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अतिक्रमण हटाने के विरोध में 151वें दिन भी धरना जारी...पूर्व CM वसुंधरा ने बताया दुर्भाग्यपूर्ण - Encroachment action in Barmer

बाड़मेर जिले के गडरा रोड तहसील के राजस्व गांव लांबडा में स्थानीय प्रशासन द्वारा हटाए गए अतिक्रमण के विरोध में लोगों का धरना 151वें दिन भी जारी रहा. आदिवासी भील समुदाय के लोगों और अनुसूचित जाति-जनजाति एकता मंच द्वारा धरना दिया जा रहा है.

protest against encroachment, protest against encroachment in Barmer, पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे की मुलाकात, बाड़मेर में अतिक्रमण की कार्रवाई
अतिक्रमण हटाने के विरोध में 151वें दिन भी धरना जारी
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Published : Dec 24, 2020, 9:52 PM IST

बाड़मेर. जिले के गडरा रोड तहसील के राजस्व गांव लांबडा में स्थानीय प्रशासन द्वारा हटाए गए अतिक्रमण के विरोध में लोगों का धरना 151वें दिन भी जारी रहा. यहां आदिवासी भील समुदाय के लोगों और अनुसूचित जाति-जनजाति एकता मंच द्वारा धरना दिया जा रहा है. वहीं, अनुसूचित जाति-जनजाति एकता मंच के संयोजक लक्ष्मण बडेरा के नेतृत्व में प्रतिनिधि मण्डल ने धौलपुर स्थित राजनिवास पैलेस में पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे से मुलाकात कर पूरे इस प्रकरण के बारे में विस्तार से बताया.

पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे ने जानकारी लेने के बाद कहा कि यह दुर्भाग्यपूर्ण है. अधिकारियों द्वारा दबंगों के साथ साजिश रचकर कमजोर वर्ग के साथ भेदभाव पूर्ण कार्रवाई करना गलत है. लांबड़ा प्रकरण में राज्य की पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे ने पूरी जानकारी ली. अनुसूचित जाति जनजाति एकता मंच बाड़मेर के संयोजक लक्ष्मण बडेरा ने धौलपुर स्थित राजनिवास पैलेस में पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे से मुलाकात के दौरान पूरी घटना का जिक्र करते हुए बताया. बाड़मेर जिले की गडरारोड़ तहसील के रावतसर पंचायत के राजस्व गांव लांबड़ा में गोचर भूमि के दो खसरे एक खसरा नम्बर 800 रकबा 816 बीघा जिसमे भील आदिवासी लोग रहते है.

ये भी पढ़ें: BJP अल्पसंख्यक मोर्चा का गहलोत सरकार पर 'हल्ला बोल', लगाया यह आरोप

दूसरा खसरा 805 रकबा 226 बीघा जिसमें गांव के जागीरदार रहते हैं. लांबड़ा गांव के जागीरदार पुरानी रंजिश के कारण भील आदिवासियों को गांव से बाहर निकालने की साजिश रची जिसमें स्थानीय प्रशासन ने साजिश रचकर भील आदिवासियों के खिलाफ एकतरफा कार्रवाई करते हुए उनके घरों पर जेसीबी चलाई गई. जबकि दूसरे पक्ष पर कुछ कार्रवाई नहीं की गई इसी बात को लेकर बाड़मेर जिला मुख्यालय पर बीते 151 दिनों से धरना दिया जा रहा है.

वसुंधरा राजे ने कहा की लांबड़ा के भील आदिवासियों के साथ न्याय किया जायेगा. बडेरा ने राज्य की पूर्व मुख्यमंत्री को ज्ञापन सौंपकर दोषी अधिकारियों को निलंबित करने और विस्थापित भील परिवारों के पुनर्वास और गांव की गोचर भूमि में काबिज अतिक्रमियों को बेदखल करवाने और भेद भावपूर्ण कार्रवाई के शिकार हुए भील परिवारों को आर्थिक मुआवजा दिलवाने की मांग की है.

बाड़मेर. जिले के गडरा रोड तहसील के राजस्व गांव लांबडा में स्थानीय प्रशासन द्वारा हटाए गए अतिक्रमण के विरोध में लोगों का धरना 151वें दिन भी जारी रहा. यहां आदिवासी भील समुदाय के लोगों और अनुसूचित जाति-जनजाति एकता मंच द्वारा धरना दिया जा रहा है. वहीं, अनुसूचित जाति-जनजाति एकता मंच के संयोजक लक्ष्मण बडेरा के नेतृत्व में प्रतिनिधि मण्डल ने धौलपुर स्थित राजनिवास पैलेस में पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे से मुलाकात कर पूरे इस प्रकरण के बारे में विस्तार से बताया.

पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे ने जानकारी लेने के बाद कहा कि यह दुर्भाग्यपूर्ण है. अधिकारियों द्वारा दबंगों के साथ साजिश रचकर कमजोर वर्ग के साथ भेदभाव पूर्ण कार्रवाई करना गलत है. लांबड़ा प्रकरण में राज्य की पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे ने पूरी जानकारी ली. अनुसूचित जाति जनजाति एकता मंच बाड़मेर के संयोजक लक्ष्मण बडेरा ने धौलपुर स्थित राजनिवास पैलेस में पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे से मुलाकात के दौरान पूरी घटना का जिक्र करते हुए बताया. बाड़मेर जिले की गडरारोड़ तहसील के रावतसर पंचायत के राजस्व गांव लांबड़ा में गोचर भूमि के दो खसरे एक खसरा नम्बर 800 रकबा 816 बीघा जिसमे भील आदिवासी लोग रहते है.

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दूसरा खसरा 805 रकबा 226 बीघा जिसमें गांव के जागीरदार रहते हैं. लांबड़ा गांव के जागीरदार पुरानी रंजिश के कारण भील आदिवासियों को गांव से बाहर निकालने की साजिश रची जिसमें स्थानीय प्रशासन ने साजिश रचकर भील आदिवासियों के खिलाफ एकतरफा कार्रवाई करते हुए उनके घरों पर जेसीबी चलाई गई. जबकि दूसरे पक्ष पर कुछ कार्रवाई नहीं की गई इसी बात को लेकर बाड़मेर जिला मुख्यालय पर बीते 151 दिनों से धरना दिया जा रहा है.

वसुंधरा राजे ने कहा की लांबड़ा के भील आदिवासियों के साथ न्याय किया जायेगा. बडेरा ने राज्य की पूर्व मुख्यमंत्री को ज्ञापन सौंपकर दोषी अधिकारियों को निलंबित करने और विस्थापित भील परिवारों के पुनर्वास और गांव की गोचर भूमि में काबिज अतिक्रमियों को बेदखल करवाने और भेद भावपूर्ण कार्रवाई के शिकार हुए भील परिवारों को आर्थिक मुआवजा दिलवाने की मांग की है.

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