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रक्षाबंधन के दिन ही क्यों मनाया जाता है मां संतोषी का प्राकट्य दिवस?

सिद्धेश्वर महादेव विकास समिति और संतोषी माता मित्र मंडल के संयुक्त तत्वाधान में रविवार को रक्षाबंधन के अवसर पर संतोषी माता का प्राकट्य दिवस मनाया गया. प्राकट्य दिवस उत्सव के तहत संतोषी माता मित्र मंडल की ओर से शहर के विरात्रा माता मंदिर से सफेद आकड़ा तक पैदल यात्रा का आयोजन किया गया. जिसमें मित्र मंडल से जुड़ी महिलाओं और श्रद्धालुओं ने भाग लिया.

रक्षाबंधन पर मां संतोषी का प्राकट्य दिवस, Rajasthan News
रक्षाबंधन पर मां संतोषी का प्राकट्य दिवस
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Published : Aug 22, 2021, 4:19 PM IST

बाड़मेर. रक्षाबंधन का त्योहार संतोषी मां प्रकट दिवस के रूप में भी मनाया जाता है. इसमें संतोषी मां के भक्त माता की पूजा अर्चना करते हैं. ऐसा ही कुछ दृश्य राजस्थान के बाड़मेर जिले के संतोषी माता मंदिरों में देखने को मिला, जहां पर श्रद्धालु पैदल यात्रा करके मां के मंदिर पहुंचे. आरती की, भजन कीर्तन किए साथ ही कई कार्यक्रमों का आयोजन भी किया गया.

सिद्धेश्वर महादेव विकास समिति और संतोषी माता मित्र मंडल के संयुक्त तत्वाधान में रविवार को रक्षाबंधन के अवसर पर संतोषी माता का प्राकट्य दिवस मनाया गया. प्राकट्य दिवस उत्सव के तहत संतोषी माता मित्र मंडल की ओर से शहर के विरात्रा माता मंदिर से सफेद आकड़ा तक पैदल यात्रा का आयोजन किया गया. जिसमें मित्र मंडल से जुड़ी महिलाओं और श्रद्धालुओं ने भाग लिया.

बाड़मेर न्यूज, Rajasthan News
महिलाओं ने मनाया माता संतोषी का प्राकट्य दिवस

इसके बाद सिद्धेश्वर सफेद आकड़ा स्थित संतोषी माता मंदिर में भव्य आरती के आयोजन से प्राकट्य दिवस के कार्यक्रमों का आगाज हुआ. इसके बाद सफेद आकड़ा में संतोषी माता मंदिर में मां संतोषी के प्राकट्य दिवस के मौके पर भव्य भक्ति संध्या का आयोजन हुआ, जिसमें गणपत भार्गव एण्ड पार्टी की ओर से भजनों की सुमधुर प्रस्तुतियां देकर महिलाओं और श्रद्धालुओं को झूमने पर मजबूर कर दिया. यहां महिला भजन गायक तुलसीबाई के भजनों पर महिलाएं और श्रद्धालु झूमते नजर आए.

यह भी पढ़ेंः Raksha Bandhan 2021: यहां जानिए रक्षा बंधन का शुभ मुहूर्त

सिद्धेश्वर महादेव विकास समिति और संतोषी माता मित्र मंडल के अध्यक्ष हरनारायण रामावत ने बताया कि हर साल की भांति इस बार भी मां संतोषी का प्राकट्य दिवस मनाया गया, जिसमें महिलाओं, बच्चों और श्रद्धालुओं ने विभिन्न कार्यक्रमों में भाग लेकर मां संतोषी की आराधना की. धार्मिक कथाओं के अनुसार भगवान गणेश अपनी बुआ से रक्षासूत्र बंधवा रहे थे. इस दौरान भगवान गणेश के पुत्रों ने इस रस्म के बारे में पूछा.

