ETV Bharat / state

SPECIAL : केवलादेव राष्ट्रीय उद्यान पर निर्भर 200 परिवार...आर्थिक संकट से जूझ रहे रिक्शा चालक, नेचर गाइड - Keoladeo National Park Corona Transition Visitors

कोरोना संक्रमण ने देश के हर वर्ग को प्रभावित किया है. भरतपुर के केवलादेव राष्ट्रीय उद्यान पर निर्भर यहां के करीब 123 रिक्शा चालक और 80 नेचर गाइड आर्थिक संकट के दौर से गुजर रहे हैं. लॉक डाउन के बाद केवलादेव राष्ट्रीय उद्यान को अनलॉक हुए करीब 5 महीने गुजर गए लेकिन पर्यटक बहुत कम तादाद में यहां आ रहे हैं. देखिये यह खास रिपोर्ट...

Keoladeo ghana national park news, ghana bird sanctuary park news,  Bharatpur Keoladeo National Park news, Keoladeo National Park Corona Transition Visitors, Bharatpur Keoladeo National Park Viewer Nature Guide
आर्थिक संकट से जूझ रहे केवलादेव राष्ट्रीय उद्यान पर निर्भर 200 परिवार
author img

By

Published : Dec 19, 2020, 8:08 PM IST

भरतपुर. कोरोना संक्रमण का दौर ऐसा आया जिसने पूरी दुनिया के पहिए को ही थाम दिया है. जीवन चक्र का ये पहिया बहुत मंद गति से आगे बढ़ रहा है लेकिन इस गति में कई लोगों का जीवन दांव पर लगा है. कुछ लोग हैं जो रोज कमाते हैं, रोज खाते हैं. ऐसे लोगों को जब रोजगार नहीं मिलता, दिहाड़ी नहीं मिलती तो फिक्र होना लाजिमी है. मामला भरतपुर के केवलादेव राष्ट्रीय उद्यान का है. यहां आने वाले पर्यटकों का स्वागत करते हैं रिक्शा चालक और नेचर गाइड.

आर्थिक संकट से जूझ रहे हैं केवलादेव राष्ट्रीय उद्यान पर निर्भर 200 परिवार

पर्यटकों का फुटफॉल नहीं, रिक्शा चालक नेचर गाइड बेरोजगार

रिक्शा चालक पर्यटकों को उद्यान की सैर कराते हैं और नेचर गाइड केवलादेव की वनस्पति, वन्यजीव, प्राणियों, पक्षियों और तितलियों के साथ साथ केवलादेव के महत्व को समझाते हैं. लेकिन इन दिनों ये नेचर गाइड और रिक्शेवाले बेरोजगार हैं. इसकी वजह यह है कि कोरोना के दौर में यहां पर्यटकों का फुटफाल बिल्कुल कम हो गया है.

Keoladeo ghana national park news, ghana bird sanctuary park news,  Bharatpur Keoladeo National Park news, Keoladeo National Park Corona Transition Visitors, Bharatpur Keoladeo National Park Viewer Nature Guide
पार्क में 123 रिक्शाचालक हैं जिसमें से लगभग 100 को काम नहीं मिलता

विदेशी पर्यटक तो आ ही नहीं रहे हैं. देशी पर्यटक भी इस समय पर्यटन पर खर्च नहीं कर रहे हैं.इस साल जनवरी से अगस्त तक केवलादेव राष्ट्रीय उद्यान में देशी पर्यटक 34,240, विद्यार्थी 8,856 और विदेशी पर्यटक 7297 आए. ये विदेशी पर्यटक वो हैं जो कि लॉक डाउन से पहले यहां आए थे. इस बार के पर्यटन सीजन में राजस्थान के अन्य शहरों से एवं एनसीआर क्षेत्र से देशी पर्यटक घना पहुंच रहे हैं. लेकिन पर्यटकों की संख्या काफी कम है.

पढ़ें- अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पहचान दिलाने वाले साइबेरियन सारस 18 साल से नहीं आए भरतपुर

लगभग 100 रिक्शा चालकों को नहीं मिलती सवारी

केवलादेव राष्ट्रीय उद्यान के नेचर गाइड ईश्वर सिंह ने बताया कि पहले तो लॉकडाउन में आर्थिक संकट झेलना पड़ा. उसके बाद अनलॉक होने पर भी उद्यान के सभी गाइडों को रोजगार नहीं मिल पा रहा है. उद्यान में हर दिन बहुत कम पर्यटक पहुंच रहे हैं. ऐसे में 80 में से मुश्किल से 5 या 10 नेचर गाइड को ही पर्यटक साथ ले जाते हैं. बाकी सभी हर दिन खाली हाथ घर लौट जाते हैं.

