बाड़मेर . लोकसभा के सियासी जमीन पर उतरने के साथ ही भाजपा ने राजस्थान की 25 में से 16 सीटो पर प्रत्याशियों की घोषणा करते हुए चुनावी बिसात बिछा दी है. पार्टी ने पहली सूची में राज्य के 14 सीटों पर मौजूदा सांसदों पर फिर से भरोसा जताया है. लेकिन, इस सूची में बाड़मेर-जैसलमेर सीट पर पत्ता नहीं खोलते हुए पार्टी ने पैर पीछे खींच रखे हैं. माना जा रहा है कि इस सीट पर भाजपा ने कांग्रेस के भीतर जारी मानवेंद्र सिंह और मंत्री हरीश चौधरी के बीच की सियासी लड़ाई को देखते हुए चुप्पी साध रखी है.
भाजपा ने पहली सूची में 9 सीटों को छोड़कर सभी सीटों पर अपने पत्ते खोल दिए हैं. लेकिन, राज्य की हॉट सीटों में से एक बाड़मेर-जैसलमेर पर पार्टी की चुप्पी के चलते जहां सियासी पारा चढ़ा हुआ है. वहीं, पार्टी की इस चुप्पी को लेकर कई तरह के राजनीतिक कयास भी लगाए जाने लगे हैं. आपको बता दें कि सियासतदारों के बीच इस सीट का खासा महत्व है. इस सीट पर पहले चरण में मतदान होना है. बावजूद इसके भाजपा ने यहां के पत्ते नहीं खोले हैं. राजनीति के जानकारों का मानना है कि भाजपा इस हॉट सीट पर कांग्रेस के एक्शन को देखकर ही कोई रिएक्शन देने वाली नीति अपनाई है. बाड़मेर-जैसलमेर सीट को लेकर कांग्रेस के भीतर कशमकश जारी है. विधानसभा चुनाव में भाजपा का दामन छोड़कर कांग्रेस में शामिल होने वाले मानवेंद्र सिंह जहां इस सीट पर टिकट के लिए प्रबल दावेदार बने हुए हैं. वहीं, कांग्रेस की गहलोत सरकार में मंत्री हरीश चौधरी ने भी चुनावी ताल ठोकते हुए मानवेंद्र की मुश्किलों को बढ़ा दिया है. ऐसे में पार्टी के सामने असमंजस की स्थिति खड़ी हो गई है. मानवेंद्र और हरीश चौधरी के बीच बाड़मेर की सीट पर दावेदारी को लेकर चल रहे सियासी खेल के बीच कांग्रेस इसका हल निकालने में जुटी है. वहीं, जानकारों का यह भी मानना है कि भाजपा चाहती है कि कांग्रेस की तरफ से इस सीट पर प्रत्याशी घोषित होने के बाद उसे देखते हुए आगे कदम बढ़ाया जाए.
कयास लगाए जा रहे हैं कि यदि कांग्रेस इस सीट पर मानवेंद्र के बदले हरीश चौधरी को मैदान उतारती है तो भाजपा मानवेंद्र की घर वापसी को लेकर बड़ा कदम उठा सकती है. जिसके बाद उन्हें पार्टी प्रत्याशी के रूप में इस सीट से मैदान में उतारा जा सकता है. इस कयास को कांग्रेस के भीतर चल रही सियासी चर्चाओं से भी बल मिल रहा है. सूत्रों के मुताबिक कांग्रेस के भीतर चर्चा जारी है कि पार्टी हरीश चौधरी को मैदान में उतारती है तो मानवेंद्र को जालौर-सिरोही सीट से टिकट दिया जा सकता है. क्योंकि, इस सीट पर भी मानवेंद्र के नाम की चर्चा जारी है. जबकि, मानवेंद्र सहित उनका खेमा पहले ही बाड़मेर-जैसलमेर सीट से चुनाव लड़ने को लेकर बात कह चुका है. ऐसे में माना जा रहा है कि यदि कांग्रेस ने मानवेंद्र को बाड़मेर सीट से टिकट नहीं दिया तो भाजपा इस मौके का फायदा उठा सकती है. जानकारों की मानें तो इन्हीं संभावनाओं को देखते हुए ही भाजपा ने बाड़मेर सीट को लेकर चुप्पी साध रखी है. आपको बता दें कि कांग्रेस में शामिल होने के बाद मानवेंद्र को पार्टी ने बिना उनकी इच्छा के पूर्व सीएम वसुंधरा राजे के सामने झालावाड़ सीट से मैदान में उतार दिया था.
लेकिन, इस दौरान मानवेंद्र को यहां पर हार का सामना करना पड़ा था. इसके बाद से ही मानवेंद्र बाड़मेर सीट से लोकसभा चुनाव लड़ने को लेकर तैयारी कर रहे हैं. वे अपने संसदीय क्षेत्र में सक्रिय बने हुए हैं. हरीश चौधरी के मैदान में ताल ठोकने के बाद मानवेंद्र ने कहा था चौधरी के टिकट मांगने से उन्हें एतराज नही है. लेकिन, वे इस सीट पर चुनाव लड़ने के लिए तैयार हैं. मानवेंद्र के इस बयान के कई सियासी मायने निकाले जा रहे हैं. आपको बता दें कि बाड़मेर सीट पर जाट और राजपूत दोनों ही बड़े फैक्टर हैं. दोनों ही वर्ग इस सीट पर निर्णायक भूमिका निभाते हैं. कयास लगाया जा रहा है कि यदि कांग्रेस ने यहां से मानवेंद्र को मैदान में उतारा तो उसकी काट के लिए भाजपा किसी जाट नेता को आगे कर सकती है. जबकि, हरीश चौधरी के मैदान में उतरने पर भाजपा प्लान बी पर काम कर सकती है.