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भरतपुर सीट से इस पूर्व सांसद ने जताई दावेदारी...कहा- कांग्रेस जरूर देगी टिकट

लोकसभा चुनाव की दुदुंभी के बीच पार्टियां अपने प्रत्याशियों का चेहरा सीट दर सीट साफ करती जा रही हैं. ऐसे में कांग्रेस से पूर्व सांसद रतन सिंह की भी संभावित प्रत्याशियों में दावेदारी प्रमुख मानी जा रही है. ईटीवी भारत से खास बातचीत में सिंह ने कहा कि भाजपा अपने राजनीतिक फायदे के लिए सेना का सहारा ले रही है.

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Published : Mar 24, 2019, 6:04 PM IST

भरतपुर सीट से इस पूर्व सांसद ने जताई दावेदारी

भरतपुर. लोकसभा चुनाव की दुदुंभी के बीच पार्टियां अपने प्रत्याशियों का चेहरा सीट दर सीट साफ करती जा रही हैं. ऐसे में कांग्रेस से पूर्व सांसद रतन सिंह की भी संभावित प्रत्याशियों में दावेदारी प्रमुख मानी जा रही है. ईटीवी भारत से खास बातचीत में सिंह ने कहा कि भाजपा अपने राजनीतिक फायदे के लिए सेना का सहारा ले रही है.

भरतपुर सीट से इस पूर्व सांसद ने जताई दावेदारी


पूर्व सांसद ने बताया कि कांग्रेस विकास की नीति पर काम करती है. जबकि भाजपा झूठ बोलकर और लोगों को बरगलाकर सत्ता में आई है. उनका कहना है कि भाजपा अपने राजनीतिक फायदे के लिए सेना का इस्तेमाल कर रही है जो गलत है. जबकि सेना का एक अलग ही रूतबा है. सेना को राजनीति में नहीं लाना चाहिए.वहीं, टिकट के सावल पर सिंह ने कहा कि उन्हें उम्मीद है कि पार्टी उन्हें टिकट जरूर देगी. उन्होंने बताया कि पिछले कार्यकाल में वो बहुत विकास का काम कराया है और उन्हें पूरा विश्वास की लोग उनके विकास के मुद्दे पर वोट देंगे.


बता दें, रतन सिंह 2009 में भरतपुर लोकसभा सीट से कांग्रेस के टिकट पर चुनाव जीते थे. लेकिन, उनको 2014 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस ने टिकट नहीं दिया और उनकी जगह डॉ सुरेश यादव को टिकट देकर चुनाव लड़ाया था. इस स्थिती में कांग्रेस प्रत्याशी भाजपा के बहादुर कोली से करीब 2.65 लाख मतों से हार गए थे.वहीं, इस बार कांग्रेस फिर से रतन सिंह को शायद अपना उम्मीदवार बनाने की सोच रही है. क्योंकि रतन सिंह जाटव समुदाय से हैं और जाटव समुदाय की करीब 3.50 लाख वोट है.

भरतपुर. लोकसभा चुनाव की दुदुंभी के बीच पार्टियां अपने प्रत्याशियों का चेहरा सीट दर सीट साफ करती जा रही हैं. ऐसे में कांग्रेस से पूर्व सांसद रतन सिंह की भी संभावित प्रत्याशियों में दावेदारी प्रमुख मानी जा रही है. ईटीवी भारत से खास बातचीत में सिंह ने कहा कि भाजपा अपने राजनीतिक फायदे के लिए सेना का सहारा ले रही है.

भरतपुर सीट से इस पूर्व सांसद ने जताई दावेदारी


पूर्व सांसद ने बताया कि कांग्रेस विकास की नीति पर काम करती है. जबकि भाजपा झूठ बोलकर और लोगों को बरगलाकर सत्ता में आई है. उनका कहना है कि भाजपा अपने राजनीतिक फायदे के लिए सेना का इस्तेमाल कर रही है जो गलत है. जबकि सेना का एक अलग ही रूतबा है. सेना को राजनीति में नहीं लाना चाहिए.वहीं, टिकट के सावल पर सिंह ने कहा कि उन्हें उम्मीद है कि पार्टी उन्हें टिकट जरूर देगी. उन्होंने बताया कि पिछले कार्यकाल में वो बहुत विकास का काम कराया है और उन्हें पूरा विश्वास की लोग उनके विकास के मुद्दे पर वोट देंगे.


