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राजस्थान : 21 साल की सरिता विश्नोई पहले बनीं सरपंच...अब प्रधान बनने की राह पर

बाड़मेर जिले में पंचायती राज चुनावों में एक रोचक किस्सा सामने आया है. सरपंच चुनाव में सुदाबेरी ग्राम पंचायत से 21 वर्षीय सरिता विश्नोई निर्विरोध सरपंच निर्वाचित हुई. वहीं, अब सरिता ने धोरीमन्ना प्रधान पद के लिए दावेदारी करते हुए नामांकन पत्र दाखिल किया है.

21 year old Sarita Vishnoi becomes sarpanch, Barmer News
सरिता विश्नोई
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Published : Nov 27, 2020, 8:23 PM IST

बाड़मेर. राजस्थान में पंचायती राज चुनाव की प्रक्रिया चल रही है. इस बीच बाड़मेर से एक रोचक किस्सा सामने आया है. कुछ महीने पहले संपन्न हुए पंचायती राज के पंच और सरपंच चुनाव में सुदाबेरी ग्राम पंचायत से 21 वर्षीय सरिता विश्नोई निर्विरोध सरपंच निर्वाचित हुई. वहीं, अब सरिता ने धोरीमन्ना प्रधान पद के लिए दावेदारी करते हुए नामांकन पत्र दाखिल किया है. ग्रामीणों की सहमति के बाद निर्विरोध सरिता को डेलीगेट चुना गया और अब अगर भाजपा का बोर्ड बनता है तो सरिता प्रधान की दावेदार मानी जा रही है.

दरअसल, पंचायती राज चुनाव के पंच और सरपंच पद को लेकर जनवरी में घोषित लोक सूचना के बाद धोरीमन्ना पंचायत समिति के सुदाबेरी ग्राम पंचायत से ग्रामीणों ने 21 वर्षीय सरिता विश्नोई को निर्विरोध सरपंच निर्वाचित किया था. सरपंच निर्वाचित होने के बाद सरिता लगातार राजनीतिक सफर में आगे बढ़ रही है. सरिता ने अब पंचायती राज के जिला परिषद एवं पंचायत समिति सदस्यों के लिए हो रहे चुनाव में वार्ड 3 से पंचायत समिति सदस्य के पद के लिए नामांकन दाखिल किया, लेकिन ग्रामीणों की सहमति से फिर निर्विरोध डेलीगेट चुनी गई है.

पढ़ें- पंचायत चुनाव : राजस्थान में यहां नावों के जरिए वोट देने पहुंचे मतदाता...

सरपंच पद से मुक्त...

बता दें कि पंचायती राज अधिनियम 1994 की धारा 20 (2) के तहत एक पद पर निर्वाचित हाेने के बाद अगर कोई दूसरे पद पर निर्वाचित होता है तो पहला पद स्वत: ही रिक्त हो जाता है. ऐसे में धोरीमन्ना विकास अधिकारी ने आदेश जारी कर सूदाबेरी सरपंच पद से सरिता को कार्यमुक्त कर दिया है. अब अगर भाजपा का बोर्ड बनता है तो 21 वर्षीय सरिता विश्नोई प्रधान की प्रबल दावेदार मानी जा रही हैं.

21 वर्ष में बनीं सरपंच...

गौरतलब है कि सुदाबेरी सरपंच सरिता पुत्री जयकिशन की उम्र 21 वर्ष होते ही वह सरपंच चुनी गई. पिता जयकिशन के चार संतानें है, इसलिए वो खुद चुनाव नहीं लड़ पाए तो बेटी को चुनाव लड़ाया. अब 8 महीने बाद भाजपा से धोरीमन्ना प्रधान की चाहत जगी. परिवार में सरिता सबसे बड़ी है, बाकी दो बेटे और एक बेटी की उम्र 21 वर्ष से कम है, ऐसे में चुनाव नहीं लड़ सकते हैं.

8 महीने में 2 बार निर्विरोध...

