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राजस्थान: सड़ी-गली सब्जियों और कचरे से बनाई जा रही CNG गैस और खाद

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Published : Jul 3, 2021, 10:57 PM IST

भीलवाड़ा जिले के बारानी अनुसंधान केंद्र (Barani Research Center) में सड़ी-गली सब्जी व वेस्ट से CNG गैस और खाद बनाई जा रही है. ईटीवी भारत ने वरिष्ठ वैज्ञानिक अनिल कोठारी से खास बातचीत की. उन्होंने बताया कि पर्यावरण को शुद्ध रखने के उद्देश्य से यहां खाद गैस बनाई जा रही है.

Gas being made from rotten vegetables, Barani Research Center
सड़ी-गली सब्जियों और कचरे से बनाई जा रही CNG गैस और खाद

भीलवाड़ा. एक ओर शहर में ग्रामीण क्षेत्र में वेस्ट कचरे, सड़ी-गली सब्जी और फल को खुले में फेंक दिया जाता है, जिससे पर्यावरण प्रदूषित हो रहा है. इससे बचने के लिए भीलवाड़ा जिले के बारानी अनुसंधान केंद्र में सड़ी-गली सब्जी व वेस्ट से CNG गैस और खाद बनाई जा रही है.

पढ़ें- 1933 में दुर्घटनावश हुआ निर्माण, आज पर्यावरण का सबसे बड़ा दुश्मन है प्लास्टिक

ईटीवी भारत की टीम भीलवाड़ा के बारानी अनुसंधान केंद्र (Barani Research Center) पहुंची, जहां वरिष्ठ वैज्ञानिक अनिल कोठारी से खास बातचीत की. वरिष्ठ वैज्ञानिक अनिल कोठारी ने ईटीवी भारत से खास बातचीत करते हुए कहा कि धरती से जो पोषक तत्व लिए जा रहे हैं उनकी वापस पूर्ति हो सके और स्वच्छता के साथ पर्यावरण शुद्ध रहे इसी उद्देश्य को लेकर यहां खाद गैस बनाई जा रही है. साथ ही इससे बिजली का भी उत्पादन हो रहा है.

सड़ी-गली सब्जियों और कचरे से बनाई जा रही CNG गैस और खाद

RKY के तहत बनाया गया प्लांट

अनिल काठोरी ने कहा कि यह प्लांट RKY के तहत बनाया गया है. जहां राजस्थान सरकार ने इसमें फाइनेंस किया है. ढाई करोड़ रुपए की लागत का यह प्लांट है, जिसकी शुरुआत वर्ष 2018 में हुई थी. प्रतिदिन यहां 120 क्यूबिक मीटर बायो गैस बनाई जा रही है. इस प्लांट में 3 टन वेस्ट कचरा, वेस्ट सब्जी और फल को एक बार में काम में लिया जा सकता है, लेकिन वर्तमान में यहां 1.5 टन वेस्ट कचरा, सड़ी गली सब्जियां और फल से बायोगैस और बायो सीएनजी बनाई जा रही है.

Gas being made from rotten vegetables, Barani Research Center
सड़ी-गली सब्जियां

पढ़ें. प्लास्टिक प्रदूषण के खिलाफ अभियान में वैश्विक कोशिश नाकाफी : संयुक्त राष्ट्र

प्लांट शुरू करने का मुख्य उद्देश्य

इस प्लांट के मुख्य उद्देश्य के सवाल पर वरिष्ठ वैज्ञानिक ने कहा कि इसका मुख्य उद्देश्य है कि जो किसान और आमजन धरती से आवश्यक पोषक तत्व लेते हैं, उस धरती में वापस पोषक तत्वों की पूर्ति हो. साथ ही जो सड़ी गली सब्जियां लोग खुले में फेंकते हैं जिससे पर्यावरण प्रदूषित हो रहा है, उससे बचने के लिए यह गैस प्लांट लगाया गया है.

Gas being made from rotten vegetables, Barani Research Center
बारानी अनुसंधान केंद्र

सीएनजी गैस बनाने में काम लेने वाली सामग्री

अनिल कोठारी ने कहा कि सड़ी गली सब्जियां, फल और वेस्ट से पर्यावरण दूषित हो रहा है और इसका उपयोग कर गैस और खाद बनाई जा रही है. जो ज्यादा गैस बनती है उसे हम बायो सीएनजी में परिवर्तित कर लेते हैं. उससे इंजन और जनरेटर चलाकर पूरे प्लांट में बिजली सप्लाई होती है.