रिक्शा चालक राजू सिंह ने बताया कि घना में कुल 123 रिक्शा हैं, जिनमें से हर दिन मुश्किल से 20 रिक्शा चालकों को ही पर्यटक मिल पाते हैं. बाकी करीब 100 रिक्शा चालक दिन भर बेरोजगार बैठे रहते हैं. लॉक डाउन के बाद घना खुला तो उम्मीद जगी थी कि शायद पर्यटक अच्छी संख्या में आएंगे. लेकिन विदेशी पर्यटक तो बिल्कुल नहीं आ रहे और देशी पर्यटक भी बहुत कम पहुंच रहे हैं. ऐसे में रिक्शा चालकों का परिवार चलाना मुश्किल हो गया है.

पढ़ें- तितलियां हैं Bio Indicator, देती हैं पर्यावरण शुद्धता का संदेश...भरतपुर के घना में तितलियों की 75 प्रजातियां

ऐसे नियम बनें कि रोजगार मिले

रिक्शा चालक महाराज सिंह ने बताया कि एक तरफ तो घना में पर्यटक बहुत कम पहुंच रहे हैं, वहीं कुछ पर्यटक बाहर से ही साइकिल लेकर घना घूमने आते हैं. ऐसे में रिक्शा चालकों को रोजगार ही नहीं मिल पा रहा. कोरोना संक्रमण के इस दौर में आर्थिक संकट से जूझ रहे रिक्शा चालकों को ध्यान में रखते हुए घना प्रशासन को प्राइवेट साइकिलों की एंट्री पर रोक लगानी चाहिए, जिससे कि रिक्शा चालकों को कुछ रोजगार मिल सके. रिक्शा चालक अर्जुन सिंह ने बताया कि कोरोना के दौर में रिक्शा चालकों के आर्थिक हालात खराब होते जा रहे हैं. इस दौर में सरकार की तरफ से भी रिक्शा चालकों के लिए किसी प्रकार की कोई आर्थिक मदद नहीं की गई है. ऐसे में सरकार से मांग है कि रिक्शा चालक और नेचर गाइडों की आर्थिक मदद के लिए कोई रास्ता खोले.

Keoladeo ghana national park news, ghana bird sanctuary park news,  Bharatpur Keoladeo National Park news, Keoladeo National Park Corona Transition Visitors, Bharatpur Keoladeo National Park Viewer Nature Guide
कोरोना काल ने पर्यटन और पर्यटन से जुड़े लोगों का प्रभावित किया है

गौरतलब है कि केवलादेव राष्ट्रीय उद्यान में हर वर्ष करीब 400 प्रजातियों के देशी-विदेशी हजारों पक्षी यहां आते हैं. पर्यटन सीजन में यहां के रिक्शा चालकों और नेचर गाइडों को पर्यटक घुमाने से आमदनी होती है. लेकिन इस बार कोरोना के चलते घना के इन लोगों को अर्थिक संकट झेलना पड़ रहा है.

भरतपुर. कोरोना संक्रमण का दौर ऐसा आया जिसने पूरी दुनिया के पहिए को ही थाम दिया है. जीवन चक्र का ये पहिया बहुत मंद गति से आगे बढ़ रहा है लेकिन इस गति में कई लोगों का जीवन दांव पर लगा है. कुछ लोग हैं जो रोज कमाते हैं, रोज खाते हैं. ऐसे लोगों को जब रोजगार नहीं मिलता, दिहाड़ी नहीं मिलती तो फिक्र होना लाजिमी है. मामला भरतपुर के केवलादेव राष्ट्रीय उद्यान का है. यहां आने वाले पर्यटकों का स्वागत करते हैं रिक्शा चालक और नेचर गाइड.

आर्थिक संकट से जूझ रहे हैं केवलादेव राष्ट्रीय उद्यान पर निर्भर 200 परिवार

पर्यटकों का फुटफॉल नहीं, रिक्शा चालक नेचर गाइड बेरोजगार

रिक्शा चालक पर्यटकों को उद्यान की सैर कराते हैं और नेचर गाइड केवलादेव की वनस्पति, वन्यजीव, प्राणियों, पक्षियों और तितलियों के साथ साथ केवलादेव के महत्व को समझाते हैं. लेकिन इन दिनों ये नेचर गाइड और रिक्शेवाले बेरोजगार हैं. इसकी वजह यह है कि कोरोना के दौर में यहां पर्यटकों का फुटफाल बिल्कुल कम हो गया है.