ऐसे में पंचायत समिति धोरीमन्ना के वार्ड 3 पंचायत समिति सदस्य के लिए नामांकन दाखिल किया. इस बार गांव के लोगों ने फिर भरोसा जताया और पंचायत समिति सदस्य के लिए भी निर्विरोध सरिता को चुन लिया गया. सरिता महज 8 महीने के अंतराल में दो बार निर्विरोध चुनी गई.

बाड़मेर. राजस्थान में पंचायती राज चुनाव की प्रक्रिया चल रही है. इस बीच बाड़मेर से एक रोचक किस्सा सामने आया है. कुछ महीने पहले संपन्न हुए पंचायती राज के पंच और सरपंच चुनाव में सुदाबेरी ग्राम पंचायत से 21 वर्षीय सरिता विश्नोई निर्विरोध सरपंच निर्वाचित हुई. वहीं, अब सरिता ने धोरीमन्ना प्रधान पद के लिए दावेदारी करते हुए नामांकन पत्र दाखिल किया है. ग्रामीणों की सहमति के बाद निर्विरोध सरिता को डेलीगेट चुना गया और अब अगर भाजपा का बोर्ड बनता है तो सरिता प्रधान की दावेदार मानी जा रही है.

दरअसल, पंचायती राज चुनाव के पंच और सरपंच पद को लेकर जनवरी में घोषित लोक सूचना के बाद धोरीमन्ना पंचायत समिति के सुदाबेरी ग्राम पंचायत से ग्रामीणों ने 21 वर्षीय सरिता विश्नोई को निर्विरोध सरपंच निर्वाचित किया था. सरपंच निर्वाचित होने के बाद सरिता लगातार राजनीतिक सफर में आगे बढ़ रही है. सरिता ने अब पंचायती राज के जिला परिषद एवं पंचायत समिति सदस्यों के लिए हो रहे चुनाव में वार्ड 3 से पंचायत समिति सदस्य के पद के लिए नामांकन दाखिल किया, लेकिन ग्रामीणों की सहमति से फिर निर्विरोध डेलीगेट चुनी गई है.

पढ़ें- पंचायत चुनाव : राजस्थान में यहां नावों के जरिए वोट देने पहुंचे मतदाता...

सरपंच पद से मुक्त...

बता दें कि पंचायती राज अधिनियम 1994 की धारा 20 (2) के तहत एक पद पर निर्वाचित हाेने के बाद अगर कोई दूसरे पद पर निर्वाचित होता है तो पहला पद स्वत: ही रिक्त हो जाता है. ऐसे में धोरीमन्ना विकास अधिकारी ने आदेश जारी कर सूदाबेरी सरपंच पद से सरिता को कार्यमुक्त कर दिया है. अब अगर भाजपा का बोर्ड बनता है तो 21 वर्षीय सरिता विश्नोई प्रधान की प्रबल दावेदार मानी जा रही हैं.

21 वर्ष में बनीं सरपंच...

गौरतलब है कि सुदाबेरी सरपंच सरिता पुत्री जयकिशन की उम्र 21 वर्ष होते ही वह सरपंच चुनी गई. पिता जयकिशन के चार संतानें है, इसलिए वो खुद चुनाव नहीं लड़ पाए तो बेटी को चुनाव लड़ाया. अब 8 महीने बाद भाजपा से धोरीमन्ना प्रधान की चाहत जगी. परिवार में सरिता सबसे बड़ी है, बाकी दो बेटे और एक बेटी की उम्र 21 वर्ष से कम है, ऐसे में चुनाव नहीं लड़ सकते हैं.

8 महीने में 2 बार निर्विरोध...

ऐसे में पंचायत समिति धोरीमन्ना के वार्ड 3 पंचायत समिति सदस्य के लिए नामांकन दाखिल किया. इस बार गांव के लोगों ने फिर भरोसा जताया और पंचायत समिति सदस्य के लिए भी निर्विरोध सरिता को चुन लिया गया. सरिता महज 8 महीने के अंतराल में दो बार निर्विरोध चुनी गई.

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