बता दें, रतन सिंह 2009 में भरतपुर लोकसभा सीट से कांग्रेस के टिकट पर चुनाव जीते थे. लेकिन, उनको 2014 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस ने टिकट नहीं दिया और उनकी जगह डॉ सुरेश यादव को टिकट देकर चुनाव लड़ाया था. इस स्थिती में कांग्रेस प्रत्याशी भाजपा के बहादुर कोली से करीब 2.65 लाख मतों से हार गए थे.वहीं, इस बार कांग्रेस फिर से रतन सिंह को शायद अपना उम्मीदवार बनाने की सोच रही है. क्योंकि रतन सिंह जाटव समुदाय से हैं और जाटव समुदाय की करीब 3.50 लाख वोट है.

Intro:भरतपुर_24-03-2019


हैडलाइन - भाजपा कांग्रेस के संभावित प्रत्याशी,एक को मोदी लहर की उम्मीद तो दुसरे को राहुल गाँधी की क़ाबलियत पर विश्वास 


वर्जन- रतन सिंह,पूर्व कांग्रेस सांसद भरतपुर 

ट्रांसक्रिप्ट---कांग्रेस विकास की नीति पर काम करती है जबकि भाजपा झूठ बोलकर सत्ता में आती है और जिस तरह से भाजपा सेना को राजनीती में अपने फायदे के लिए मुद्दे बना रही है वह गलत है जबकि सेना का सम्मान है और उसको राजनीति में नहीं लाना चाहिए | मुझे उम्मीद है की पार्टी टिकट जरूर देगी क्योंकि मेने अपने पिछले कार्यकाल में विकास कर कराये है और लोग भी उसी विकास के मुद्दे पर मुझे वोट देगी | 

एंकर -राजस्थान के भरतपुर में पूर्व कांग्रेस सांसद रतन सिंह की कांग्रेस के संभावित प्रत्याशियों में खासी दावेदारी मानी जा रही है और उनको फिर से एक बार लोक सभा चुनावों में कांग्रेस का टिकट मिलने की सम्भावना है | रतन सिंह 2009 में भरतपुर लोक सभा सीट से कांग्रेस की टिकट पर चुनाव जीते थे लेकिन उनको 2014 के लोक सभा चुनाव में कांग्रेस ने टिकट नहीं दिया और उनकी जगह डॉ सुरेश यादव को टिकट देकर चुनाव लड़ाया जो भाजपा के बहादुर कोली से करीब 2.65 लाख मतों से हारे थे लेकिन इस बार कांग्रेस फिर से रतन सिंह को शायद अपना उम्मीदवार बनाने की सोच रही है क्योंकि रतन सिंह जाटव समुदाय से है और जाटव समुदाय की करीब 3.50 लाख वोट है | 

गौरतलब है की 2008 में परसीमन के बाद भरतपुर लोक सभा सीट को अनुचित जाती के लिए आरक्षित कर दिया था और परसीमन के बाद पहली बार इस सीट से कांग्रेस के रतन सिंह चुनाव जीते थे |  

