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डीग में सफाई व्यवस्था चरमराई, नालियों के गंदे पानी से आमजन परेशान - डीग किले के चारों ओर गंदगी

भरतपुर के डीग पुराना बस स्टैंड स्थित किले के चारों ओर गंदगी फैल हुई है. आलम ये है कि किलों के पास गंदगी से निकली दुर्गंध के कारण वहां से कोई राहगीर निकल भी नहीं सकता है. वहीं नगरपालिका प्रशासन इस ओर सफाई पर कोई ध्यान नहीं दे रहा है.

डीग में सफाई व्यवस्था चरमराई, Cleansing system troubled in Deeg
डीग में सफाई व्यवस्था चरमराई
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Published : Dec 20, 2020, 12:16 PM IST

डीग (भरतपुर). क्षेत्र में इन-दिनों पुराना बस स्टैंड स्थित किले के चारों ओर फैल रही गंदगी से कस्बेवासी काफी परेशान नजर आ रहे हैं. आलम ये है कि किलों के पास गंदगी से निकली दुर्गंध के कारण वहां से कोई राहगीर निकल भी नहीं सकता है. वहीं दूसरी ओर नगरपालिका प्रशासन भी सफाई पर कोई ध्यान नहीं दे रहा है.

डीग में सफाई व्यवस्था चरमराई

इधर कस्बे वासियों का कहना है कि शहर की नालियों से निकला गंदा पानी, कीचड़, पॉलीथिन, कूड़ा करकट और सभी तरह की गंदगी, लोगों द्वारा किले के चारों तरफ भरे पानी में फेंकी जाती है. जिससे वहां का पानी सड़ने लगा है और दुर्गंध भी आने लगा है, लेकिन नगरपालिका को ना तो शहरवासियों के स्वास्थ्य की चिंता है और ना ही ऐतिहासिक धरोहर की भव्यता की.

पढे़ं- अलवर: परीक्षा में फेल करने की धमकी देकर छात्राओं से करता था छेड़छाड़, आरोपी शिक्षक गिरफ्तार

हालांकि नगर परिषद द्वारा कस्बे में जगह-जगह कचरे पात्र रखवाए गए हैं, लेकिन न तो उनको समय पर खाली करवाने की समुचित व्यवस्था है और न ही गंदगी को हटाने के कोई पुख्ता इंतजाम ही किए गए हैं. वहीं सब्जी मंडी सहित कस्बे में जगह-जगह गंदगी का यही दृश्य दिखाई दे रहा है. नगरपालिका कुम्भकर्णी नींद में सोई हुई है और स्वच्छ भारत मिशन महज कागजों में ही सिमट कर रह गया है.

डीग (भरतपुर). क्षेत्र में इन-दिनों पुराना बस स्टैंड स्थित किले के चारों ओर फैल रही गंदगी से कस्बेवासी काफी परेशान नजर आ रहे हैं. आलम ये है कि किलों के पास गंदगी से निकली दुर्गंध के कारण वहां से कोई राहगीर निकल भी नहीं सकता है. वहीं दूसरी ओर नगरपालिका प्रशासन भी सफाई पर कोई ध्यान नहीं दे रहा है.

डीग में सफाई व्यवस्था चरमराई

इधर कस्बे वासियों का कहना है कि शहर की नालियों से निकला गंदा पानी, कीचड़, पॉलीथिन, कूड़ा करकट और सभी तरह की गंदगी, लोगों द्वारा किले के चारों तरफ भरे पानी में फेंकी जाती है. जिससे वहां का पानी सड़ने लगा है और दुर्गंध भी आने लगा है, लेकिन नगरपालिका को ना तो शहरवासियों के स्वास्थ्य की चिंता है और ना ही ऐतिहासिक धरोहर की भव्यता की.

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हालांकि नगर परिषद द्वारा कस्बे में जगह-जगह कचरे पात्र रखवाए गए हैं, लेकिन न तो उनको समय पर खाली करवाने की समुचित व्यवस्था है और न ही गंदगी को हटाने के कोई पुख्ता इंतजाम ही किए गए हैं. वहीं सब्जी मंडी सहित कस्बे में जगह-जगह गंदगी का यही दृश्य दिखाई दे रहा है. नगरपालिका कुम्भकर्णी नींद में सोई हुई है और स्वच्छ भारत मिशन महज कागजों में ही सिमट कर रह गया है.

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