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Special: लाछुड़ा ग्राम पंचायत बनी मिसाल, गांव की हर गली में डली सीवर लाइन, शहरों में अब भी काम अधूरा

कहते हैं जहां चाह है वहां राह है... समाज के लिए कुछ अच्छा करने की चाहत हो तो रास्ते अपने आप ही बनते जाते हैं. भीलवाड़ा जिले के आसींद पंचायत समिति की लाछुड़ा ग्राम पंचायत मुख्यालय की सरपंच सुमनलता मेवाड़ा इस बात को साबित भी कर दिया. देश के बड़े महानगरों में और जिला मुख्यालय पर आज भी सीवरेज का काम चल रहा है लेकिन लाछुडा गांव को प्रदूषण और मौसमी बीमारियों से निजात दिलाने के लिए गांव सरपंच ने यहां 3 वर्ष पहले सीवरेज का काम शुरू किया जो अब पूरा भी हो चुका है.

There is a sewer line in every lane in Lachhuda Gram Panchayat
लाछुड़ा ग्राम पंचायत में हर गली में है सीवर लाइन
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Published : Nov 6, 2020, 8:12 PM IST

भीलवाड़ा. इरादा पक्का हो और दिल में कुछ कर गुजरने की चाहत हो तो सफलता के रास्ते अपने आप ही बनते जाते हैं. भीलवाड़ा जिले के आसींद पंचायत समिति की लाछुड़ा ग्राम पंचायत मुख्यालय की सरपंच सुमनलता मेवाड़ा इस बात का जीता जागता उदाहरण है. देश के बड़े महानगरों में और जिला मुख्यालय पर आज भी सीवरेज का काम चल रहा है लेकिन लाछुड़ा गांव को प्रदूषण और मौसमी बीमारियों से निजात दिलाने के लिए गांव सरपंच ने यहां 3 वर्ष पहले सीवरेज का काम शुरू किया जो अब पूरा भी हो चुका है.

लाछुड़ा ग्राम पंचायत में हर गली में है सीवर लाइन

सरपंच सुमनलता मेवाड़ा से जब ईटीवी भारत ने बातचीत की तो उन्होंने कहा कि गांव में सामाजिक कुरीतियां मिटाने और बालिका शिक्षा को बढ़ावा देना ही उनका प्रमुख उद्देश्य है. गांव को प्रदूषण मुक्त बनाने के लिए किए गए प्रयासों के कारण जनता ने मुझ पर दोबारा भरोसा जताया है.

समाज का विकास करने की इच्छा हो और मेहनत से काम करे तो सफलता मिल ही जाती है. भीलवाड़ा जिले के आसींद पंचायत समिति की लाछुडा ग्राम पंचायत मुख्यालय की सरपंच सुमनलता ने कुछ ऐसी ही सोच के साथ ने अपने कार्यों को अंजाम दिया है. देश के बड़े महानगरों और जिला मुख्यालय पर अब भी सीवरेज का काम चल रहा है जबकि राजस्थान के इस गांव में सबसे पहले सीवरेज लाइन का काम पूरा कर इसे प्रदूषण मुक्त किया है.

Dirty water does not flow on the road
सड़क पर नहीं बहता गंदा पानी

यह भी पढ़ें: SPECIAL: अब अलवर से होकर गुजरेगा दिल्ली-बड़ोदरा एक्सप्रेसवे, बदलेगी की शहर की सूरत

ईटीवी भारत की टीम जब इस गांव में धरातल पर स्थिति देखने गई तो वह भी अचंभित रह गई. जिला मुख्यालय भीलवाड़ा पर वर्तमान में सीवरेज का काम चल रहा है जबकि लाछुड़ा में 3 वर्ष पहले शुरू हुआ सीवरेज का काम पूरा हो चुका है. गांव की प्रत्येक गली में सीवर लाइन डाली जा चुकी है. सीवरेज लाइन में किसी प्रकार का कचरा नहीं जाए इसके लिए हर घर के बाहर जाली भी लगाई गई है. लाइन में जगह-जगह चेंबर लगे हुए हैं जिससे कचरा भी निकाल सकते हैं. यहां सीवर लाइन डालने से गांव में लड़ाई झगड़े बंद हो गए हैं और रास्ते भी चौड़े हो गए हैं.

