भरतपुर. प्रदेश में भगवान शिव के अनेकों मंदिर स्थित हैं, जिनकी अपनी एक मान्यता है. इसी तरह भरतपुर शहर में भी एक प्राचीन शिव मंदिर स्थित है, जहां मान्यता है कि आज भी नागदेवता भोलेनाथ के दर्शन के लिए आते हैं. मान्यता ये भी है कि इस स्वयंभू शिवलिंग पर 350 साल पहले एक गाय दुग्धाभिषेक करती थी. श्रावण मास में हर दिन बड़ी संख्या में श्रद्धालु यहां पूजा अर्चना करने पहुंचते हैं. इस मंदिर के प्रति शहरवासियों की ही नहीं बल्कि दूर दराज के शहरों के श्रद्धालुओं की भी आस्था है.
दुग्धाभिषेक करती थी गाय : मंदिर के पुजारी जगपाल नाथ योगी ने बताया कि करीब 350 वर्ष पूर्व केवलादेव राष्ट्रीय उद्यान क्षेत्र में आसपास के ग्रामीण गाय चराने आते थे. उसी समय एक ग्वाले की गाय जंगल में एक केले के पेड़ के नीचे आकर अपना दूध निकाल जाती थी. एक दिन किसान ने गाय का पीछा किया तो उसने गाय को दूध निकालते देख लिया.
![Keoladeo Shiv Temple](https://etvbharatimages.akamaized.net/etvbharat/prod-images/15-07-2023/19007561_bharatpur-info.jpg)
जमीन में मिला स्वयंभू शिवलिंग : किसान को यह सब देख कर बड़ा आश्चर्य हुआ. उसी समय जंगल में शिकार करने के लिए महाराजा सूरजमल आया करते थे. किसान ने यह बात महाराजा सूरजमल को बताई. इसपर उन्होंने उस स्थान की खुदाई कराई, तो वहां एक शिवलिंग निकला. काफी गहरी खुदाई करने के बावजूद शिवलिंग का अंत नहीं मिला, तो उसी स्थान पर शिव मंदिर का निर्माण करा दिया गया. मंदिर का नाम केवलादेव शिव मंदिर रखा गया.
आज भी दर्शन करने आता है नाग : मंदिर के पुजारी जगपाल नाथ योगी ने बताया सावन के सोमवार के दिन आज भी मंदिर में एक नाग आता है. नाग मंदिर में भगवान शिव के दर्शन करता है और मंदिर के गुंबद पर ऊपर चढ़कर देर तक बैठा रहता है और उसके बाद लापता हो जाता है. पुजारी ने बताया कि यह दृश्य हर श्रावण मास में देखने को मिलता है. पक्षियों के स्वर्ग के रूप में पहचाने जाने वाले केवलादेव राष्ट्रीय उद्यान का नामकरण भी इसी मंदिर के नाम पर हुआ है. मंदिर में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत, पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे, उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ की पत्नी यहां पूजा पाठ कर चुकी हैं.
![Keoladeo Shiv Temple](https://etvbharatimages.akamaized.net/etvbharat/prod-images/15-07-2023/rjbrt02bharatpurkeoladeoshivatemplevis567890_15072023170749_1507f_1689421069_735.jpg)
पढ़ें. कोटा में 100 साल पुराना शिव का यह मंदिर सालभर में केवल एक बार ही खुलता है, यह है कारण
विरासत को संभालने की जरूरत : पुजारी जगपाल नाथ ने बताया कि मंदिर करीब 350 वर्ष पुराना है, लेकिन मंदिर की देखभाल के लिए न तो देवस्थान विभाग कोई फंड देता है और न ही अन्य किसी संस्था से कोई सहायता मिलती है. मंदिर में श्रद्धालुओं के चढ़ावे से ही पूजा-पाठ और रखरखाव का कार्य कराया जाता है. ऐसे में इस प्राचीन मंदिर के रखरखाव और संरक्षण की आवश्यकता है.