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प्रदेश सरकार के अंग्रेजी माध्यम के स्कूल में जमीन पर बैठकर तालीम लेने को मजबूर हैं बच्चे

प्रदेश के इंग्लिश मीडियम स्कूल में बच्चों को पेड़ के नीचे जमीन पर बैठकर पढ़ाई करनी पड़ रही है. वहीं स्कूल में बच्चों को कई समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है.

बच्चों को पेड़ के नीचे बैठकर करनी पड़ रही पढ़ाई
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Published : Jul 26, 2019, 2:44 PM IST

भरतपुर. जिले में सिविल लाइंस स्थित राजकीय महात्मा गांधी इंग्लिश मीडियम माध्यमिक स्कूल है. जो कक्षा 1 से कक्षा 10 तक का है. जहां कक्षा एक से कक्षा 8 तक को इंग्लिश मीडियम किया गया है ,लेकिन वहां स्थिति बेहद बदतर है. जहां पढ़ने वाले बच्चों को बैठने के लिए पर्याप्त कमरे नहीं है.

बच्चों को पेड़ के नीचे बैठकर करनी पड़ रही पढ़ाई

जिससे बच्चों को जमीन पर पेड़ों के नीचे बैठकर ही तालीम लेने के लिए मजबूर होना पड़ रहा है, जबकि दावे किए जाते हैं कि सरकारी स्कूलों में बच्चों को बैठने के लिए फर्नीचर क्लास में लाइट पंखे उपलब्ध है. लेकिन स्कूल की स्थिति बिलकुल विपरीत है.स्कूल में 15 कमरों की जरूरत है जबकि यहां महज 9 कमरे हैं.

इसलिए बच्चों को पेड़ों के नीचे बिठाकर ही पढ़ाया जाता है. इस स्कूल में 273 बच्चे हैं. इन सभी के लिए बैठने के लिए कमरों की व्यवस्था नहीं है. वहीं स्कूल में संचालित सभी क्लास रूम में बच्चों को बैठने केलिए फर्नीचर की व्यवस्था नहीं है .बच्चों को जमीन पर ही बैठकर पढ़ना पड़ता है.

इसलिए दूसरी तरफ स्कूल की कक्षाओं में रोशनी के लिए कोई भी व्यवस्था नहीं है.इस बारे में स्कूल प्राचार्य भावना सिंह ने बताया कि स्कूल अभी 1 महीने पहले ही इंग्लिश मीडियम का हुआ है, तो कमियों को दूर करने में समय तो लगेगा. स्कूल में 15 कमरों की जरूरत है और यहां 9 ही हैं. इसलिए एक कक्षा के बच्चों को बाहर जमीन पर ही बिठाया जाता है. वहीं व्यवस्था को दुरुस्त होने में अभी 1 वर्ष का समय लगेगा.

भरतपुर. जिले में सिविल लाइंस स्थित राजकीय महात्मा गांधी इंग्लिश मीडियम माध्यमिक स्कूल है. जो कक्षा 1 से कक्षा 10 तक का है. जहां कक्षा एक से कक्षा 8 तक को इंग्लिश मीडियम किया गया है ,लेकिन वहां स्थिति बेहद बदतर है. जहां पढ़ने वाले बच्चों को बैठने के लिए पर्याप्त कमरे नहीं है.

बच्चों को पेड़ के नीचे बैठकर करनी पड़ रही पढ़ाई

जिससे बच्चों को जमीन पर पेड़ों के नीचे बैठकर ही तालीम लेने के लिए मजबूर होना पड़ रहा है, जबकि दावे किए जाते हैं कि सरकारी स्कूलों में बच्चों को बैठने के लिए फर्नीचर क्लास में लाइट पंखे उपलब्ध है. लेकिन स्कूल की स्थिति बिलकुल विपरीत है.स्कूल में 15 कमरों की जरूरत है जबकि यहां महज 9 कमरे हैं.

इसलिए बच्चों को पेड़ों के नीचे बिठाकर ही पढ़ाया जाता है. इस स्कूल में 273 बच्चे हैं. इन सभी के लिए बैठने के लिए कमरों की व्यवस्था नहीं है. वहीं स्कूल में संचालित सभी क्लास रूम में बच्चों को बैठने केलिए फर्नीचर की व्यवस्था नहीं है .बच्चों को जमीन पर ही बैठकर पढ़ना पड़ता है.

इसलिए दूसरी तरफ स्कूल की कक्षाओं में रोशनी के लिए कोई भी व्यवस्था नहीं है.इस बारे में स्कूल प्राचार्य भावना सिंह ने बताया कि स्कूल अभी 1 महीने पहले ही इंग्लिश मीडियम का हुआ है, तो कमियों को दूर करने में समय तो लगेगा. स्कूल में 15 कमरों की जरूरत है और यहां 9 ही हैं. इसलिए एक कक्षा के बच्चों को बाहर जमीन पर ही बिठाया जाता है. वहीं व्यवस्था को दुरुस्त होने में अभी 1 वर्ष का समय लगेगा.

