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जूट प्रोडक्ट्स ने दी भरतपुर की बृजेश को नई पहचान...150 गृहणियों को भी बनाया आत्मनिर्भर - भरतपुर की बृजेश

भरतपुर की बृजेश की जिंदगी पहले सिर्फ चूल्हे-चौके तक ही सीमित थी. पति की अकेली कमाई से भी गुजारा मुश्किल हो रहा था, लेकिन फिर बृजेश ने राजस्थान ग्रामीण राजिविका विकास परिषद से जुड़कर जूट उत्पाद बनाने का काम शुरू किया. आज बृजेश के बनाए उत्पादों की बाजार में (Brijesh got new identity by jute products) खासी डिमांड है. उसने अपने साथ गांव की 150 महिलाओं को जोड़कर उनकी राह भी आसान कर दी है.

Story of Bharatpur woman Brijesh
Story of Bharatpur woman Brijesh
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Published : Nov 19, 2022, 7:48 PM IST

Updated : Nov 19, 2022, 10:58 PM IST

भरतपुर. जिले के रूपबास क्षेत्र के गांव खानुआं की रहने वाली बृजेश भारद्वाज ने अपने साथ सैकड़ों महिलाओं (Story of Bharatpur woman Brijesh) के जीवन में खुशियां भर दी हैं. 8 साल पहले बृजेश का जीवन घर की रसोई तक सीमित था. पति काम कर जैसे तैसे घर चला रहा था लेकिन उससे भी सभी जरूरतें पूरी नहीं हो पा रहीं थी. ऐसे में बृजेश के मन में परिवार चलाने में पति की मदद करने की बड़ी इच्छा रहती थी लेकिन कुछ सूझ नहीं रहा था.

इसी दौरान उसे राजस्थान ग्रामीण राजिविका विकास परिषद से जुड़ने का मौका मिला और उसके बाद बृजेश को मानो एक नई दिशा और ऊर्जा मिल गई. बृजेश ने राजीविका से जुड़कर जूट के प्रोडक्ट बनाना शुरू किया. आज ना केवल वह खुद बल्कि गांव की 150 से अधिक महिलाओं को रोजगार (brijesh made 150 housewives self dependent) प्रदान करने के साथ ही आय का विकल्प दे रही हैं.

भरतपुर की बृजेश भारद्वाज की कहानी

पढ़ें. Special: अलवर की अंजू ने दिखाई राह...कैंटीन शुरू कर खुद के साथ अन्य महिलाओं को बनाया आत्मनिर्भर

ऐसे हुई शुरुआत
बृजेश भारद्वाज ने बताया कि 8 साल पहले जब वह राजीविका से जुड़े तो शुरुआत में कपड़े/कॉटन के प्रोडक्ट तैयार करतीं थी. लेकिन धीरे-धीरे समझ में आया कि कुछ हटके करना होगा तभी मांग बढ़ेगी और पहचान भी बनेगी. इसके बाद जूट और कॉटन के प्रोडक्ट तैयार करना शुरू किया. इसमें जूट के बैग, आसन, पायदान, कई सजावटी सामान बनाना शुरू किया.

150 गृहणियों को भी बनाया आत्मनिर्भर
150 गृहणियों को भी बनाया आत्मनिर्भर

ई-पहचान मिली
शुरुआत में कुछ महिलाएं ही साथ में काम कर रही थीं. जूट के प्रोडक्ट स्थानीय मेलों में स्टॉल लगाकर बेचने लगे. उपभोक्ताओं को अपना मोबाइल नंबर वाला विजिटिंग कार्ड भी देते थे. बाद में हमारे हस्तनिर्मित जूट के प्रोडक्ट की मांग बढ़ने लगी. लोग कॉल कर के प्रोडक्ट के बारे में पूछने लगे. यहां तक कि अब मेलों के अलावा दिल्ली, जयपुर, आगरा एवं अन्य शहरों से भी हमारे प्रोडक्ट की डिमांड आ रही है. कई जगह से तो अच्छे खासे बल्क प्रोडक्शन के ऑर्डर भी मिल रहे हैं.

Story of Bharatpur woman Brijesh
जूट प्रदर्शनी में भी स्टॉल

पढ़ें. गाय का गोबर महिलाओं को बना रहा आत्मनिर्भर, तैयार कर रहीं दीपक से लेकर घड़ी तक 101 प्रकार के उत्पाद

150 महिलाओं को रोजगार
बृजेश भारद्वाज ने बताया कि जैसे-जैसे हमारे प्रोडक्ट की मांग बढ़ने लगी, काम करने वाली महिलाओं की संख्या की जरूरत भी अधिक पड़ने लगी. ऐसे में हमने गांव की ही गृहणियों को अपने साथ जोड़ना शुरु किया. आज स्थिति यह है कि करीब 150 महिलाएं नियमित रूप से हमारे साथ जुड़ी हुई हैं. कई बार बड़ा ऑर्डर आने पर यह संख्या और बढ़ जाती है. यानी आज की तारीख में खानुआं गांव की 150 महिलाएं स्वावलंबी बनकर जीवन जी रही हैं.

