जयपुर. न्यूनतम समर्थन मूल्य पर खरीद के संबंध में केंद्र सरकार ने 2018 में प्रधानमंत्री अन्नदाता आय संरक्षण अभियान लागू किया. प्रधानमंत्री आशा नाम के इस अभियान से आभास होता है कि सरकार किसानों की आय के संरक्षण के लिए गंभीर है. किंतु किसान महापंचायत ने इस मार्गदर्शिका में खरीद में बाधा उत्पन्न कर किसानों को आय पर कुल्हाड़ी चलाने का कार्य करने का आरोप लगाया है.
किसान महापंचायत के राष्ट्रीय अध्यक्ष रामपाल जाट ने कहा कि इसमें कुल उत्पादन में 25% उपज की खरीद करने का प्रावधान है. इससे 75% उत्पादन करने वाले किसानों को तो खरीद से वंचित कर दिया गया है. आय का संरक्षण करने वाली सरकार में 100 किलो मूंग के न्यूनतम समर्थन मूल्य में 75 रुपये की बढ़ोतरी की है. वहीं 2019-20 के बजट में खेती में उपयोग आने वाले 100 लीटर डीजल में 500 रुपये की बढ़ोतरी की है.
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वहीं दूसरी ओर राज्य सरकार ने किसान कल्याण के नाम पर न्यूनतम समर्थन मूल्य से कम दामों में बिक्री को रोकने का कानून ही समाप्त कर दिया. विधानसभा चुनाव और लोकसभा चुनाव के जन घोषणा पत्र में किसानों को उनकी उपजों की उचित कीमत दिलाकर ऋण मुक्त करने का वादा किया गया था. लेकिन केंद्र और राज्य सरकार दोनों ने ही उनके चुनावी घोषणा पत्र में पलीता लगा.
साथ ही राजस्थान विधानसभा में राज्य की जनता और जनप्रतिनिधियों को अंधेरे में रख कर 'राजस्थान कृषि उपज मंडी अधिनियम 1961' की धारा को निष्प्रभावी कर दिया. विधायिका का अधिकार प्रशासनिक आदेश से ही कार्यपालिका ने समाप्त कर दिया. जिससे किसानों के हितों पर चोट पहुंची है. ऐसे में किसान महापंचायत की ओर से 22 अगस्त को संकल्प सभा आयोजित होगी. जिसमें किसान आंदोलन की रणनीति तय की जाएगी.