Intro:हैडलाइन--- प्रदेश सरकार के अंग्रेजी माध्यम के स्कूल में पेड़ों के नीचे जमीन पर बैठकर तालीम लेने को मजबूर बच्चे

स्लग-- प्रदेश के इंग्लिश मीडियम स्कूल का बदतर हाल, बच्चों को पेड़ के नीचे जमीन पर बैठकर लेनी पड़ती है शिक्षा, हिंदी मीडियम के अध्यापक पढ़ाते हैं अंग्रेजी में, कमरों की व्यवस्था नहीं होने से बच्चों को बिठाया जाता जमीन पर

भरतपुर--- करीब 1 महीने पहले राजस्थान सरकार ने हर जिले में इंग्लिश मीडियम के स्कूल खोले हैं जिनका उद्देश्य प्रदेश के सरकारी स्कूलों में पढ़ने वाले बच्चों को अंग्रेजी का अच्छा ज्ञान देना जिसके लिए सरकार ने भारी संख्या में स्कूलों में अंग्रेजी माध्यम के अध्यापकों की पोस्टिंग भी की मगर जब इन अंग्रेजी मीडियम स्कूलों की वास्तविक स्थिति देखी तो सरकार के यह प्रयास और दावे हवा होते दिखाई दे रहे हैं.....
भरतपुर शहर में सिविल लाइंस स्थित राजकीय महात्मा गांधी इंग्लिश मीडियम माध्यमिक स्कूल है जो कक्षा एक से कक्षा 10 तक का है और जहा कक्षा एक से कक्षा 8 तक को इंग्लिश मीडियम किया गया है लेकिन वहां स्थिति बेहद बदतर है जहां पढ़ने वाले बच्चों को बैठने के लिए पर्याप्त कमरे नहीं है जिससे बच्चों को जमीन पर पेड़ों के नीचे बैठकर ही तालीम लेने के लिए मजबूर होना पड़ रहा है जबकि दावे किए जाते हैं कि सरकारी स्कूलों में बच्चों को बैठने के लिए फर्नीचर क्लास में लाइट पंखे उपलब्ध है लेकिन स्कूल की स्थिति बिलकुल विपरीत है....
स्कूल में 15 कमरों की जरूरत है जबकि यहां महज 9 कमरे हैं इसलिए बच्चों को पेड़ों के नीचे बिठाकर ही पढ़ाया जाता है इस स्कूल में 273 बच्चे हैं इन सभी के लिए बैठने के लिए कमरों की व्यवस्था नहीं है इंग्लिश मीडियम स्कूल में ज्यादातर अध्यापक हिंदी मीडियम के लगाए गए हैं जो बच्चों को गलत तरीके से इंग्लिश पढ़ा रहे हैं साथ ही यह बच्चों को जो इंग्लिश ग्रामर पढ़ाई जा रही है वह भी गलत है यदि ऐसा ही होता रहा तो आलम यह होगा कि बच्चे ना तो हिंदी के रहेंगे और ना ही इंग्लिश मीडियम के....
जब क्लास में अध्यापक द्वारा बच्चों को पढ़ाई जा रही इंग्लिश सब्जेक्ट को देखा तो हकीकत कुछ ज्यादा ही चौंकाने वाली थी जहां हिंदी मीडियम का गणित का अध्यापक बच्चों को इंग्लिश पढ़ा रहा था जो भी गलत वर्तनी के साथ जहां खुद अध्यापक को ही अंग्रेजी ग्रामर में वर्तनी क्रिया सिंगुलर प्लूरल के बारे में नहीं पता था और बच्चों को गलत तरीके से अंग्रेजी पढ़ाई जा रहा था.... जब अध्यापक से गलत पढ़ाने के ऊपर सवाल किए तो अध्यापक फिर भी गलत जवाब देता रहा इतना ही नहीं स्कूल में संचालित सभी कक्षा रूम में बच्चों को बैठने के लिए फर्नीचर की व्यवस्था नहीं है और बच्चों को वहां भी जमीन पर ही बैठकर पढ़ना पड़ता है इसलिए दूसरी तरफ स्कूल की कक्षाओं में रोशनी के लिए कोई भी व्यवस्था नहीं है....
इन सभी के बारे में जब स्कूल प्राचार्य भावना सिंह से बात की तो उन्होंने बताया कि स्कूल अभी 1 महीने पहले ही इंग्लिश मीडियम का हुआ है तो कमियों को दूर करने में समय तो लगेगा ही...स्कूल में 15 कमरों की जरूरत है और यहां 9 ही हैं इसलिए एक कक्षा के बच्चों को बाहर जमीन पर ही बिठाया जाता है और व्यवस्था को दुरुस्त होने में अभी 1 वर्ष का समय लगेगा...अरेंजमेंट कर के अध्यापकों को भेजा जाता है जहां मैथ का टीचर पढ़ाता है लेकिन अब ऐसा नहीं होने देंगे...
बाइट--भावना सिंह, प्राचार्य,महात्मा गांधी इंग्लिश मीडियम माध्यमिक स्कूल सिविल लाइंस भरतपुर


Body:प्रदेश सरकार के अंग्रेजी माध्यम के स्कूल में पेड़ों के नीचे जमीन पर बैठकर तालीम लेने को मजबूर बच्चे


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