भरतपुर. साल 1971 में भारत-पाकिस्तान के युद्ध के हीरो वीर चक्र विजेता 94 वर्षीय रिटायर्ड सूबेदार बृजेन्द्र सिंह के घर रविवार को कर्नल अनूप एस नायर विजय मशाल लेकर पहुंचे. बता दें कि 1971 में भारत-पाकिस्तान युद्ध के 50 साल पूरे होने पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 16 दिसंबर को 4 विजय मशाल दिल्ली से रवाना की थी. ये मशाल आर्मी द्बारा देश की अलग-अलग रेजिमेंट में ले जाई जा रही है. प्रत्येक रेजिमेंट में विजय मशाल को 10 दिन के लिए रखा जा रहा है. इस दौरान कई कार्यक्रम भी आयोजित किये जा रहे हैं. शनिवार को विजय मशाल भरतपुर के सेवर फोर्ट पहुंची थी. जहां विजय मशाल का बिग्रेडियर वयदिश महाजन ने स्वागत किया.
बृजेन्द्र सिंह की थी अहम भूमिका...
बृजेन्द्र सिंह की 1971 भारत पाकिस्तान के युद्ध मे अहम भूमिका थी. उन्हें वीर चक्र से भी सम्मानित किया गया. बृजेन्द्र सिंह को सूबेदार बाबा के नाम से भी जाना जाता है. वे भारतीय सेना के 4 जाट रेजिमेंट में तैनात थे. 1971 में उन्होंने पाकिस्तान सीमा पर मौजूद फाजिल्का सेक्टर में बेरीवाला पल की लड़ाई में हिस्सा लिया था. बृजेन्द्र सिंह की वीरता और साहस के कारण भारतीय सेना से 1971 के युद्ध में विजय हासिल की थी. बृजेन्द्र सिंह 4 जाट की डेल्टा कंपनी के सेकेंड इन कमांडर थे.
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घायल होने के बाद भी दिया मुंहतोड़ जवाब...
3 दिसंबर 1971 को बेरीवाला पुल पर पाकिस्तान के 06 सीमा बल का कब्जा था. पाकिस्तान सैनिक युद्ध मे भारत की सेना पर हाबी थे. लेकिन, 3 दिसंबर की रात को 4 जाट की डेल्टा कंपनी ने पुल पर कब्जा करने के लिए जवाबी हमला कर दिया. भारतीय सैनिकों में वीरता और साहस दिखाते हुए बेरीवाला पुल पर पाकिस्तान की सेना के अधिकांश बंकरों को जाट रेजिमेंट में अपने कब्जे में ले लिया. लेकिन, पास के एक बंकर में पाकिस्तान का एक सैनिक भारतीय सैनिकों पर गोलीबारी कर रहा था. जिस पर सूबेदार बृजेन्द्र सिंह ने तीन सैनिकों के साथ बंकर पर हमला कर दिया. इस दौरान सूबेदार बृजेन्द्र सिंह के हाथ, पैर, पेट में कई गोलियां लगी. लेकिन, उसके बाद भी बृजेन्द्र सिंह ने बंकर पर हमला जारी रखा और दुश्मन को मार गिराया.