Keoladeo ghana national park news, ghana bird sanctuary park news,  Bharatpur Keoladeo National Park news, Keoladeo National Park Corona Transition Visitors, Bharatpur Keoladeo National Park Viewer Nature Guide
पार्क में 123 रिक्शाचालक हैं जिसमें से लगभग 100 को काम नहीं मिलता

विदेशी पर्यटक तो आ ही नहीं रहे हैं. देशी पर्यटक भी इस समय पर्यटन पर खर्च नहीं कर रहे हैं.इस साल जनवरी से अगस्त तक केवलादेव राष्ट्रीय उद्यान में देशी पर्यटक 34,240, विद्यार्थी 8,856 और विदेशी पर्यटक 7297 आए. ये विदेशी पर्यटक वो हैं जो कि लॉक डाउन से पहले यहां आए थे. इस बार के पर्यटन सीजन में राजस्थान के अन्य शहरों से एवं एनसीआर क्षेत्र से देशी पर्यटक घना पहुंच रहे हैं. लेकिन पर्यटकों की संख्या काफी कम है.

पढ़ें- अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पहचान दिलाने वाले साइबेरियन सारस 18 साल से नहीं आए भरतपुर

लगभग 100 रिक्शा चालकों को नहीं मिलती सवारी

केवलादेव राष्ट्रीय उद्यान के नेचर गाइड ईश्वर सिंह ने बताया कि पहले तो लॉकडाउन में आर्थिक संकट झेलना पड़ा. उसके बाद अनलॉक होने पर भी उद्यान के सभी गाइडों को रोजगार नहीं मिल पा रहा है. उद्यान में हर दिन बहुत कम पर्यटक पहुंच रहे हैं. ऐसे में 80 में से मुश्किल से 5 या 10 नेचर गाइड को ही पर्यटक साथ ले जाते हैं. बाकी सभी हर दिन खाली हाथ घर लौट जाते हैं.

रिक्शा चालक राजू सिंह ने बताया कि घना में कुल 123 रिक्शा हैं, जिनमें से हर दिन मुश्किल से 20 रिक्शा चालकों को ही पर्यटक मिल पाते हैं. बाकी करीब 100 रिक्शा चालक दिन भर बेरोजगार बैठे रहते हैं. लॉक डाउन के बाद घना खुला तो उम्मीद जगी थी कि शायद पर्यटक अच्छी संख्या में आएंगे. लेकिन विदेशी पर्यटक तो बिल्कुल नहीं आ रहे और देशी पर्यटक भी बहुत कम पहुंच रहे हैं. ऐसे में रिक्शा चालकों का परिवार चलाना मुश्किल हो गया है.

पढ़ें- तितलियां हैं Bio Indicator, देती हैं पर्यावरण शुद्धता का संदेश...भरतपुर के घना में तितलियों की 75 प्रजातियां

ऐसे नियम बनें कि रोजगार मिले

रिक्शा चालक महाराज सिंह ने बताया कि एक तरफ तो घना में पर्यटक बहुत कम पहुंच रहे हैं, वहीं कुछ पर्यटक बाहर से ही साइकिल लेकर घना घूमने आते हैं. ऐसे में रिक्शा चालकों को रोजगार ही नहीं मिल पा रहा. कोरोना संक्रमण के इस दौर में आर्थिक संकट से जूझ रहे रिक्शा चालकों को ध्यान में रखते हुए घना प्रशासन को प्राइवेट साइकिलों की एंट्री पर रोक लगानी चाहिए, जिससे कि रिक्शा चालकों को कुछ रोजगार मिल सके. रिक्शा चालक अर्जुन सिंह ने बताया कि कोरोना के दौर में रिक्शा चालकों के आर्थिक हालात खराब होते जा रहे हैं. इस दौर में सरकार की तरफ से भी रिक्शा चालकों के लिए किसी प्रकार की कोई आर्थिक मदद नहीं की गई है. ऐसे में सरकार से मांग है कि रिक्शा चालक और नेचर गाइडों की आर्थिक मदद के लिए कोई रास्ता खोले.

Keoladeo ghana national park news, ghana bird sanctuary park news,  Bharatpur Keoladeo National Park news, Keoladeo National Park Corona Transition Visitors, Bharatpur Keoladeo National Park Viewer Nature Guide
कोरोना काल ने पर्यटन और पर्यटन से जुड़े लोगों का प्रभावित किया है

गौरतलब है कि केवलादेव राष्ट्रीय उद्यान में हर वर्ष करीब 400 प्रजातियों के देशी-विदेशी हजारों पक्षी यहां आते हैं. पर्यटन सीजन में यहां के रिक्शा चालकों और नेचर गाइडों को पर्यटक घुमाने से आमदनी होती है. लेकिन इस बार कोरोना के चलते घना के इन लोगों को अर्थिक संकट झेलना पड़ रहा है.

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.