Story of Bharatpur woman Brijesh
जूट उत्पाद ने दिलाई पहचान

पढ़ें. अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस विशेषः यहां महिलाएं ही रोशन कर रहीं आधी आबादी...आत्मनिर्भर बनकर रोशन कर रही दूसरों के घर

बृजेश भारद्वाज ने भरतपुर के अमृता हाट मेले में जूट के प्रोडक्ट की अपनी स्टॉल लगाई है. उपभोक्ताओं को इनके प्रोडक्ट खासे आकर्षित कर रहे हैं. महिला अधिकारिता विभाग के उप निदेशक राजेश कुमार ने बताया कि इस मेले का उद्देश्य स्वयं सहायता समूह और स्थानीय स्तर पर हाथों से निर्मित किए जाने वाले प्रोडक्ट को मंच प्रदान करना है. मेले में अन्य कई प्रकार के हस्तनिर्मित प्रोडक्ट की भी स्टॉल लगी हैं जो कि सामान्यतौर पर बाजार में कम ही देखने को मिलते हैं.

भरतपुर. जिले के रूपबास क्षेत्र के गांव खानुआं की रहने वाली बृजेश भारद्वाज ने अपने साथ सैकड़ों महिलाओं (Story of Bharatpur woman Brijesh) के जीवन में खुशियां भर दी हैं. 8 साल पहले बृजेश का जीवन घर की रसोई तक सीमित था. पति काम कर जैसे तैसे घर चला रहा था लेकिन उससे भी सभी जरूरतें पूरी नहीं हो पा रहीं थी. ऐसे में बृजेश के मन में परिवार चलाने में पति की मदद करने की बड़ी इच्छा रहती थी लेकिन कुछ सूझ नहीं रहा था.

इसी दौरान उसे राजस्थान ग्रामीण राजिविका विकास परिषद से जुड़ने का मौका मिला और उसके बाद बृजेश को मानो एक नई दिशा और ऊर्जा मिल गई. बृजेश ने राजीविका से जुड़कर जूट के प्रोडक्ट बनाना शुरू किया. आज ना केवल वह खुद बल्कि गांव की 150 से अधिक महिलाओं को रोजगार (brijesh made 150 housewives self dependent) प्रदान करने के साथ ही आय का विकल्प दे रही हैं.

भरतपुर की बृजेश भारद्वाज की कहानी

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ऐसे हुई शुरुआत
बृजेश भारद्वाज ने बताया कि 8 साल पहले जब वह राजीविका से जुड़े तो शुरुआत में कपड़े/कॉटन के प्रोडक्ट तैयार करतीं थी. लेकिन धीरे-धीरे समझ में आया कि कुछ हटके करना होगा तभी मांग बढ़ेगी और पहचान भी बनेगी. इसके बाद जूट और कॉटन के प्रोडक्ट तैयार करना शुरू किया. इसमें जूट के बैग, आसन, पायदान, कई सजावटी सामान बनाना शुरू किया.

150 गृहणियों को भी बनाया आत्मनिर्भर
150 गृहणियों को भी बनाया आत्मनिर्भर

ई-पहचान मिली
शुरुआत में कुछ महिलाएं ही साथ में काम कर रही थीं. जूट के प्रोडक्ट स्थानीय मेलों में स्टॉल लगाकर बेचने लगे. उपभोक्ताओं को अपना मोबाइल नंबर वाला विजिटिंग कार्ड भी देते थे. बाद में हमारे हस्तनिर्मित जूट के प्रोडक्ट की मांग बढ़ने लगी. लोग कॉल कर के प्रोडक्ट के बारे में पूछने लगे. यहां तक कि अब मेलों के अलावा दिल्ली, जयपुर, आगरा एवं अन्य शहरों से भी हमारे प्रोडक्ट की डिमांड आ रही है. कई जगह से तो अच्छे खासे बल्क प्रोडक्शन के ऑर्डर भी मिल रहे हैं.

Story of Bharatpur woman Brijesh
जूट प्रदर्शनी में भी स्टॉल

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150 महिलाओं को रोजगार
बृजेश भारद्वाज ने बताया कि जैसे-जैसे हमारे प्रोडक्ट की मांग बढ़ने लगी, काम करने वाली महिलाओं की संख्या की जरूरत भी अधिक पड़ने लगी. ऐसे में हमने गांव की ही गृहणियों को अपने साथ जोड़ना शुरु किया. आज स्थिति यह है कि करीब 150 महिलाएं नियमित रूप से हमारे साथ जुड़ी हुई हैं. कई बार बड़ा ऑर्डर आने पर यह संख्या और बढ़ जाती है. यानी आज की तारीख में खानुआं गांव की 150 महिलाएं स्वावलंबी बनकर जीवन जी रही हैं.

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जूट उत्पाद ने दिलाई पहचान

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बृजेश भारद्वाज ने भरतपुर के अमृता हाट मेले में जूट के प्रोडक्ट की अपनी स्टॉल लगाई है. उपभोक्ताओं को इनके प्रोडक्ट खासे आकर्षित कर रहे हैं. महिला अधिकारिता विभाग के उप निदेशक राजेश कुमार ने बताया कि इस मेले का उद्देश्य स्वयं सहायता समूह और स्थानीय स्तर पर हाथों से निर्मित किए जाने वाले प्रोडक्ट को मंच प्रदान करना है. मेले में अन्य कई प्रकार के हस्तनिर्मित प्रोडक्ट की भी स्टॉल लगी हैं जो कि सामान्यतौर पर बाजार में कम ही देखने को मिलते हैं.

Last Updated : Nov 19, 2022, 10:58 PM IST
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