भरतपुर. देश को आजाद हुए 76 वर्ष बीत गए, लेकिन भरतपुर मुख्यालय से 10 किलोमीटर दूर स्थित गांव नगला माना की सड़क अब तक नहीं बनी है. आज सोमवार को गांव के एक मरीज को एंबुलेंस से उपचार के लिए अस्पताल ले जाया जा रहा था, लेकिन कच्चे रास्ते के दलदल में एंबुलेंस फंस गई. मरीज ने एंबुलेंस में ही दम तोड़ दिया. इस घटना से गुस्साए ग्रामीणों ने भरतपुर-मथुरा सड़क मार्ग जाम कर दिया.
नगला माना गांव निवासी एनएसयूआई जिलाध्यक्ष वीके फौजदार ने बताया कि सोमवार को 58 वर्षीय पूरन सिंह को सांस की तकलीफ हुई. परिजन मरीज को एंबुलेंस के जरिए अस्पताल ले जा रहे थे. लेकिन गांव के कच्चे रास्ते में बरसात की वजह से कीचड़ और दलदल हो गई है, जिसमें एंबुलेंस फंस गई. परिजनों और एंबुलेंस चालक ने दलदल में फंसी एंबुलेंस को निकालने की काफी कोशिश की, परंतु एंबुलेंस नहीं निकल पाई. इसी वजह से मरीज ने एंबुलेंस में ही बिना उपचार के ही दम तोड़ दिया. गुस्साए परिजन और ग्रामीणों ने भरतपुर-मथुरा सड़क मार्ग को जाम कर दिया. एनएसयूआई जिलाध्यक्ष वीके फौजदार का कहना है कि यदि गांव में पक्की सड़क होती तो एंबुलेंस नहीं फंसती और मरीज की जान बचाई जा सकती थी. लेकिन सरकार और प्रशासन की लापरवाही की वजह से मरीज को समय पर उपचार नहीं मिल पाया और उसकी मौत हो गई.
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सड़क के लिए 2018 में मतदान का किया था बहिष्कार : वीके फौजदार ने बताया कि भरतपुर से 10 किमी दूर नगला माना गांव आजादी से पहले का गांव है. लेकिन आजादी के बाद से अब तक गांव में पक्की सड़क का निर्माण नहीं हो पाया है. इस संबंध में ग्रामीणों ने स्थानीय जनप्रतिनिधि और प्रशासन को कई बार ज्ञापन दिया, कई बार आंदोलन किया, लेकिन कभी कोई सुनवाई नहीं हुई. यही वजह है कि विधानसभा चुनाव 2018 में पूरे गांव के लोगों ने मतदान का बहिष्कार किया था.
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