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भरतपुर के 'काला बादशाह' ने दिलाई अलग पहचान, इलाहाबादी अमरूद को मिल रही टक्कर

बागवानी को बढ़ावा देने के लिए भरतपुर में लूपिन संस्था अमरूद पैदा करने के लिए किसानों की मदद कर रही है. भरतपुर में करीब 5000 पौधे लगवाए गए हैं. यहां पैदा होने वाले स्वादिष्ट अमरुद देश के कई राज्यों में भेजे जाते हैं.

भरतपुर के 'काला बादशाह' ने दिलाई अलग पहचान
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Published : Jul 5, 2019, 12:01 AM IST

भरतपुर. इलाहाबादी और लखनऊ अमरुद राजस्थान की भूमि पर पैदा होने लगा है. राजस्थान का भरतपुर जिला अमरूद पैदावार में आगे है. यहां का अमरूद अब देश के अन्य क्षेत्रों में भेजे जाते हैं. भरतपुर के वीर भुसावर तहसील में अमरूद की पैदावर होती है.

भरतपुर के 'काला बादशाह' ने दिलाई अलग पहचान

बागवानी को बढ़ावा देने के लिए भरतपुर में लूपिन संस्था अमरूद पैदा करने के लिए किसानों की मदद कर रही है. अमरूद की बागवानी के लिए साल 1997 में लूपिन ने इलाहाबाद लखनऊ से अमरूद की पौध मंगवा कर किसानों को फ्री में उपलब्ध कराए थे. जहां करीब 5000 पौधे लगवाए गए थे. यहं पैदा होने वाले स्वादिष्ट अमरुद देश के कई राज्यों में भेजे जाते हैं.

सामाजिक विकास कार्य करने वाली लुपिन संस्था ने किसानों को अमरूदों की बागवानी का प्रशिक्षण दिलाया और आर्थिक मदद की किसानों के अनुसार अच्छी नस्ल के अमरूदों की अच्छी पैदावार होने से उनकी आमदनी में भी इजाफा होने लगा है. आज उनके यहां पैदा होने वाले अमरूदों की मांग न केवल देश बल्कि विदेशों में भी होने लगी है. किसानों के अनुसार 1 एकड़ में करीब 100 से 125 अमरूद के पेड़ लगते हैं, जिनसे 1 वर्ष में करीब ढाई लाख रुपए की आमदनी होती है, जिसकी लागत सिर्फ 12 हजार तक आती है.

फसल में 1 वर्ष में 3 बार पानी देना पड़ता है, जिसके बाद अमरूद के पेड़ फल देने लगते हैं. यहां के अमरूद की मांग न केवल देश बल्कि विदेशों में भी है. किसानों ने अमरूद की पौध तैयार करने के लिए खुद की नर्सरी भी तैयार की है, लेकिन उनकी मांग है कि यदि उनके क्षेत्र में मंडी खुल जाए तो उनको काफी सहूलियत होगी. यहाँ पैदा होने वाला अमरूद की नस्लें l-49 हैं, जिसे काला बादशाह भी कहा जाता है. अमरूद का कितना उत्पादन होता है. इसका रिकॉर्ड विभाग के पास नहीं है. यदि आंकड़ा है तो सिर्फ इतना कि जिले में कितने अमरूद के पेड़ है और प्रति हेक्टेयर उत्पादन होता है. कृषि व उद्यानिकी विभाग में कुल उत्पादन का डेटा उपलब्ध नहीं है.

भरतपुर. इलाहाबादी और लखनऊ अमरुद राजस्थान की भूमि पर पैदा होने लगा है. राजस्थान का भरतपुर जिला अमरूद पैदावार में आगे है. यहां का अमरूद अब देश के अन्य क्षेत्रों में भेजे जाते हैं. भरतपुर के वीर भुसावर तहसील में अमरूद की पैदावर होती है.

भरतपुर के 'काला बादशाह' ने दिलाई अलग पहचान

बागवानी को बढ़ावा देने के लिए भरतपुर में लूपिन संस्था अमरूद पैदा करने के लिए किसानों की मदद कर रही है. अमरूद की बागवानी के लिए साल 1997 में लूपिन ने इलाहाबाद लखनऊ से अमरूद की पौध मंगवा कर किसानों को फ्री में उपलब्ध कराए थे. जहां करीब 5000 पौधे लगवाए गए थे. यहं पैदा होने वाले स्वादिष्ट अमरुद देश के कई राज्यों में भेजे जाते हैं.

सामाजिक विकास कार्य करने वाली लुपिन संस्था ने किसानों को अमरूदों की बागवानी का प्रशिक्षण दिलाया और आर्थिक मदद की किसानों के अनुसार अच्छी नस्ल के अमरूदों की अच्छी पैदावार होने से उनकी आमदनी में भी इजाफा होने लगा है. आज उनके यहां पैदा होने वाले अमरूदों की मांग न केवल देश बल्कि विदेशों में भी होने लगी है. किसानों के अनुसार 1 एकड़ में करीब 100 से 125 अमरूद के पेड़ लगते हैं, जिनसे 1 वर्ष में करीब ढाई लाख रुपए की आमदनी होती है, जिसकी लागत सिर्फ 12 हजार तक आती है.

