सिवाना (बाड़मेर). कस्बे में विगत 5 वर्षों से चली आ रही पानी की समस्या को लेकर ग्रामीणों ने "पानी नहीं तो वोट नहीं " संघर्ष समिति का गठन कर समस्या के समाधान की मांग उठाई. साथ ही उपखंड अधिकारी प्रमोद सिरवी के मार्फत मुख्यमंत्री के नाम ज्ञापन दिया. तहसील कार्यालय के सामने पहुंचे उपखंड अधिकारी ने सिवाना विधायक हमीर सिंह भायल सहित ग्रामीणों से वार्तालाप किया. साथ ही पानी की समस्या को लेकर विभाग के अधिकारियों को इससे अवगत करवाया और तुरंत समाधान करवाने की बात कही.
उधर कस्बे वासियों और महिलाओं में भी रोष देखने को मिला. आक्रोशित महिलाओं ने तहसील कार्यालय के आगे मटकी फोड़कर धरना-प्रदर्शन किया. इसके अलावा संघर्ष समिति के बैनर तले सिवाना कस्बे के सभी कस्बे वासियों की ओर से व्यापक रूप से "पानी नहीं तो वोट नहीं" के अभियान के तहत पोस्टकार्ड और सोशल मीडिया (ट्वीट और ईमेल) के मार्फत अभियान चलाकर मुख्य निर्वाचन अधिकारी जयपुर को समस्या से अवगत करवाया.
ज्ञापन में कही गई ये बातें-
संघर्ष समिति की ओर से दिए गए ज्ञापन में बताया कि सिवाना क्षेत्र में करीब 5 वर्षों से भंयकर पानी की किल्लत बनी हुई है. जिससे कस्बे वासियों को पर्याप्त पानी उपलब्ध नहीं हो पा रहा है. कस्बे सहित क्षेत्र का भूजल स्तर काफी नीचे पंहुच जाने के कारण जलदाय विभाग के ओर से खुदवाई गई सभी ट्यूबवेल्स में पानी का स्तर कम हो गया है.
वहीं हाल ही में राज्य सरकार की ओर से सिवाना कस्बे की पानी की भंयकर समस्या को देखते हुए 5 नई टयूबवेल खुदवाने के लिए 62 लाख रूपये का बजट स्वीकृत किया गया. लेकिन, क्षेत्र में भूजल स्तर बहुत कम होने से इस स्थिति में सरकारी ट्यूबवेल लगवाना उचित नहीं रहेगा. इसकी जगह पर स्वीकृत राशि से नए ट्यूबवेल लगवाने की जगह जल परियोजना से वैकल्पिक पाईप लाईन सिवाना कस्बे तक पंहुचाया जाना चाहिए जिससे लोगों को शीघ्रतशीघ्र से राहत मिल सके.
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लोगों का कहना है कि पानी की मांग को लेकर अगर जल्द कोई कार्रवाई नहीं की गई तो संघर्ष समिति के बैनर तले सभी कस्बे वासियों की ओर से 6 फरवरी को कस्बा बन्द कर धरना-प्रर्दशन किया जाएगा. साथ ही आगामी पंचायती राज चुनाव 2020 का बहिष्कार किया जाएगा, जिसकी जिम्मेदारी प्रशासन और सरकार की होगी.