बाड़मेर. केंद्रीय जलशक्ति मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत शुक्रवार को बाड़मेर दौरे पर रहे. सिवाना विधानसभा क्षेत्र के चिरड़िया में रामपुरा ग्राम पंचायत की ओर से आयोजित स्वागत सभा में शेखावत ने कहा, कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लाल किले से 2024 तक हर घर तक नल से जल पहुंचाने का संकल्प लिया है. उन्होंने कहा, कि हम इस संकल्प को निश्चित ही पूरा करेंगे.
शेखावत ने बताया, कि संविधान में पानी राज्य सरकारों का विषय है. इसके लिए केंद्र सरकार की ओर से सभी राज्य सरकारों को पैसा दिया है. राजस्थान इस संबंध में सबसे ज्यादा पीड़ित है, इसलिए सबसे ज्यादा धनराशि यहां मिलेगी. उन्होंने कहा, कि इस साल राजस्थान को 2 हजार करोड़ रुपए दिए जा रहे हैं. शेखावत ने कहा, कि कुछ दिन पहले एक मीटिंग बुलाई गई थी, जिसमें राजस्थान के मंत्री, चीफ सेक्रेटरी और अफसर आए थे. मीटिंग में यह तय किया गया कि एक-एक जिले और एक-एक गांव की योजना बनाई जाए.
केंद्रीय जलशक्ति मंत्री ने कहा, कि पश्चिमी राजस्थान में खेती और पानी 2 महत्वपूर्ण विषय हैं. इन दोनों विषयों में देश में बहुत बड़ी प्रगति होने वाली है. उन्होंने कहा, कि भारत के 100 में से 8 व्यक्ति राजस्थान में रहते हैं और भारत का 24 फीसदी पशुधन राजस्थान में है. शेखावत ने कहा, कि विडंबना यह है कि देश में पीने योग्य पानी का 1 फीसदी हिस्सा ही राजस्थान में है. पश्चिमी राजस्थान में कोई नदी भी नहीं है. उन्होंने कहा, कि प्रधानमंत्री ने हर घर नल से पानी पहुंचाने का जो संकल्प देश के लिए लिया है, उसे अगले 5 साल में पूरा किया जाएगा.
पुलवामा के शहीदों को किया याद...
पुलवामा हमले के शहीदों को याद करते हुए शेखावत ने कहा, कि आज का दिन बहुत विशेष है. आज से ठीक एक साल पहले धोखे से हमारे सीआरपीएफ के जवानों पर हमला हुआ था और जवान शहीद हो गए थे. उन्होंने कहा, कि आज का दिन हिंदुस्तान के लिए संकल्प लेने का दिन है. घटना के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने संकल्प लिया और बालाकोट पर वायुसेना ने एयर स्ट्राइक की थी. उन्होंने पूरी दुनिया को संदेश दिया था कि हिंदुस्तान किसी भी आतंकी गतिविधि को बर्दाश्त नहीं करेगा. उन्होंने कहा, कि पुलवामा की घटना के बाद कई लोगों ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और सरकार को बदनाम करने की साजिश की थी.
...तो लग जाएगा पृथ्वी का चक्कर
शेखावत ने कहा, कि 12-13 साल की उम्र से माताएं-बहनें 2-5 किलोमीटर दूर से पानी लाना शुरू करती हैं. यह सिलसिला 65 साल की उम्र तक चलता रहता है. यदि सीधी दिशा में ये माताएं-बहनें चलें, तो पृथ्वी का एक-दो चक्कर लग जाएगा.