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वन विभाग की ओर से अतिक्रमण हटाने की कार्रवाई के विरोध में सड़कों पर उतरे लोग, सौंपा ज्ञापन - अतिक्रमण को लेकर कार्रवाई

बाड़मेर में सरकार जमीनों पर किए गए अतिक्रमण को लेकर वन विभाग की टीमें लगातार कार्रवाई को अंजाम दे रही है. जिसके विरोध में अब लोगों ने धरना प्रदर्शन किया. साथ ही प्रवीण सिंह आगोर ने धरनार्थियों के समर्थन में आमरण अनशन शुरू किया है. लोगों ने विभाग के खिलाफ नारेबाजी कर सहायक वन संरक्षक को ज्ञापन सौंपा.

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अतिक्रमण के खिलाफ कार्रवाई को लेकर लोगों ने किया प्रदर्शन
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Published : Feb 9, 2021, 4:11 PM IST

बाड़मेर. पिछले कुछ दिनों से बाड़मेर शहर में सरकारी जमीन पर हुए अतिक्रमण को हटाने को लेकर नगर परिषद और वन विभाग की टीम में कार्रवाई कर रही है. अतिक्रमण हटाने की कार्रवाई को लेकर अब लोग धरना प्रदर्शन पर उतर आए हैं.

वहीं प्रवीण सिंह आगोर ने धरनार्थियों के समर्थन में आमरण अनशन शुरू कर दिया है. वहीं मंगलवार को कांग्रेस के युवा नेता आजाद सिंह राठौड़, प्रवीण सिंह आगोर और नरपत सिंह धारा के नेतृत्व में वन विभाग के खिलाफ नारेबाजी करते हुए वन विभाग कार्यालय पहुंचे जहां पर उन्होंने सहायक वन संरक्षक को ज्ञापन सौंपा.

अतिक्रमण के खिलाफ कार्रवाई को लेकर लोगों ने किया प्रदर्शन

स्थानीय लोगों का आरोप है कि वो पिछने कई सालों से उस जमीन पर रह रहे हैं लेकिन वन विभाग ने बिना कोई नोटिस दिए अतिक्रमण हटाने की कार्रवाई कर रहा है. वहीं युवा नेता आजाद सिंह राठौड़ ने बताया कि वन विभाग की ओर से की गई कार्रवाई न्याय उचित नहीं है. इसको लेकर हमारी सरकार के नेताओं और अधिकारियों से बात कर रहा हूं. मुझे उम्मीद है कि जल्द ही इन्हें राहत मिलेगी.

अनशन पर बैठे प्रवीण सिंह आगोर ने कि हिंगलाज नगर मंदिर के आस-पास सैकड़ों परिवार पिछले कई वर्षों से रह रहे हैं. पूर्व में वन विभाग ने अपने क्षेत्र की पैमाइश करते हुए वन भूमि के चारों ओर चारदीवारी भी करवाई थी लेकिन अब काफी सालों बाद वन विभाग अपनी की चारदीवारी को गलत बताते हुए चारदीवारी से बाहर की भूमि पर अपना हक जता रहा है जो जनहित में नहीं है.

पढ़ें- बाड़मेर के ग्रामीणों को नहीं मिल रहा पीएम आवास योजना का लाभ, ग्राम विकास अधिकारी पर लगाए ये आरोप

इस पूरे मामले को लेकर सहायक उप वन संरक्षक दिपक कुमार ने बताया कि प्रशासन नगर परिषद और वन विभाग की ओर से अतिक्रमण हटाने की कार्यवाही की जा रही है. इसी कड़ी में वन विभाग की ओर से भी वन भूमि पर हुए अवैध अतिक्रमण को हटाया गया था. इस कार्रवाई के विरोध में कुछ लोग प्रदर्शन पर उतर आए हैं. इस संबंध में न्यायालय में भी कुछ लोग गए हैं जिनका जवाब विभाग की ओर से दिया जा रहा है. उन्होंने कहा कि लोगों से समझाइश की गई है कि वनभूमि पर किसी तरह की कोई राहत मिलने की गुंजाइश नहीं है इसलिए उनसे समझाइश की गई है कि जितना जल्दी हो सके वह वन भूमि को खाली कर दें.

बाड़मेर. पिछले कुछ दिनों से बाड़मेर शहर में सरकारी जमीन पर हुए अतिक्रमण को हटाने को लेकर नगर परिषद और वन विभाग की टीम में कार्रवाई कर रही है. अतिक्रमण हटाने की कार्रवाई को लेकर अब लोग धरना प्रदर्शन पर उतर आए हैं.

वहीं प्रवीण सिंह आगोर ने धरनार्थियों के समर्थन में आमरण अनशन शुरू कर दिया है. वहीं मंगलवार को कांग्रेस के युवा नेता आजाद सिंह राठौड़, प्रवीण सिंह आगोर और नरपत सिंह धारा के नेतृत्व में वन विभाग के खिलाफ नारेबाजी करते हुए वन विभाग कार्यालय पहुंचे जहां पर उन्होंने सहायक वन संरक्षक को ज्ञापन सौंपा.

अतिक्रमण के खिलाफ कार्रवाई को लेकर लोगों ने किया प्रदर्शन

स्थानीय लोगों का आरोप है कि वो पिछने कई सालों से उस जमीन पर रह रहे हैं लेकिन वन विभाग ने बिना कोई नोटिस दिए अतिक्रमण हटाने की कार्रवाई कर रहा है. वहीं युवा नेता आजाद सिंह राठौड़ ने बताया कि वन विभाग की ओर से की गई कार्रवाई न्याय उचित नहीं है. इसको लेकर हमारी सरकार के नेताओं और अधिकारियों से बात कर रहा हूं. मुझे उम्मीद है कि जल्द ही इन्हें राहत मिलेगी.

अनशन पर बैठे प्रवीण सिंह आगोर ने कि हिंगलाज नगर मंदिर के आस-पास सैकड़ों परिवार पिछले कई वर्षों से रह रहे हैं. पूर्व में वन विभाग ने अपने क्षेत्र की पैमाइश करते हुए वन भूमि के चारों ओर चारदीवारी भी करवाई थी लेकिन अब काफी सालों बाद वन विभाग अपनी की चारदीवारी को गलत बताते हुए चारदीवारी से बाहर की भूमि पर अपना हक जता रहा है जो जनहित में नहीं है.

पढ़ें- बाड़मेर के ग्रामीणों को नहीं मिल रहा पीएम आवास योजना का लाभ, ग्राम विकास अधिकारी पर लगाए ये आरोप

इस पूरे मामले को लेकर सहायक उप वन संरक्षक दिपक कुमार ने बताया कि प्रशासन नगर परिषद और वन विभाग की ओर से अतिक्रमण हटाने की कार्यवाही की जा रही है. इसी कड़ी में वन विभाग की ओर से भी वन भूमि पर हुए अवैध अतिक्रमण को हटाया गया था. इस कार्रवाई के विरोध में कुछ लोग प्रदर्शन पर उतर आए हैं. इस संबंध में न्यायालय में भी कुछ लोग गए हैं जिनका जवाब विभाग की ओर से दिया जा रहा है. उन्होंने कहा कि लोगों से समझाइश की गई है कि वनभूमि पर किसी तरह की कोई राहत मिलने की गुंजाइश नहीं है इसलिए उनसे समझाइश की गई है कि जितना जल्दी हो सके वह वन भूमि को खाली कर दें.

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