No dirt in the streets
गलियों में नहीं दिखती गंदगी

लाछुड़ा गांव की स्थिति
लाछुड़ा गांव आसींद पंचायत समिति क्षेत्र में है. इसमें 4 गांव पंचायत में लगते हैं. छापरिया खेड़ा, सोनारेल, सूरजपुरा और भीलों का खेड़ा सम्मलित है. गांव की कुल जनसंख्या 5500 है और कुल वोटर 3600 हैं. गांव में कुल 11 वार्ड हैं जहां वर्तमान में महिला संरपच हैं.

गांव की निवासी प्रेम देवी ने ईटीवी भारत से बातचीत में कहा कि साफ-सफाई के मामले में यह गांव बहुत बढ़िया है. ऐसी सफाई तो भीलवाड़ा शहर में भी नहीं है. सीवर लाइन डालने से गांव में गंदे पानी बहने को लेकर लड़ाई-झगड़े भी खत्म हो गए हैं. पहले कचरा फैलाने को लेकर आए दिन पड़ोसियों में झगड़े होते थे. वहीं गांव की कमला देवी ने कहा कि ऐसा गांव तो हमने कहीं नहीं देखा है. स्वच्छता में नंबर वन है. नालियों की सफाई से हमें निजात मिल गई है और पड़ोसियों में अब झगड़े बंद हो गए हैं. हम सब भाईचारे से रहते हैं.

Changing circumstances due to falling of sewer line
सीवर लाइन पड़ने से बदले हालात

यह भी पढ़ें: Special: राजस्थान में लॉकडाउन के बाद बढ़े सड़क हादसे, तमिलनाडु की तर्ज पर बनेगा सड़क सुरक्षा रोड मैप

गांव में कुछ ही जगह कच्चे मकान दिख रहे हैं. घर के गेट पर बैठे बुजुर्ग बंसीदास ने भी कहा कि मेरी उम्र भले ही 80 वर्ष हो गई है लेकिन मैंने कभी नहीं सोचा था कि हमारा गांव ऐसा साफ-सुथरा और प्रदूषण मुक्त होगा. सीवर लाइन डालने से गांव प्रदूषण मुक्त हो गया है. गांव की हरखू देवी ने कहा कि गांव में कचरा फैलना कम हो गया है. बड़े-बड़े शहरों में अब पाइप लाइन डाली जा रही है जबकि यहां तीन साल पहले ही पाइप लाइन डाली जा चुकी है. इससे गंदगी नहीं फैलती है.

पहले टूटी रहती थीं नालियां

गांव के बुजुर्ग शिवनाथ ने कहा कि मैं मजदूरी करता हूं. पहले नालियां टूटी और गंदी रहती थीं जिससे मच्छर फेलते थे. अब सीवर लाइन डाल दी है जिसमें कचरा निकालने के लिए चेंबर भी बनाए गए हैं. ऐसा काम और ऐसा गांव राजस्थान में सब जगह होना चाहिए ताकि मौसमी बीमारियां नहीं फैले और स्वच्छ भारत का सपना भी पूरा हो. गांव के युवक ऋषि ने कहा कि मुझे नहीं लगता कि मेरा गांव शहर से कम है. मेरा गांव शहर की तुलना में बेहतर है क्योंकि यहां की आबोहवा बहुत ही शुद्ध है और स्वच्छता में भी यह शहरों से बेहतर स्थिति में है.

गांव में विकास कार्य कराने देने वाली दूसरी बार सरपंच चुनी सुमनलता मेवाड़ा ने ईटीवी भारत से खास बातचीत में कहा कि मेरी जन्म स्थली कस्बे में थी. मेरी शादी ग्रामीण क्षेत्र में कर दी गई. यहां का माहौल और कस्बे के माहौल में काफी अंतर था. फिर शिक्षा की वजह से मुझे यहां सरपंच बनने का मौका मिला. तभी मैंने यह प्रण लिया कि मैं अपने गांव को स्वच्छता की ओर लेकर जाउंगी. उसी तर्ज पर काम शुरू किया. ग्रामीण क्षेत्र में सीवर लाइन डलवाने का काम किया. हमारा जिला मुख्यालय भीलवाड़ा है लेकिन वहां सीवरेज का काम अब भी चल रहा है जबकि हमने यहां 3 वर्ष पहले ही काम पूरा करा लिया.

