भीलवाड़ा. एक ओर शहर में ग्रामीण क्षेत्र में वेस्ट कचरे, सड़ी-गली सब्जी और फल को खुले में फेंक दिया जाता है, जिससे पर्यावरण प्रदूषित हो रहा है. इससे बचने के लिए भीलवाड़ा जिले के बारानी अनुसंधान केंद्र में सड़ी-गली सब्जी व वेस्ट से CNG गैस और खाद बनाई जा रही है.
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ईटीवी भारत की टीम भीलवाड़ा के बारानी अनुसंधान केंद्र (Barani Research Center) पहुंची, जहां वरिष्ठ वैज्ञानिक अनिल कोठारी से खास बातचीत की. वरिष्ठ वैज्ञानिक अनिल कोठारी ने ईटीवी भारत से खास बातचीत करते हुए कहा कि धरती से जो पोषक तत्व लिए जा रहे हैं उनकी वापस पूर्ति हो सके और स्वच्छता के साथ पर्यावरण शुद्ध रहे इसी उद्देश्य को लेकर यहां खाद गैस बनाई जा रही है. साथ ही इससे बिजली का भी उत्पादन हो रहा है.
RKY के तहत बनाया गया प्लांट
अनिल काठोरी ने कहा कि यह प्लांट RKY के तहत बनाया गया है. जहां राजस्थान सरकार ने इसमें फाइनेंस किया है. ढाई करोड़ रुपए की लागत का यह प्लांट है, जिसकी शुरुआत वर्ष 2018 में हुई थी. प्रतिदिन यहां 120 क्यूबिक मीटर बायो गैस बनाई जा रही है. इस प्लांट में 3 टन वेस्ट कचरा, वेस्ट सब्जी और फल को एक बार में काम में लिया जा सकता है, लेकिन वर्तमान में यहां 1.5 टन वेस्ट कचरा, सड़ी गली सब्जियां और फल से बायोगैस और बायो सीएनजी बनाई जा रही है.
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प्लांट शुरू करने का मुख्य उद्देश्य
इस प्लांट के मुख्य उद्देश्य के सवाल पर वरिष्ठ वैज्ञानिक ने कहा कि इसका मुख्य उद्देश्य है कि जो किसान और आमजन धरती से आवश्यक पोषक तत्व लेते हैं, उस धरती में वापस पोषक तत्वों की पूर्ति हो. साथ ही जो सड़ी गली सब्जियां लोग खुले में फेंकते हैं जिससे पर्यावरण प्रदूषित हो रहा है, उससे बचने के लिए यह गैस प्लांट लगाया गया है.
सीएनजी गैस बनाने में काम लेने वाली सामग्री
अनिल कोठारी ने कहा कि सड़ी गली सब्जियां, फल और वेस्ट से पर्यावरण दूषित हो रहा है और इसका उपयोग कर गैस और खाद बनाई जा रही है. जो ज्यादा गैस बनती है उसे हम बायो सीएनजी में परिवर्तित कर लेते हैं. उससे इंजन और जनरेटर चलाकर पूरे प्लांट में बिजली सप्लाई होती है.
शहरवासियों के की अपील
कोठारी ने कहा कि शहर में अब धीरे-धीरे लोगों में जागरूकता की जरूरत है. उन्होंने शहरवासियों और जिला प्रशासन से साथ देने की अपील की. उन्होंने कहा कि अगर भीलवाड़ा स्वच्छ और सुंदर रह सकेगा.