भरतपुर. बीते दो माह से डेंगू के मरीजों की संख्या बढ़ने लगी है. सितंबर में हर दिन औसतन डेंगू के दो केस सामने आ रहे हैं. मौसमी बीमारियों की रोकथाम के लिए हर वर्ष चिकित्सा विभाग की ओर से जिलेभर में फॉगिंग कराई जाती है, लेकिन इस बार जिले की 33 में से 21 मशीन कंडम पड़ी हुई है.
हर दिन 2 हजार से अधिक का ओपीडी: संभाग के सबसे बड़े आरबीएम अस्पताल में इन दिनों ओपीडी फुल है. ओपीडी में अधिकतर वायरल बुखार, डेंगू बुखार और खांसी-जुकाम के मरीज पहुंच रहे हैं. हालात ये हैं कि आरबीएम अस्पताल के ओपीडी में हर दिन 2200-2300 मरीज पहुंच रहे हैं. कई दिन तो यह आंकड़ा 3 हजार को भी पार कर जाता है. इस बार जनवरी से अब तक जिले में डेंगू के कुल 99 मरीज सामने आ चुके हैं. जिनमें से बीते डेढ़ माह में 62 मरीज सामने आए हैं. सितंबर माह में हर दिन डेंगू के औसतन दो केस सामने आ रहे हैं. डॉ मुकेश गुप्ता ने बताया कि हर दिन डेंगू मरीज सामने आ रहे हैं, लेकिन अभी तक डेंगू का कोई भी गंभीर मरीज सामने नहीं आया है.
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इसलिए बढ़ रहे वायरल और डेंगू के मरीज: मेडिसिन विभाग के अध्यक्ष डॉ मुकेश गुप्ता ने बताया कि इस बार मानसूनी सीजन बेतरतीब रहा है. कभी बरसात, कभी गर्मी का मौसम रहा है. मानसूनी सीजन वायरस के लिए अनुकूल रहता है. 30 से 40 डिग्री तक का तापमान इसके लिए अनुकूल रहता है. वहीं मानसूनी सीजन में डेंगू के मच्छर के लिए भी पानी उपलब्ध हो जाता है. यही वजह है कि जुलाई से अक्टूबर के दौरान वायरल और डेंगू की बीमारी तेजी से फैलती है. उन्होंने बताया कि अस्पताल के आउटडोर में बड़ी संख्या में मरीज पहुंच रहे हैं और इनडोर के बेड भी करीब-करीब फुल हैं.
ये सावधानी बरतें: डॉ गुप्ता ने बताया कि वायरल और डेंगू की बीमारी से बचने के लिए खानपान का विशेष ध्यान रखें और मच्छरों से बचाव करें. घरों में कूलरों और आसपास के क्षेत्र में लंबे समय तक पानी ना जमा होने दें. फुल बाजू के कपड़े पहनें. खांसी जुकाम से बचने के लिए नियमित रूप से गर्म पानी पिएं. घर में किसी को खांसी जुकाम हो जाएंगे, तो मास्क का उपयोग करें.
डेंगू के मरीज:
- जुलाई में 15
- अगस्त में 32
- सितंबर में 30
- वर्ष 2023 में कुल 99
- वर्ष 2022 में 474
- वर्ष 2021 में 1017
33 में से 21 मशीन कंडम: मानसूनी सीजन के बाद मच्छरों के प्रकोप को कम करने के लिए चिकित्सा विभाग जिलेभर में फॉगिंग कराता है. लेकिन जिले की 33 फॉगिंग मशीनों में से 21 मशीन कंडम हालत में हैं. ऐसे में जिले के कस्बों में फॉगिंग कराने के लिए पर्याप्त मशीन ही उपलब्ध नहीं हैं.