बाड़मेर . लोकसभा चुनाव के मैदान में छिड़े महासंग्राम के बीच बाड़मेर-जैसलमेर लोकसभा सीट से टिकट कटने के बाद नाराज भाजपा के वरिष्ठ नेता और सांसद कर्नल सोनाराम ने कार्यकर्ताओं की आज बैठक बुलाई है. इस बैठक में कार्यकर्ताओं के बीच अपनी नाराजगी को जताते हुए कर्नल आगे की रणनीति तय करेंगे.
कर्नल सोनाराम कई बार जयपुर और दिल्ली तक की भागदौड़ करने के बाद भी टिकट हासिल नहीं कर सके. खुद को बाड़मेर-जैसलमेर सीट से सबसे मजबूत दावेदार बताते हुए उन्होंने टिकट मांगा था. लेकिन, भाजपा आलाकमान ने उनकी दावेदारी को सिरे नकारते हुए इस सीट से कैलाश चौधरी को टिकट देकर मैदान में उतारा है. खुद का टिकट कटने के बाद नाराज सोनाराम ने तुरंत कोई रिएक्शन नहीं दिया था. लेकिन, अब उन्होंने अपने समर्थकों की बैठक बुलाकर इस सीट पर सियासी पारे को चढ़ा दिया है. टिकट नहीं मिलने से नाराज सोनाराम ने एक ट्वीट भी किया है. जिसमें उन्होंने लिखा है कि 'पिछले लोकसभा चुनाव में मैने किसान वर्ग को बीजेपी से जोड़ा था. जिसको नजरंदाज कर मेरा टिकट काटा गया है. जिससे मेरी एवं कार्यकर्ताओं की भावना आहत हुई है. मंगलवार को बाड़मेर में कार्यकर्ताओ द्वारा मीटिंग आयोजित की गई है. जिसमें शरीक होकर कार्यकर्ताओं की राय पर आगे का निर्णय लूंगा'. सोनाराम की ओर से किए गए इस ट्वीट के बाद से उनकी बैठक पर सियासतदारों की नजरें टिकी हुई है. माना जा रहा है कि इस बैठक के दौरान कर्नल सोनाराम कोई बड़ा एलान कर सकते हैं.
वहीं, जानकारों का कहना है कि सोनाराम को दोबारा टिकट नहीं मिलने के पीछे चार महीने पहले विधानसभा चुनाव में मिली हार प्रमुख कारण रहा है. जबकि, टिकट वितरण से पहले सोनाराम का सीएम अशोक गहलोत से मुलाकात करने पहुंचने और पूर्व सीएम वसुंधरा राजे की अंदरखाने ना को भी मुख्य कारण माना जा रहा है. उनका कहना है कि बाड़मेर विधानसभा सीट से हुई चुनावी हार ने लोकसभा के लिए उनकी दावेदारी को कमजोर कर दिया था. उस चुनाव में हारने के बाद कर्नल सोनाराम ने भी मीडिया से बातचीत के दौरान माना था की उन्होंने चुनाव लड़कर बड़ी भूल कर दी थी. जानकारों का मानना है कि टिकट को लेकर लग रहे कयासों के बीच सोनराम के जोधपुर में सीएम अशोक गहलोत से मुलाकात करने के लिए पहुंचने के बाद उनकी दावेदारी और कमजोर हुई. हालांकि, इस दौरान सोनाराम की सीएम गहलोत से मुलाकात नहीं हो पाई थी. लेकिन, उनके इस कदम ने पार्टी के भीतर विरोधियों को मौका दे दिया था. मानवेंद्र के मैदान में आने के बाद सोनाराम के लिए उम्मीद की किरणें जगी थी. लेकिन, विधानसभा चुनाव में मिली हार और पूर्व सीएन वसुंधरा राजे की ना के चलते आखिरकार उनका नाम कट गया. सूत्रों का कहना है कि विधानसभा के बाद सोनाराम को दोबारा टिकट देने के पक्ष में वसुंधरा राजे भी नहीं थी.