यह भी पढ़ें: Special: जल सरंक्षण ने बदल दी झुंझुनू के इस गांव की किस्मत, बढ़ गया फसलों का उत्पादन

मैंने विकास के मुद्दे पर पुनः चुनाव लड़ा और जनता ने मुझे आशीर्वाद देकर दोबारा सरपंच बनाया है. मैं गांव की महिलाओं से अपील करूंगी कि वे कोई भी समस्या हो तो बेहिचक मुझे बताएं. मैं उनकी समस्याओं को दूर करने का पूरा प्रयास करूंगी. साथ ही गांव में सामाजिक कुरीतियां मिटाना और बालिका शिक्षा को बढ़ावा देना ही मेरी प्राथमिकता है. बालिकाओं को अग्रणी शिक्षा मिले इसके लिए हमेशा प्रयासरत रहूंगी.

स्वच्छ भारत मिशन के तहत किया काम

आसींद पंचायत समिति के सहायक अभियंता गोपाल लाल टेलर ने कहा कि हमने स्वच्छ भारत मिशन के तहत यह काम किया है. पहले गांव में नालियां टूटी होने की शिकायत मिलती रहती थी. हमने यह निर्णय लिया कि स्वच्छ भारत मिशन से जो अनुदान राशि प्राप्त होती है, उनसे सीवरेज लाइन डाल दी जाए तो यहां परमानेंट काम हो जाएगा. इससे स्वच्छता भी रहेगी और किसी प्रकार की बीमारी भी नहीं फैलेगी. हमने सर्वे करके सीवरेज लाइन डलवाई जिससे हर घर को जोड़ा.

यह भी पढ़ें: SPECIAL: 8 साल से अधूरी सड़क पर टोल की फसल काट रहे मंत्री आंजना

गांव के सामाजिक कार्यकर्ता व सरपंच पति ताराचंद मेवाड़ा ने ईटीवी भारत से बातचीत में कहा कि सबसे पहले गांव को रोग मुक्त करने का विचार आया था. जब गांव स्वच्छ होगा तो रोग मुक्त होगा और लोगों की मानसिकता में भी परिवर्तन आएगा. उसके लिए हमने सरकार के पैसों की बर्बादी रोकने के लिए सीवरेज का काम पूरा किया. इससे हर वर्ष नाली निर्माण करने का पैसा खर्च नहीं हो रहा है और उस पैसे को दूसरे विकास कार्य में लगाया जा रहा है. इस काम में 20 लाख रुपए खर्च आया.

कुछ बाहरी इलाके में काम बाकी हैं. उनका भी प्रारूप तैयार कर लिया गया है और इस कार्यकाल में उसे भी पूरा कर दिया जाएगा. राजस्थान ही नहीं देश भर में किसी पंचायत मुख्यालय पर सीवरेज का काम पूरा नहीं हुआ है. जबकि भीलवाड़ा जिले की इस छोटे से गांव में सीवरेज का काम पूरा हो गया है. इससे लड़ाई से भी मुक्ति मिली है और राजकोष का खर्च भी बच रहा है. वहीं एक अन्य वृद्धजन ने कहा कि हमारे गांव की जितनी तारीफ की जाए कम है. वास्तव में इसी तरह सभी जगह काम होना चाहिए जिससे लोगों में आपसी सामंजस्य बना रहे और प्रदूषण और गंदगी से मुक्ति मिले.

भीलवाड़ा. इरादा पक्का हो और दिल में कुछ कर गुजरने की चाहत हो तो सफलता के रास्ते अपने आप ही बनते जाते हैं. भीलवाड़ा जिले के आसींद पंचायत समिति की लाछुड़ा ग्राम पंचायत मुख्यालय की सरपंच सुमनलता मेवाड़ा इस बात का जीता जागता उदाहरण है. देश के बड़े महानगरों में और जिला मुख्यालय पर आज भी सीवरेज का काम चल रहा है लेकिन लाछुड़ा गांव को प्रदूषण और मौसमी बीमारियों से निजात दिलाने के लिए गांव सरपंच ने यहां 3 वर्ष पहले सीवरेज का काम शुरू किया जो अब पूरा भी हो चुका है.

लाछुड़ा ग्राम पंचायत में हर गली में है सीवर लाइन

सरपंच सुमनलता मेवाड़ा से जब ईटीवी भारत ने बातचीत की तो उन्होंने कहा कि गांव में सामाजिक कुरीतियां मिटाने और बालिका शिक्षा को बढ़ावा देना ही उनका प्रमुख उद्देश्य है. गांव को प्रदूषण मुक्त बनाने के लिए किए गए प्रयासों के कारण जनता ने मुझ पर दोबारा भरोसा जताया है.