फसल में 1 वर्ष में 3 बार पानी देना पड़ता है, जिसके बाद अमरूद के पेड़ फल देने लगते हैं. यहां के अमरूद की मांग न केवल देश बल्कि विदेशों में भी है. किसानों ने अमरूद की पौध तैयार करने के लिए खुद की नर्सरी भी तैयार की है, लेकिन उनकी मांग है कि यदि उनके क्षेत्र में मंडी खुल जाए तो उनको काफी सहूलियत होगी. यहाँ पैदा होने वाला अमरूद की नस्लें l-49 हैं, जिसे काला बादशाह भी कहा जाता है. अमरूद का कितना उत्पादन होता है. इसका रिकॉर्ड विभाग के पास नहीं है. यदि आंकड़ा है तो सिर्फ इतना कि जिले में कितने अमरूद के पेड़ है और प्रति हेक्टेयर उत्पादन होता है. कृषि व उद्यानिकी विभाग में कुल उत्पादन का डेटा उपलब्ध नहीं है.

Intro:Assigned By Rajesh Baliya. भरतपुर Summary- वैर भुसावर में सर्वाधिक बागवानी, पांच लाख से अधिक है अंतुड़ के पेड़, अमरूद की बागवानी में जुटे किसान, इलाहाबादी लखनऊ नस्ल के है अमरूद, देश विदेश तक जाता है यहाँ का अमरूद, छोकरवाड़ा का काला बादशाह अमरूद विश्व विख्यात एंकर- इलाहाबाद लखनऊ अमरूद का नाम आते ही इंसान के मुंह में पानी आ जाता है। जहां दो दशक पहले भरतपुर जिले के लोग इलाहाबाद-लखनऊ अमरूद खाना पसंद करते थे। पर अब इलाहाबादी लखनऊ अमरुद राजस्थान की भूमि पर पैदा होने लगा है। राजस्थान का भरतपुर जिला अमरूद पैदावार में अब्बल है। यहां का अमरूद अब देश-विदेश तक जाता है। जो जिले के वीर भुसावर तहसील में सर्वाधिक पैदा होता है। भरतपुर जिले में बागवानी को बढ़ावा देने के लिए लुपिन संस्था अमरूद पैदा करने के लिए किसानों की मदद कर रही है। अमरूद की बागवानी के लिए साल 1997 में लूपिंन ने इलाहाबाद लखनऊ से अमरूद की पौध मंगवा कर किसानों को फ्री में उपलब्ध कराए थे। जहां करीब 5000 पौधे लगवाए गए थे। जहां से पैदा होने वाले स्वादिष्ट अमरुद देश के कई राज्यों में विदेशों तक आपूर्ति किए जाते हैं। सामाजिक विकास कार्य करने वाली लुपिन संस्था ने किसानों को अमरूदों की बागवानी का प्रशिक्षण दिलाया। और आर्थिक मदद की किसानों के अनुसार अच्छी नस्ल के अमरूदों की अच्छी पैदावार होने से उनकी आमदनी में भी इजाफा होने लगा है। और आज उनके यहां पैदा होने वाले अमरूदों की मांग न केवल देश बल्कि विदेशों में भी होने लगी है। किसानों के अनुसार 1 एकड़ में करीब 100 से 125 अमरूद के पेड़ लगते हैं जिनसे 1 वर्ष में करीब ढाई लाख रुपए की आमदनी होती है जिसकी लागत सिर्फ ₹12000 तक आती है फसल में 1 वर्ष में 3 बार पानी देना पड़ता है फिर वहां से पैदावार शुरू हो जाती है और यहां के अमरूद की मांग न केवल देश बल्कि विदेशों में भी है किसानों ने अमरूद की पौध तैयार करने के लिए खुद की नर्सरी भी तैयार की है लेकिन उनकी मांग है कि यदि उनके क्षेत्र में मंडी खुल जाए तो उनको काफी सहूलियत होगी। यहाँ पैदा होने वाला अमरूद की नस्लें l-49 है जिसे काला बादशाह भी कहा जाता है बाइट- नरेंद्र शर्मा, सदस्य, लूपिन संस्था बाइट- भगवत सिंह धाकड़, किसान


Body:काला बादशाह की सबसे ज्यादा पैदावार भरतपुर जिले में


Conclusion:अमरूद का कितना उत्पादन होता है इसका रिकॉर्ड विभाग के पास नही है यदि आंकड़ा है तो सिर्फ इतना कि जिले में कितने अमरूद के पेड़ है और प्रति हेक्टेयर उत्पादन होता है ।कृषि व उद्यानिकी विभाग में कुल उत्पादन का डेटा उपलब्ध नहीं है ।
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