बालोतरा (बाड़मेर). शहर सहित ग्रामीण अंचल में रविवार को अक्षय तृतीया का पर्व श्रद्धापूर्वक और परंपरागत मनाया गया. इस दिन लोगों ने पूजा-पाठ आदि में ध्यान लगाया, लेकिन मंदिरों में देशव्यापी कोरोना संक्रमण लॉकडाउन के चलते हलचल नहीं रही. आखातीज पर आगामी सीजन में शगुन देखने की परंपरा है. इस कारण लोगों ने लॉकडाउन में भी परम्परा को कायम रखते हुए शगुन देखे.
ग्रामीण आने वाले समय में जमाना (अच्छी बारिश) होगा या नहीं यह परंपरा के अनुसार देखते हैं. बाल विवाह प्रतिबंध है, इधर बच्चों ने वर-वधु का स्वांग रचकर लोगों से घर जाकर आशीर्वाद लिया और बाल विवाह रोकथाम का संदेश दिया.
लोगों ने सामूहिक रूप से बैठक कर हाळी अमावस्या से आखातीज तक दिनों में अपने-अपने अलग बारिश के अनुमान लगाए. लोगों ने 5 कच्ची मिट्टी के कुल्हड़ में पानी भरकर एक कुल्हड़ को वर्ष का स्तंभ, दूसरा आषाढ़ मास, तीसरा श्रावण, चौथा भादवा और पांचवां आसोज महीने मानकर आगामी वर्ष में बारिश कब और कैसी होगी इस पर अनुमान लगाया गया.
पढ़ें- लॉकडाउन का असर: बाड़मेर शहर के अंदर नजर आई बच्चे को दूध पिलाती ऊंटनी
बता दें कि इन पांच महिनों में जो घड़ा पहले फूट जाता है, उस महीने में बारिश ज्यादा होती है. इसके सामने कई प्रकार के धान गेहूं, बाजरी आदि को रखा जाता है. इन सब की विधि विधान से पूजा अर्चना कर पानी के कुल्हड़ में ऊन के धागों को रखा जाता है.
इसके बाद ये कुल्हड़ एक-एक करके फूटने लगते है तो उस महीने में बारिश का अनुमान निकाला जाता है. मानसून में कौन से माह में कैसी बारिश होगी इसका संकेत निकाला जाता है. इस दिन अच्छे जमाने के शगुन देखे गए. इस दौरान गुलवाणी खींच, ग्वार फली, रोटी का सामूहिक भोज कर चायपान किया गया.