समाज का विकास करने की इच्छा हो और मेहनत से काम करे तो सफलता मिल ही जाती है. भीलवाड़ा जिले के आसींद पंचायत समिति की लाछुडा ग्राम पंचायत मुख्यालय की सरपंच सुमनलता ने कुछ ऐसी ही सोच के साथ ने अपने कार्यों को अंजाम दिया है. देश के बड़े महानगरों और जिला मुख्यालय पर अब भी सीवरेज का काम चल रहा है जबकि राजस्थान के इस गांव में सबसे पहले सीवरेज लाइन का काम पूरा कर इसे प्रदूषण मुक्त किया है.

Dirty water does not flow on the road
सड़क पर नहीं बहता गंदा पानी

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ईटीवी भारत की टीम जब इस गांव में धरातल पर स्थिति देखने गई तो वह भी अचंभित रह गई. जिला मुख्यालय भीलवाड़ा पर वर्तमान में सीवरेज का काम चल रहा है जबकि लाछुड़ा में 3 वर्ष पहले शुरू हुआ सीवरेज का काम पूरा हो चुका है. गांव की प्रत्येक गली में सीवर लाइन डाली जा चुकी है. सीवरेज लाइन में किसी प्रकार का कचरा नहीं जाए इसके लिए हर घर के बाहर जाली भी लगाई गई है. लाइन में जगह-जगह चेंबर लगे हुए हैं जिससे कचरा भी निकाल सकते हैं. यहां सीवर लाइन डालने से गांव में लड़ाई झगड़े बंद हो गए हैं और रास्ते भी चौड़े हो गए हैं.

No dirt in the streets
गलियों में नहीं दिखती गंदगी

लाछुड़ा गांव की स्थिति
लाछुड़ा गांव आसींद पंचायत समिति क्षेत्र में है. इसमें 4 गांव पंचायत में लगते हैं. छापरिया खेड़ा, सोनारेल, सूरजपुरा और भीलों का खेड़ा सम्मलित है. गांव की कुल जनसंख्या 5500 है और कुल वोटर 3600 हैं. गांव में कुल 11 वार्ड हैं जहां वर्तमान में महिला संरपच हैं.

गांव की निवासी प्रेम देवी ने ईटीवी भारत से बातचीत में कहा कि साफ-सफाई के मामले में यह गांव बहुत बढ़िया है. ऐसी सफाई तो भीलवाड़ा शहर में भी नहीं है. सीवर लाइन डालने से गांव में गंदे पानी बहने को लेकर लड़ाई-झगड़े भी खत्म हो गए हैं. पहले कचरा फैलाने को लेकर आए दिन पड़ोसियों में झगड़े होते थे. वहीं गांव की कमला देवी ने कहा कि ऐसा गांव तो हमने कहीं नहीं देखा है. स्वच्छता में नंबर वन है. नालियों की सफाई से हमें निजात मिल गई है और पड़ोसियों में अब झगड़े बंद हो गए हैं. हम सब भाईचारे से रहते हैं.

Changing circumstances due to falling of sewer line
सीवर लाइन पड़ने से बदले हालात

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गांव में कुछ ही जगह कच्चे मकान दिख रहे हैं. घर के गेट पर बैठे बुजुर्ग बंसीदास ने भी कहा कि मेरी उम्र भले ही 80 वर्ष हो गई है लेकिन मैंने कभी नहीं सोचा था कि हमारा गांव ऐसा साफ-सुथरा और प्रदूषण मुक्त होगा. सीवर लाइन डालने से गांव प्रदूषण मुक्त हो गया है. गांव की हरखू देवी ने कहा कि गांव में कचरा फैलना कम हो गया है. बड़े-बड़े शहरों में अब पाइप लाइन डाली जा रही है जबकि यहां तीन साल पहले ही पाइप लाइन डाली जा चुकी है. इससे गंदगी नहीं फैलती है.

पहले टूटी रहती थीं नालियां

गांव के बुजुर्ग शिवनाथ ने कहा कि मैं मजदूरी करता हूं. पहले नालियां टूटी और गंदी रहती थीं जिससे मच्छर फेलते थे. अब सीवर लाइन डाल दी है जिसमें कचरा निकालने के लिए चेंबर भी बनाए गए हैं. ऐसा काम और ऐसा गांव राजस्थान में सब जगह होना चाहिए ताकि मौसमी बीमारियां नहीं फैले और स्वच्छ भारत का सपना भी पूरा हो. गांव के युवक ऋषि ने कहा कि मुझे नहीं लगता कि मेरा गांव शहर से कम है. मेरा गांव शहर की तुलना में बेहतर है क्योंकि यहां की आबोहवा बहुत ही शुद्ध है और स्वच्छता में भी यह शहरों से बेहतर स्थिति में है.

