बालोतरा (बाड़मेर). प्रदेश सरकार का सबसे बड़ा ड्रीम प्रोजेक्ट पचपदरा रिफायनरी प्रोजेक्ट इन दिनों कोरेना वायरस के संकट में नजर आ रहा है. राजस्थान सरकार और एसपीसीएल के संयुक्त प्रयासों से भविष्य की दुबई कही जाने वाली रिफाइनरी में कोरेना का संक्रमण बढ़ सकता है. पचपदरा निर्माणाधीन रिफाइनरी स्थल में बिना स्वास्थ्य जांच के हजारों मजदूर प्रतिदिन कार्य करने पहुंच रहे है. वहीं, स्थानीय मजदूरों की संख्या कम है तो बाहरी राज्यों के मजदूरों की संख्या ज्यादा है.
बता दें, कि होली पर्व पर अपने गांव गए मजदूर अब कार्य को लेकर रिफाइनरी स्थल लौटते नजर आ रहे है, लेकिन उनकी सुरक्षा के सारे दावे खोखले साबित होते नजर आ रहे है. भले ही सूबे के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ड्रीम प्रोजेक्ट रिफाइनरी को लेकर संवेदनशील नजर आ रहे हो. दो बार उनके यहां पहुंच कार्य की प्रगति रिपोर्ट की जानकारी लेते हुए अधिकारियों के साथ समीक्षा बैठक भी की है.
पढ़ेंः Corano से बचाव ही सुरक्षा, भीड़भाड़ वाली जगहों पर जाकर पुलिस कर रही जागरूक
वहीं, दूसरी ओर रिफाइनरी के अंदर और बाहर जगह-जगह गंदगी का आलम पसरा है, जिसको लेकर जिम्मेदार प्रशासन की आंखे नहीं खुल रही है. वहीं, स्वच्छता को लेकर भी हकीकत दूसरी है. रिफाइनरी क्षेत्र में काम करने वाले कार्मिक खुले में शौच करते नजर आते है. अब बाहर से आने वाले लोगों की मेडिकल जांच नहीं हुई तो बीमारी का गढ़ पचपदरा बन सकता है.
बाहरी राज्यों के मजदूरों की सुरक्षा जांच का नहीं कोई इंतेजाम...
रिफाइनरी में स्थानीय मजदूरों के अलावा बाहरी राज्य उत्तरप्रदेश, बिहार, मध्यप्रदेश, गुजरात सहित अन्य राज्यों से विभिन्न कार्यो में लगे हुए है, लेकिन मजदूरों की सुरक्षा का ध्यान न तो एसपीसीएल के अधिकारी ध्यान दे रहे और ना ही सरकार की ओर से सुरक्षा मानकों को लेकर गंभीर हैं. जहां एक ओर केंद्र और प्रदेश सरकार कोरेना को लेकर कोई कोताही बरतने को मजबूर नहीं है. फिर भी इतने बड़े ड्रीम प्रोजेक्ट में इतनी बड़ी चूक कैसे नजर आ रही है.