भरतपुर. आठ साल पहले जब सुचित खंडेलवाल को पता चला कि उन्हें मुंह का कैंसर (mouth cancer surgery) है तो उन पर और उनके परिवार पर तो मानो दुखों का पहाड़ टूट पड़ा. परिजनों ने मुंबई के एक अस्पताल में सुचित के कैंसर का सफल ऑपरेशन (successful operation) कराया लेकिन ऑपेरशन के बाद सुचित का ना तो मुंह खुल पा रहा था और ना ही बाएं हाथ और पैर सही से चल पा रहे थे. कुछ दिन बाद सुचित ने योग का सहारा लिया और योग इनके लिए संजीवनी साबित हुआ. नियमित योग और व्यायाम से अब ना केवल सुचित के हाथ पैर और मुंह सही हो गए बल्कि अब वो पूरी तरह से स्वस्थ जीवन जी रहे हैं.
यह भी पढ़ें - International Yoga Day 2021: BSF जवानों ने ऊंटों पर दिखाए योगासन के अद्भुत करतब
ऐसे में आयुर्वेदिक चिकित्सक ने योगा और व्यायाम की सलाह दी. इसके बाद हर दिन सुबह के वक्त एक घंटे तक करीब 30 अलग अलग योगासन करना सुचित ने शुरू किया. इनमें मुख्य रूप से सूर्य नमस्कार, प्राणायाम, कपालभाति योगासन शामिल थे. सुचित कहते हैं- हर दिन नियमित योग का ही असर था कि सिर्फ डेढ़ महीने में मुंह खुलने लगा और पैर का मूवमेंट भी होने लगा. अब सूचित बीते आठ साल से नियमित रूप से योगा कर रहे हैं.
अगर शरीर के किसी खास हिस्से में ऊर्जा का प्रवाह ठीक नहीं हो तो कैंसर कोशिकाएं उस जगह को छुपने और फलने-फूलने के लिए चुन लेती हैं. कैंसर कोई बिमारी नहीं, बल्कि इसमें कुछ कोशिकाएं आपके खिलाफ हो जाती हैं और इससे आपका शरीर ही आपके खिलाफ काम करने लग जाता है.
यह भी पढ़ें- Special : योग बच्चों को शारीरिक और मानसिक रूप से बना रहा सेहतमंद, कुछ खास बातों को ध्यान रखना बेहद जरूरी
योग और कैंसर-
योग में कुछ खास किस्म की आध्यात्मिक तरीके और क्रियाएं हैं, जो शरीर प्रणाली को सुधारे और संतुलन बनाने में मदद करती हैं. कई कैंसर पीड़ित मरीजों में देखा गया है कि योग को अपना कर वो ठीक हो गए हैं. हमने ऐसे भी लोग देखे हैं जो योग के जरिये कीमोथेरेपी के बाद बड़ी ही तेजी से योग के जरिए उबर है. इन मरीजों का इलाज कर रहे डॉक्टर भी उन्हें देख कर हैरान रह गए. ऐसा देखा गया है कि कैंसर जैसी भयावह बिमारियों में योग बहुत ज्यादा कारगर है.