भरतपुर. प्रदेश में मिलावटखोरों पर लगाम लगाने के लिए सरकार होली, दीपावली, रक्षाबंधन, महाशिवरात्रि जैसे त्योहारों पर अभियान चलाती है. लेकिन जमीनी हकीकत यह है कि प्रदेश में खाद्य सुरक्षा अधिकारियों के 75% से अधिक पद रिक्त पड़े हैं. ऐसे में सोचने वाली बात यह है कि मिलावटखोरों पर बिना अधिकारियों के लगाम कैसे लग पाएगी.
इतना ही नहीं चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग ने विभागीय कर्मचारियों को ही खाद्य सुरक्षा अधिकारी की शक्तियां प्रदान कर दी हैं. ऐसे में ना तो मिलावटखोरों पर लगाम लग पा रही है और ना ही शुद्ध के लिए युद्ध अभियान का उद्देश्य पूरा हो पा रहा है. विभाग से मिली जानकारी के अनुसार प्रदेश में खाद्य सुरक्षा अधिकारी के 298 पद स्वीकृत हैं. लेकिन इनमें से 226 पद यानी 75.83% पद रिक्त पड़े हैं. लंबे समय से विभाग में खाद्य सुरक्षा अधिकारियों के पदों पर भर्ती भी नहीं की गई है.
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कर्मचारियों को सौंपी जिम्मेदारी: विभाग ने लंबे समय से खाद्य सुरक्षा अधिकारियों के पद पर भर्ती नहीं की. विभागीय कर्मचारियों को ही प्रशिक्षण देकर खाद्य सुरक्षा अधिकारी की शक्तियां सौंप दीं हैं. विभाग ने दिसंबर 2022 में खाद्य सुरक्षा अधिकारियों की कमी को देखते हुए 31 विभागीय कर्मचारियों को प्रशिक्षण दिया. जबकि वर्ष 2007 से 41 विभागीय कर्मचारियों को ही खाद्य सुरक्षा अधिकारी की शक्तियां प्रदान कर रखी हैं.
4 साल में सिर्फ 9165 सैंपल मिलावटी: चिकित्सा विभाग से मिली जानकारी के अनुसार वर्ष 2019 से वर्ष 2022 तक चार साल में पूरे प्रदेश में खाद्य सामग्री के 34,525 सैंपल लिए गए. इनमें से 9165 सैंपल मिलावटी पाए गए. इनमें से 7342 प्रकरण न्याय निर्णयन अधिकारी और 507 प्रकरण सीजेएम न्यायालय में प्रस्तुत किए गए. ताज्जुब की बात यह है कि 34,525 सैंपल में से 764 सैंपल असुरक्षित पर गए.
भरतपुर में खाद्य सुरक्षा अधिकारी के 3 पद हैं. जिन पर खाद्य सुरक्षा अधिकारी कार्यरत हैं. जिले में वर्ष 2019 से 2022 तक लिए गए सैंपल में से क्रमशः 34, 78, 58, 91 सैंपल अमानक पाए गए. जबकि कुल 13 सैंपल असुरक्षित पाए गए. कुल मिलाकर जब तक योग्य खाद्य सुरक्षा अधिकारियों की नियुक्ति नहीं की जाएगी, तब तक शुद्ध के लिए युद्ध अभियान महज खानापूर्ति बनकर रह जाएगी.