बाड़मेर. 95 वर्षीय देवी की मृत्यु होने के पश्चात स्वजन ने उनके पार्थिव देह को बाड़मेर के मेडिकल कॉलेज में छात्र-छात्राओं के प्रयोग के लिए सुपुर्द कर दिया. देहदान करने से पहले उनके शव की अंतिम यात्रा भी निकाली गई. दरसअल बच्ची देवी ने अपना संपूर्ण जीवन दान धर्म करने मे व्यतित किया है. वो हमेशा दूसरों के लिए जिए है. दान करना ही उनका परम धर्म था. स्वयं को भूखा रखकर दूसरो का पेट भरना ही उनका प्रण था. ऐसे परोपकारी और दयालू व्यक्तित्व की धनी इस महिला ने अपने दान की प्रवत्ति मरने के बाद भी लगातार जारी रखा. मंगलवार को बच्ची देवी का 95 वर्ष की उम्र में निधन हो गया. जिसके बाद उनकी अंतिम इच्छा के अनुसार उनके परिजनों ने उनके पार्थिक शरीर को बुधवार के दिन मेडिकल कॉलेज में छात्र-छात्राओं के प्रयोग के लिए सुपुर्द कर दिया.
परिजनों के अनुसार इस कार्य से उनकी देह दान में देने से उनके हमेशा दान देने की कोशिश अनवरत रखने की कोशिश की है. बुधवार को बच्ची देवी के पुत्र रमेश केला, अशोक केला, मुकेश केला और राजेश केला ने घर पर विधि विधान से हिन्दू रीति रिवाज को निभाने के बाद मेडिकल कॉलेज प्रशासन को उनकी देह को सपुर्द कर दिया. बच्ची देवी पौत्र मुकेश केला ने बताया कि उनकी दादी हमेशा दान को सर्वोपरि रखती थी और उनकी मौत के बाद यह सिलसिला जारी रहा.
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बच्ची देवी बाड़मेर की पहली महिला है, जिनकी देह को दान किया गया है. दान को अपना सब कुछ मानने वाली बच्ची देवी का दान को जिंदगी के साथ भी और जिंदगी के बाद की यह नजीर हर किसी को प्रभावित कर गई. बात दें कि मेडिकल कॉलेज बनने के बाद आज यहां दूसरा देहदान हुआ है. इसके पूर्व 12 दिसम्बर 2020 को बाड़मेर निवासी समाजसेवी कंपाउंडर खेताराम महेश्वरी का देहदान किया गया था.