विश्वेन्द्र सिंह पूर्व राजपरिवार के सदस्य है और जिले में उनकी अच्छी पैंठ है जहाँ लोग उनका आदर करते है और अभी तक जिस प्रत्याशी को उन्होंने सपोर्ट किया है उसकी जीत हुई है गौरतलब है की 2008 में परिसीमन के बाद भरतपुर लोक सभा सीट को अनुचित जाती के लिए आरक्षित कर दिया था जिसके बाद 2009 में विश्वेन्द्र सिंह ने कांग्रेस के प्रयाशी रतन सिंह को जीत दिलाने में सफलता हांसिल की थी | यदि परिसीमन से पहले की स्थिति पर नजर डाले तो 1952 से लेकर 2008 तक इस लोक सभा सीट से ज्यादातर राजपरिवार के सदस्य ही चुनाव जीते है जिनमे विश्वेन्द्र सिंह व् उनकी पत्नी दिव्या सिंह,उनके पिता महाराजा सवाई वृजेन्द्र सिंह,चाचा गिर्राज शरण सिंह,चचेरी बहन कृष्णेन्द्र कौर दीपा सम्मलित है | विश्वेन्द्र सिंह जाट जाती से ताल्लुक रखते है और जिले में जाट जाती के करीब 4.50 लाख वोट है जो बेहद निर्णायक मानी जाती है |

भरतपुर लोकसभा सीट 2008 में परिसीमन के बाद अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित कर दी गई थी जिसके बाद 2009 में कांग्रेस प्रत्याशी रतन सिंह ने जीत हासिल की थी और उसके बाद 2014 में भाजपा के प्रत्याशी बहादुर कोली ने जीत हासिल की थी | 
भरतपुर लोकसभा क्षेत्र में 8 विधानसभा क्षेत्र आते हैं जेल में भरतपुर जिले की 7 विधानसभा सीट और एक अलवर जिले के कठूमर सीट इसमें सम्मिलित हैं भरतपुर की 7 विधानसभा सीटों में भरतपुर शहर,कामा,नगर डीग कुम्हेर,नदबई,बयाना और वैर आते हैं तो वहीं अलवर जिले के कठूमर सीट भी इसी लोकसभा क्षेत्र में आती है | 
लोकसभा क्षेत्र में जातिगत वोटों का समीकरण निम्नलिखित है-----
जाट 4 लाख 80 हजार जाटव 3,50,000, मुस्लिम 1,75,000, गुर्जर 1,50,000,ब्राह्मण 1,50,000,वैश्य 1,50,000, राजपूत 1,00000,कोली 1,00000,सिंधी पंजाबी 80000, माली 80000,बघेल गडरिया 8000,जोगी 50,000 | 
भरतपुर आरक्षित लोकसभा सीट से भाजपा कोली व् कांग्रेस जाटव समुदाय से अपने प्रत्याशियों को चुनाव लड़ाती हैं और उन्हें दो पार्टियों में से कोई एक की जीत होती है हालांकि बहुजन समाज पार्टी भी अपना उम्मीदवार यहां उतारती है लेकिन वह हमेशा तीसरे नंबर पर ही रहता है क्योंकि भरतपुर लोकसभा सीट अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित है इसलिए बसपा पार्टी का इस पर खास ध्यान नहीं होता है | 
इस सीट पर राजनीतिक जातिगत समीकरणों को अगर देखा जाए तो इस सीट पर सबसे ज्यादा जाट समुदाय की वोट हैं जो निर्णायक माने जाते हैं और भरतपुर पूर्व रियासत के सदस्य विश्वेंद्र सिंह जो जाट समुदाय से ताल्लुक रखते हैं उनकी जाट समुदाय में अच्छी खासी पकड़ है जहां लोग उनका आदर करते हैं और उनके आह्वान पर ही वह प्रत्याशी को वोट देते हैं वहीं दूसरी तरफ इस बार जातिगत समीकरणों में भी काफी बदलाव देखने को मिल सकता है क्योंकि विगत विधानसभा चुनावों में जाटव समुदाय के लोगों ने सिर्फ बसपा को वोट किया था इसको लेकर सवर्ण जाति के लोगों में काफी नाराजगी व्याप्त है और हो सकता है कि वह जाटव समुदाय के किसी प्रत्याशी विशेष को वोट नहीं दे | 

भाजपा सांसद दो बार वैर से भाजपा विधायक तो दो बार ही भाजपा सांसद रह चुके है और अपने राजनीतिक जीवन के 20 वर्षों में कभी भी चुनाव नहीं हारे है | 




Body:prominent candidate


Conclusion:
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