भरतपुर. दुनियाभर में पक्षियों के स्वर्ग के रूप में पहचाना जाने वाला केवलादेव राष्ट्रीय उद्यान अपने अंदर खासी जैव विविधता को समेटे हुए है. अब उद्यान की जैव विविधता में एक और आयाम जुड़ गया है. पहली बार बीटल्स (गुब्रीला) को लेकर हुए शोध में पता चला है कि उद्यान में 91 प्रजाति के बीटल्स मौजूद हैं. बीटल्स को ईको सिस्टम इंजीनियर के नाम से जाना जाता है. प्रदेश में बीटल्स पर यह पहला अध्ययन है, जिसमें इतनी प्रजातियों के बारे में जानकारी सामने आई है.
7 साल तक चला अध्ययनः भरतपुर शहर की रहने वाली कृतिका त्रिगुणायत राजस्थान यूनिवर्सिटी के जीव विज्ञान विभाग से पीएचडी की शोधार्थी हैं. उन्होंने हाल ही में प्रो. जयमाला शर्मा के निर्देशन में अपना शोध कार्य पूरा किया है. कृतिका ने बताया कि उनका शोध बीटल्स पर आधारित है. राजस्थान में पहली बार बीटल्स पर शोध (2015 से 2022 तक) हुआ है. शोध में सामने आया है कि केवलादेव राष्ट्रीय उद्यान में बीटल्स की 91 प्रजाति मौजूद हैं. बीटल्स की प्रजातियों का यह तथ्य पहली बार सामने आया है.
इस प्रजाति के बीटल्स मौजूदः कृतिका ने बताया कि शोध के दौरान उद्यान के अलग-अलग ब्लॉक में शोध किया गया. 7 साल तक चले शोध कार्य का अनुकूल समय बारिश और बारिश के बाद का समय रहता है. सर्दी के मौसम में शोध करना मुश्किल रहता था. केवलादेव उद्यान में डंग बीटल, ग्राउंड बीटल, लीफ बीटल, क्लिक बीटल, टाइगर बीटल, पल्स बीटल, स्किन बीटल समेत कुल 91 प्रजातियां मौजूद हैं.
पढ़ें : Keoladeo National Park : बुझेगी घना की प्यास, 1.5 करोड़ की लागत से तैयार हुआ ये सिस्टम...
बीटल्स यानी ईको सिस्टम इंजीनियरः कृतिका ने बताया कि बीटल्स को ईको सिस्टम इंजीनियर भी कहा जाता है. इसके पीछे खास वजह यह है कि बीटल्स खराब मिट्टी, गोबर आदि को रिसाइकिल कर उसे उर्वरक बना देते हैं. ये ईको सिस्टम को हेल्दी बनाते हैं, जिसकी वजह से इन्हें ईको सिस्टम इंजीनियर कहा जाता है.
32 प्रजाति के पक्षियों का भोजनः कृतिका ने बताया कि शोध में पता चला कि बीटल्स, पक्षियों की फूड चेन में शामिल है. कई पक्षी भोजन के रूप में बीटल्स को खाते हैं. उद्यान में बी ईटर, प्रीनहिया, रॉबिन जैसे करीब 32 पक्षी ऐसे हैं, जिनका भोजन बीटल्स हैं.