Gas being made from rotten vegetables, Barani Research Center
बारानी अनुसंधान केंद्र

पढ़ें- International Plastic Bag Free Day : बैन के बावजूद राजस्थान में हर दिन 1100 टन से ज्यादा प्लास्टिक वेस्ट जनरेट, ऐसे कैसे होगा पर्यावरण सुरक्षित

शहरवासियों के की अपील

कोठारी ने कहा कि शहर में अब धीरे-धीरे लोगों में जागरूकता की जरूरत है. उन्होंने शहरवासियों और जिला प्रशासन से साथ देने की अपील की. उन्होंने कहा कि अगर भीलवाड़ा स्वच्छ और सुंदर रह सकेगा.

भीलवाड़ा. एक ओर शहर में ग्रामीण क्षेत्र में वेस्ट कचरे, सड़ी-गली सब्जी और फल को खुले में फेंक दिया जाता है, जिससे पर्यावरण प्रदूषित हो रहा है. इससे बचने के लिए भीलवाड़ा जिले के बारानी अनुसंधान केंद्र में सड़ी-गली सब्जी व वेस्ट से CNG गैस और खाद बनाई जा रही है.

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ईटीवी भारत की टीम भीलवाड़ा के बारानी अनुसंधान केंद्र (Barani Research Center) पहुंची, जहां वरिष्ठ वैज्ञानिक अनिल कोठारी से खास बातचीत की. वरिष्ठ वैज्ञानिक अनिल कोठारी ने ईटीवी भारत से खास बातचीत करते हुए कहा कि धरती से जो पोषक तत्व लिए जा रहे हैं उनकी वापस पूर्ति हो सके और स्वच्छता के साथ पर्यावरण शुद्ध रहे इसी उद्देश्य को लेकर यहां खाद गैस बनाई जा रही है. साथ ही इससे बिजली का भी उत्पादन हो रहा है.

सड़ी-गली सब्जियों और कचरे से बनाई जा रही CNG गैस और खाद

RKY के तहत बनाया गया प्लांट

अनिल काठोरी ने कहा कि यह प्लांट RKY के तहत बनाया गया है. जहां राजस्थान सरकार ने इसमें फाइनेंस किया है. ढाई करोड़ रुपए की लागत का यह प्लांट है, जिसकी शुरुआत वर्ष 2018 में हुई थी. प्रतिदिन यहां 120 क्यूबिक मीटर बायो गैस बनाई जा रही है. इस प्लांट में 3 टन वेस्ट कचरा, वेस्ट सब्जी और फल को एक बार में काम में लिया जा सकता है, लेकिन वर्तमान में यहां 1.5 टन वेस्ट कचरा, सड़ी गली सब्जियां और फल से बायोगैस और बायो सीएनजी बनाई जा रही है.

Gas being made from rotten vegetables, Barani Research Center
सड़ी-गली सब्जियां

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प्लांट शुरू करने का मुख्य उद्देश्य

इस प्लांट के मुख्य उद्देश्य के सवाल पर वरिष्ठ वैज्ञानिक ने कहा कि इसका मुख्य उद्देश्य है कि जो किसान और आमजन धरती से आवश्यक पोषक तत्व लेते हैं, उस धरती में वापस पोषक तत्वों की पूर्ति हो. साथ ही जो सड़ी गली सब्जियां लोग खुले में फेंकते हैं जिससे पर्यावरण प्रदूषित हो रहा है, उससे बचने के लिए यह गैस प्लांट लगाया गया है.

Gas being made from rotten vegetables, Barani Research Center
बारानी अनुसंधान केंद्र

सीएनजी गैस बनाने में काम लेने वाली सामग्री

अनिल कोठारी ने कहा कि सड़ी गली सब्जियां, फल और वेस्ट से पर्यावरण दूषित हो रहा है और इसका उपयोग कर गैस और खाद बनाई जा रही है. जो ज्यादा गैस बनती है उसे हम बायो सीएनजी में परिवर्तित कर लेते हैं. उससे इंजन और जनरेटर चलाकर पूरे प्लांट में बिजली सप्लाई होती है.

Gas being made from rotten vegetables, Barani Research Center
बारानी अनुसंधान केंद्र

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शहरवासियों के की अपील

कोठारी ने कहा कि शहर में अब धीरे-धीरे लोगों में जागरूकता की जरूरत है. उन्होंने शहरवासियों और जिला प्रशासन से साथ देने की अपील की. उन्होंने कहा कि अगर भीलवाड़ा स्वच्छ और सुंदर रह सकेगा.

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