड़ी मेहनत और सपने के साथ वर्ष 2014 तक मकान बनाया.
लेकिन Hindustan Zinc की ब्लास्टिंग के कारण कंपन होने से महज 8 वर्ष में ही मकान में दरारें आ चुकी हैं. जहां रात को हम सोते हैं तो भी हमारे को हमेशा (Cracks in Houses due to Blasting) डर सताता रहता है. वहीं, भगवानी बाई गुर्जर ने बताया कि हम सिर्फ खेती व पशुपालन का काम करते हैं. बड़ी मेहनत के साथ मकान बनाया था और सपना देखा था कि अब 50 वर्ष तक हमारे दोनों बेटों के लिए नया मकान नहीं बनाना पड़ेगा. लेकिन महज 8 वर्ष में ही हमारा सपना चकनाचूर हो गया और हिंदुस्तान जिंक लिमिटेड के ब्लास्टिंग से मकान में दरारें आ गई हैं.
उन्होंने आगे काह कि जब वे रात को कमरे में सोती हैं तो कमरे की छत पर दरारें देखकर उन्हें रात को नींद (Villagers on Hindustan Zinc Limited in Bhilwara) नहीं आती है और हमेशा मन में डर रहता है कि कहीं यह छत उनके ऊपर ही नहीं गिर जाए. भगवानी बाई गुर्जर ने कहा कि हम तो प्रशासन से यही चाहते हैं कि अब हम नया मकान नहीं बना सकते हैं. ऐसे में इसको ठीक करवाएं और हमारे को मुआवजा दें.
गौरतलब है कि हिंदुस्तान जिंक लिमिटेड के खनन के दौरान पर्यावरण नियमों की अवहेलना करने के कारण फरवरी माह के प्रथम पखवाड़े में HZL पर एनजीटी ने 25 करोड रुपये की क्षतिपूर्ति (HZL Environmental Norms Violation) राशि भीलवाड़ा जिला कलेक्टर को जमा करवाने के निर्देश दिए थे. जहां यह 25 करोड़ रुपये की क्षतिपूर्ति राशि का जुर्माना लगाने से पहले एनजीटी द्वारा गठित एक कमेटी कंपनी के पेराफेरी क्षेत्र में सर्वे करने आई थी. उस कमेटी में गुलाबपुरा उपखंड अधिकारी विकास मोहन भाटी भी शामिल थे.
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उन्होंने हिंदुस्तान जिंक लिमिटेड के पास पानी, पर्यावरण व मकानों में दरारों का मुद्दा भी शामिल किया था. उसी मुद्दे के आधार पर नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल Hindustan Zinc Limited पर 25 करोड़ रुपये की क्षतिपूर्ति के निर्देश दिए थे. अब देखना यह होगा कि हिंदुस्तान जिंक लिमिटेड के पास नए डवलप किए भेरू खेड़ा गांव के मकानों में दरारें आ गई हैं, उन मकान मालिक को दर्द पर महरम लगाने के लिए जिला प्रशासन व सरकार क्या कार्रवाई करते हैं या नहीं करते.