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थम गई रिश्तों की रेल: थार एक्सप्रेस न चलने से तीन दुल्हनों की विदाई अधर में, इंतजार में एक बनी मां

भारत-पाकिस्तान अंतरराष्ट्रीय सीमा पर स्थित बाड़मेर-जैसलमेर के लोगों का पाकिस्तान से रोटी-बेटी का संबंध है. इन रिश्तों को निभाने के लिए भारत-पाक के बीच चलने वाली थार एक्सप्रेस महत्वपूर्ण कड़ी थी. लेकिन पुलवामा में आतंकी हमले के बाद दोनों देशों के रिश्तों में तल्खी की वजह से करीब डेढ़ साल से यह कड़ी टूटी हुई है. इसका असर यह हुआ कि सीमावर्ती गांवों में बसे लोगों पर दुखों का पहाड़ टूट पड़ा. किसी की पत्नी, भाई तो किसी के पिता पाक में फंस गए.

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इंतजार में एक बनी मां
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Published : Feb 21, 2021, 1:58 PM IST

बाड़मेर. पाकिस्तान से लगती भारत की सीमा पर बसे बाड़मेर-जैसलमेर के लोगों की पड़ोसी देश में भी रिश्तेदारी है. भले ही भारत-पाकिस्तान के रिश्ते कभी सहज नहीं रहे, लेकिन सीमा पर बसे लोगों के रिश्तों में कभी कड़वाहट नहीं रही. यही वजह है कि यहां के लोग पाकिस्तान से दुल्हनें भी लाते हैं. भारत के सीमावर्ती गांवों के कई लोगों की पाक के सिंध जैसे इलाकों में रिश्तेदारी है.

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मामला समझिए?

दरअसल, बाड़मेर-जैसलमेर के तीन दूल्हे ऐसे हैं, जिन्होंने जनवरी 2019 में पाकिस्तान के सिंध में शादी रचाई थी. लेकिन एक महीने बाद ही पुलवामा हमले से तनाव बढ़ गया. तब से दुल्हनें पाकिस्तान में ही हैं, उन्हें वीजा नहीं मिल पा रहा है. शादी के बाद दूल्हों ने पाकिस्तान में ही रुककर इंतजार किया. उनके साथ बारात में गए लोग भी वहीं ठहरे रहे, ताकि दुल्हन की विदाई करवाकर ही लौटें, लेकिन वीजा नहीं मिलने से थक-हारकर उन्हें अकेले लौटना पड़ा. इन दो साल से तीनों दुल्हनों के परिजन नेताओं से लेकर सरकारों तक चक्कर काट रहे हैं. अब भारतीय विदेश मंत्रालय ने दुल्हनों को भारत लाने के प्रयास शुरू किए हैं. इसके बाद उम्मीद जगी है कि जल्द ही तीनों दुल्हनें भारत अपने ससुराल आ जाएंगी.

यह भी पढ़ें: जज से शादी करने वाली पिंकी मीणा की जमानत अवधि पूरी, आज जाएंगी जेल

दरसअल, जैसलमेर के गांव बइया निवासी विक्रम सिंह और उसके भाई नेपाल सिंह जनवरी 2019 में थार एक्सप्रेस से पाकिस्तान गए थे. विक्रम सिंह की शादी 22 जनवरी और नेपाल की 26 जनवरी को हुई. इसी तरह बाड़मेर के महेंद्र सिंह की शादी 16 अप्रैल को हुई.

दुल्हन के वीजा के इंतजार के बीच नेपाल सिंह की पत्नी एक बेटे की मां बन चुकी है. बेटा राजवीर सिंह भी एक साल का हो चुका है. बता दें कि भारत-पाक के रिश्ते कभी अच्छे नहीं रहे, लेकिन सीमा पर बसे लोगों के रिश्तों में कभी कड़वाहट नहीं रही. यही वजह है कि यहां के लोगो में रोटी-बेटी का नाता रहा है.

बाड़मेर. पाकिस्तान से लगती भारत की सीमा पर बसे बाड़मेर-जैसलमेर के लोगों की पड़ोसी देश में भी रिश्तेदारी है. भले ही भारत-पाकिस्तान के रिश्ते कभी सहज नहीं रहे, लेकिन सीमा पर बसे लोगों के रिश्तों में कभी कड़वाहट नहीं रही. यही वजह है कि यहां के लोग पाकिस्तान से दुल्हनें भी लाते हैं. भारत के सीमावर्ती गांवों के कई लोगों की पाक के सिंध जैसे इलाकों में रिश्तेदारी है.

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इंतजार में एक बनी मां

मामला समझिए?

दरअसल, बाड़मेर-जैसलमेर के तीन दूल्हे ऐसे हैं, जिन्होंने जनवरी 2019 में पाकिस्तान के सिंध में शादी रचाई थी. लेकिन एक महीने बाद ही पुलवामा हमले से तनाव बढ़ गया. तब से दुल्हनें पाकिस्तान में ही हैं, उन्हें वीजा नहीं मिल पा रहा है. शादी के बाद दूल्हों ने पाकिस्तान में ही रुककर इंतजार किया. उनके साथ बारात में गए लोग भी वहीं ठहरे रहे, ताकि दुल्हन की विदाई करवाकर ही लौटें, लेकिन वीजा नहीं मिलने से थक-हारकर उन्हें अकेले लौटना पड़ा. इन दो साल से तीनों दुल्हनों के परिजन नेताओं से लेकर सरकारों तक चक्कर काट रहे हैं. अब भारतीय विदेश मंत्रालय ने दुल्हनों को भारत लाने के प्रयास शुरू किए हैं. इसके बाद उम्मीद जगी है कि जल्द ही तीनों दुल्हनें भारत अपने ससुराल आ जाएंगी.

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दरसअल, जैसलमेर के गांव बइया निवासी विक्रम सिंह और उसके भाई नेपाल सिंह जनवरी 2019 में थार एक्सप्रेस से पाकिस्तान गए थे. विक्रम सिंह की शादी 22 जनवरी और नेपाल की 26 जनवरी को हुई. इसी तरह बाड़मेर के महेंद्र सिंह की शादी 16 अप्रैल को हुई.

दुल्हन के वीजा के इंतजार के बीच नेपाल सिंह की पत्नी एक बेटे की मां बन चुकी है. बेटा राजवीर सिंह भी एक साल का हो चुका है. बता दें कि भारत-पाक के रिश्ते कभी अच्छे नहीं रहे, लेकिन सीमा पर बसे लोगों के रिश्तों में कभी कड़वाहट नहीं रही. यही वजह है कि यहां के लोगो में रोटी-बेटी का नाता रहा है.

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