बाड़मेर. जल जीवन मिशन योजना के लिए गठित की जा रही ग्रामीण स्तरीय कमेटियों में बाड़मेर ने प्रदेश में दूसरा स्थान हासिल किया है. जिले भर ने अब तक 88.5 फीसदी लक्ष्य हासिल कर लिया है. वहीं जिले में 2 हजार 169 कमेटियों का गठन किया जा चुका है. जन स्वास्थ्य अभियांत्रिकी विभाग के कार्यवाहक अधीक्षण अभियंता सोनाराम बेनिवाल ने बताया कि साल 2024 तक जिले के हर घर को नल कनेक्शन से जोड़ने के लिए शुरू की गई जल जीवन मिशन योजना के तहत ग्राम स्तर से क्रियान्वयन के लिए ग्राम जल एवं स्वच्छता समितियां गठित की जा रही है.
बेनिवाल ने कहा कि इन कमेटियों के ही कांधे पर हर घर नल कनेक्शन पहुंचाने की जिम्मेदारी और उनकी निगरानी का काम रहेगा. बाड़मेर की 21 पंचायत समितियों में इसके लिए ग्राम जल एवं स्वच्छता समितियां गठित की जा रही है. इस कमेटी के गठन में बाड़मेर ने राजस्थान प्रदेश में दूसरा स्थान हासिल किया है.
कहां कितनी समीतियां गठित की गईं-
जन स्वास्थ्य अभियांत्रिकी विभाग के कार्यवाहक अधीक्षण अभियंता सोनाराम बेनीवाल ने बताया कि बाड़मेर जिले में गढरा रोड़ 110, रामसर 124, शिव 106, बायतु 217, सिणधरी 110, पाटौदी 108, गिड़ा 171, बाड़मेर 194, धोरीमन्ना 71, बाड़मेर ग्रामीण 167, चौहटन 115, धनाऊ 59, गुढ़ामालानी 134, पायल कला 65, आडेल 30, फागलिया 41, सेड़वा 32, बालोतरा 89, समदड़ी 62, कल्याणपुर 75 और सिवाना में 89 ग्राम जल एवं स्वच्छता कमेटियों का गठन किया जा चुका है.
बाड़मेर के 1 हजार 365 युवाओं को किया जाएगा प्रशिक्षित-
जल जीवन मिशन के सफल क्रियान्वयन के लिए ग्राम स्तर पर गठित की जा रही कमेटियों के साथ गांवों के शिक्षित बेरोजगारों को भी अपने गांव में कार्य कुशलता से जोड़ा जायेगा. जल जीवन मिशन के आईईसी कंसलन्टेन्ट अशोक सिंह ने बताया कि राजस्थान कौशल एवं आजीविका विकास निगम चयनित प्रशिक्षण प्रदाताओं के माध्यम से प्लम्बिंग, इलेक्ट्रीशियन और फिटर ट्रेड में बाड़मेर जिले में 1365 युवाओं को प्रशिक्षित किया जाएगा.
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प्रति ट्रेड के हिसाब से 455 युवाओं को प्रशिक्षण दिया जाएगा. आगामी दिनों में राजस्थान कौशल और आजीविका विकास निगम और जन स्वास्थ्य अभियांत्रिकी विभाग का वाटर सेनिटेशन सपोर्ट ऑर्गेनाईजेशन राज्य जल एवं स्वच्छता मिशन राजस्थान बाड़मेर जिले में यह प्रशिक्षण आयोजित करवाएगा. इससे प्लम्बिंग, इलेक्ट्रीशियन एवं फिटर जैसी आधारभूत सेवाओं के सेवा प्रदाताओं का नितांत अभाव के चलते ग्रामीण अंचल के लोगों को शहरों की ओर रुख करना पड़ता है.