जिसका उत्तर देते हुए भगवान गणेश ने कहा कि यह धागा नहीं बल्कि एक सुरक्षा कवच है, जो आशीर्वाद और भाई-बहन के प्रेम का प्रतीक भी कहलाता है. अपने पिता की ये बातें सुनकर शुभ और लाभ ने भगवान गणेश से कहा कि ऐसा है तो हमें भी एक बहन चाहिए. यह सुनकर भगवान गणेश ने अपनी शक्तियों से एक ज्योति उत्प‍न्न की और उनकी दोनों पत्नियों की आत्मशक्ति के साथ उसे सम्मिलित कर लिया. इस ज्योति ने एक कन्या का रूप ले लिया, जो ब्रह्मांड में मां संतोषी के नाम से प्रख्यात हुईं. तभी से ही रक्षाबंधन के दिन मां संतोषी का प्राकट्य दिवस मनाया जाता है. कार्यक्रम के दौरान आयोजन मंडल के साथ सैकड़ों श्रद्धालु उपस्थित रहे.

बाड़मेर. रक्षाबंधन का त्योहार संतोषी मां प्रकट दिवस के रूप में भी मनाया जाता है. इसमें संतोषी मां के भक्त माता की पूजा अर्चना करते हैं. ऐसा ही कुछ दृश्य राजस्थान के बाड़मेर जिले के संतोषी माता मंदिरों में देखने को मिला, जहां पर श्रद्धालु पैदल यात्रा करके मां के मंदिर पहुंचे. आरती की, भजन कीर्तन किए साथ ही कई कार्यक्रमों का आयोजन भी किया गया.

सिद्धेश्वर महादेव विकास समिति और संतोषी माता मित्र मंडल के संयुक्त तत्वाधान में रविवार को रक्षाबंधन के अवसर पर संतोषी माता का प्राकट्य दिवस मनाया गया. प्राकट्य दिवस उत्सव के तहत संतोषी माता मित्र मंडल की ओर से शहर के विरात्रा माता मंदिर से सफेद आकड़ा तक पैदल यात्रा का आयोजन किया गया. जिसमें मित्र मंडल से जुड़ी महिलाओं और श्रद्धालुओं ने भाग लिया.

बाड़मेर न्यूज, Rajasthan News
महिलाओं ने मनाया माता संतोषी का प्राकट्य दिवस

इसके बाद सिद्धेश्वर सफेद आकड़ा स्थित संतोषी माता मंदिर में भव्य आरती के आयोजन से प्राकट्य दिवस के कार्यक्रमों का आगाज हुआ. इसके बाद सफेद आकड़ा में संतोषी माता मंदिर में मां संतोषी के प्राकट्य दिवस के मौके पर भव्य भक्ति संध्या का आयोजन हुआ, जिसमें गणपत भार्गव एण्ड पार्टी की ओर से भजनों की सुमधुर प्रस्तुतियां देकर महिलाओं और श्रद्धालुओं को झूमने पर मजबूर कर दिया. यहां महिला भजन गायक तुलसीबाई के भजनों पर महिलाएं और श्रद्धालु झूमते नजर आए.

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सिद्धेश्वर महादेव विकास समिति और संतोषी माता मित्र मंडल के अध्यक्ष हरनारायण रामावत ने बताया कि हर साल की भांति इस बार भी मां संतोषी का प्राकट्य दिवस मनाया गया, जिसमें महिलाओं, बच्चों और श्रद्धालुओं ने विभिन्न कार्यक्रमों में भाग लेकर मां संतोषी की आराधना की. धार्मिक कथाओं के अनुसार भगवान गणेश अपनी बुआ से रक्षासूत्र बंधवा रहे थे. इस दौरान भगवान गणेश के पुत्रों ने इस रस्म के बारे में पूछा.

जिसका उत्तर देते हुए भगवान गणेश ने कहा कि यह धागा नहीं बल्कि एक सुरक्षा कवच है, जो आशीर्वाद और भाई-बहन के प्रेम का प्रतीक भी कहलाता है. अपने पिता की ये बातें सुनकर शुभ और लाभ ने भगवान गणेश से कहा कि ऐसा है तो हमें भी एक बहन चाहिए. यह सुनकर भगवान गणेश ने अपनी शक्तियों से एक ज्योति उत्प‍न्न की और उनकी दोनों पत्नियों की आत्मशक्ति के साथ उसे सम्मिलित कर लिया. इस ज्योति ने एक कन्या का रूप ले लिया, जो ब्रह्मांड में मां संतोषी के नाम से प्रख्यात हुईं. तभी से ही रक्षाबंधन के दिन मां संतोषी का प्राकट्य दिवस मनाया जाता है. कार्यक्रम के दौरान आयोजन मंडल के साथ सैकड़ों श्रद्धालु उपस्थित रहे.

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