भरतपुर. राजस्थान के भरतपुर और उत्तर प्रदेश के मथुरा जिले समेत आसपास के क्षेत्र को बृज क्षेत्र माना जाता है. मान्यता है कि भगवान विष्णु ने श्री कृष्ण के रूप में बृज में अवतार लिया था. नंदगांव (वर्तमान में उत्तर प्रदेश में) से भगवान श्री कृष्ण गाय चराने के लिए पूरे ब्रज क्षेत्र के पर्वतों पर घूमते थे. भरतपुर जिले के डीग क्षेत्र के पर्वतों पर आज भी भगवान श्री कृष्ण के पद चिह्न मिलते हैं. ऐसा माना जाता है कि डीग के पसोपा गांव की पहाड़ियों पर श्रीकृष्ण ने रास रचाया था. इंद्रदेव के कोप से बचाने के लिए भगवान श्री कृष्ण ने गोवर्धन पर्वत को अपनी उंगली पर उठा कर पूरे बृज क्षेत्र के लोगों उस पर्वत के नीचे शरण दी थी.
आस्था का केंद्र है बृज का पहाड़: द्वापर काल से ही बृज क्षेत्र आस्था का केंद्र है. यहां लाखों की संख्या में श्रद्धालु गोवर्धन पर्वत की सप्तकोशीय परिक्रमा करने के लिए आते हैं. पवित्र मानसी गंगा में स्नान करते हैं. बृज क्षेत्र के सभी पर्वतों और गांवों को मिलाकर 84 कोशीय परिक्रमा भी की जाती है. डीग क्षेत्र में आदिबद्री, केदारनाथ, गंगोत्री, यमुनोत्री चारों धाम स्थित हैं. मान्यता है कि इनकी स्थापना भी भगवान श्री कृष्ण ने की थी और यहां आने वाले श्रद्धालुओं को भी उत्तराखंड के चारधाम की यात्रा जैसा पुण्य प्राप्त होता है.
अवैध खनन से छलनी हुए पहाड़: बृज क्षेत्र के डीग पहाड़ी क्षेत्र के पर्वतों में लंबे समय से वैध और अवैध खनन हो रहा है. बड़े पैमाने पर अवैध खनन ने पर्वत कर दिये हैं. पहाड़ी के नागल क्रेशर जोन में तो पहाड़ों को खोद कर गहरी खाई बना दी गई है. डीग क्षेत्र के आदिबद्री और कनकांचल के पर्वतों में हो रहे खनन को रुकवाने के लिए साधु संतों ने 551 दिन तक धरना प्रदर्शन किया था. यहां तक कि पहाड़ों को बचाने के लिए संत विजयदास ने अपनी जान तक दे दी थी.
पहाड़ों को बचाना जरूरी: पर्यावरणविद डॉ सत्यप्रकाश मेहरा का कहना है कि बृज के पहाड़ धार्मिक धरोहर हैं. द्वापर युग में गोवर्धन पर्वत की वजह से ही इंद्रदेव के कोप से बचे थे. लेकिन अब क्षेत्र के पहाड़ों का अतिदोहन किया जा रहा है, यदि यह नहीं रोका गया तो तमाम प्राकृतिक आपदाओं का सामना करना पड़ सकता है. इसलिए खनन कार्यों को बंद कर पहाड़ों के संरक्षण की आवश्यकता है.