गांव में विकास कार्य कराने देने वाली दूसरी बार सरपंच चुनी सुमनलता मेवाड़ा ने ईटीवी भारत से खास बातचीत में कहा कि मेरी जन्म स्थली कस्बे में थी. मेरी शादी ग्रामीण क्षेत्र में कर दी गई. यहां का माहौल और कस्बे के माहौल में काफी अंतर था. फिर शिक्षा की वजह से मुझे यहां सरपंच बनने का मौका मिला. तभी मैंने यह प्रण लिया कि मैं अपने गांव को स्वच्छता की ओर लेकर जाउंगी. उसी तर्ज पर काम शुरू किया. ग्रामीण क्षेत्र में सीवर लाइन डलवाने का काम किया. हमारा जिला मुख्यालय भीलवाड़ा है लेकिन वहां सीवरेज का काम अब भी चल रहा है जबकि हमने यहां 3 वर्ष पहले ही काम पूरा करा लिया.

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मैंने विकास के मुद्दे पर पुनः चुनाव लड़ा और जनता ने मुझे आशीर्वाद देकर दोबारा सरपंच बनाया है. मैं गांव की महिलाओं से अपील करूंगी कि वे कोई भी समस्या हो तो बेहिचक मुझे बताएं. मैं उनकी समस्याओं को दूर करने का पूरा प्रयास करूंगी. साथ ही गांव में सामाजिक कुरीतियां मिटाना और बालिका शिक्षा को बढ़ावा देना ही मेरी प्राथमिकता है. बालिकाओं को अग्रणी शिक्षा मिले इसके लिए हमेशा प्रयासरत रहूंगी.

स्वच्छ भारत मिशन के तहत किया काम

आसींद पंचायत समिति के सहायक अभियंता गोपाल लाल टेलर ने कहा कि हमने स्वच्छ भारत मिशन के तहत यह काम किया है. पहले गांव में नालियां टूटी होने की शिकायत मिलती रहती थी. हमने यह निर्णय लिया कि स्वच्छ भारत मिशन से जो अनुदान राशि प्राप्त होती है, उनसे सीवरेज लाइन डाल दी जाए तो यहां परमानेंट काम हो जाएगा. इससे स्वच्छता भी रहेगी और किसी प्रकार की बीमारी भी नहीं फैलेगी. हमने सर्वे करके सीवरेज लाइन डलवाई जिससे हर घर को जोड़ा.

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गांव के सामाजिक कार्यकर्ता व सरपंच पति ताराचंद मेवाड़ा ने ईटीवी भारत से बातचीत में कहा कि सबसे पहले गांव को रोग मुक्त करने का विचार आया था. जब गांव स्वच्छ होगा तो रोग मुक्त होगा और लोगों की मानसिकता में भी परिवर्तन आएगा. उसके लिए हमने सरकार के पैसों की बर्बादी रोकने के लिए सीवरेज का काम पूरा किया. इससे हर वर्ष नाली निर्माण करने का पैसा खर्च नहीं हो रहा है और उस पैसे को दूसरे विकास कार्य में लगाया जा रहा है. इस काम में 20 लाख रुपए खर्च आया.

कुछ बाहरी इलाके में काम बाकी हैं. उनका भी प्रारूप तैयार कर लिया गया है और इस कार्यकाल में उसे भी पूरा कर दिया जाएगा. राजस्थान ही नहीं देश भर में किसी पंचायत मुख्यालय पर सीवरेज का काम पूरा नहीं हुआ है. जबकि भीलवाड़ा जिले की इस छोटे से गांव में सीवरेज का काम पूरा हो गया है. इससे लड़ाई से भी मुक्ति मिली है और राजकोष का खर्च भी बच रहा है. वहीं एक अन्य वृद्धजन ने कहा कि हमारे गांव की जितनी तारीफ की जाए कम है. वास्तव में इसी तरह सभी जगह काम होना चाहिए जिससे लोगों में आपसी सामंजस्य बना रहे और प्रदूषण और गंदगी से मुक्ति मिले.

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