बाड़मेर. पश्चिमी राजस्थान में बाड़मेर विधानसभा सीट को कांग्रेस का गढ़ माना जाता है. पिछले 15 सालों से इस सीट पर कांग्रेस का दबदबा रहा है और इस बार भाजपा से बागी होकर निर्दलीय प्रत्याशी के तौर पर चुनावी मैदान में उतरीं डॉ. प्रियंका चौधरी ने कांग्रेस के इस किले को ढहाते हुए जीत हासिल की. इस तरह 30 साल बाद गंगाराम चौधरी का इतिहास उनकी पोती डॉ. प्रियंका चौधरी ने दोहराया और निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर जीत हासिल की.
13337 मतों से मेवाराम को हराया : 1993 के विधानसभा चुनाव में पूर्व विधायक गंगाराम चौधरी को भी पार्टी ने टिकट नहीं दिया था, जिसके चलते गंगाराम चौधरी ने निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर ताल ठोकते हुए चुनाव लड़ा. गंगाराम चौधरी का मुकाबला कांग्रेस के मजबूत सिपाही वृद्धि चंद जैन से था. इस चुनाव में गंगाराम चौधरी ने करीब 3000 मतों से कांग्रेस के वृद्धि चंद जैन को मात देकर जीत हासिल की. वहीं, 30 साल बाद गंगाराम चौधरी का इतिहास उनकी पोती डॉ. प्रियंका चौधरी ने दोहराया है. प्रियंका को भी पार्टी ने टिकट नहीं दी, जिसके बाद उन्होंने बागी होकर निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर चुनाव लड़ा. प्रियंका का मुकाबला कांग्रेस के मजबूत नेता और तीन बार के विधायक मेवाराम जैन से था. इस चुनाव में प्रियंका चौधरी ने 13337 मतों से मेवाराम जैन को करारी शिकस्त दी.
भाजपा प्रत्याशी की जमानत जब्त : बाड़मेर विधानसभा सीट टिकट बंटवारे से लेकर अब तक चर्चाओं में है. दरअसल, बाड़मेर विधानसभा सीट पर भारतीय जनता पार्टी की ओर से डॉ. प्रियंका चौधरी समेत कई उम्मीदवार टिकट की मांग कर रहे थे, जिसमें सबसे मजबूत डॉ. प्रियंका चौधरी ही मानी जा रहीं थीं. प्रियंका चौधरी ने बीजेपी से अपना नामांकन दाखिल किया लेकिन जब पार्टी ने उन्हें सिंबल नहीं दिया तो नामांकन के आखिरी दिन प्रियंका चौधरी ने भाजपा से बगावत कर निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर अपना नामांकन दाखिल किया. पार्टी से टिकट नहीं मिलने का दर्द साफ नजर आ रहा था. मीडिया से बातचीत करते हुए उनकी आंखों से आंसू निकल गए और उन्होंने झोली फैलाकर मायरा (वोट) मांगा. आखिरकार प्रियंका चौधरी इस सीट पर जीत हासिल करने में कामयाब रहीं. इस सीट पर भाजपा के प्रत्याशी दीपक कड़वासरा जमानत बचाने में भी सफल नहीं हुए. दीपक कड़वासरा को जमानत बचाने के लिए 35644 वोट लाने थे, लेकिन उन्हें महज 5355 वोट ही मिले.
दादा का इतिहास दोहराया : बाड़मेर की जनता का आभार व्यक्त करते हुए प्रियंका चौधरी ने कहा कि यह जीत बाड़मेर की जनता, माताओं, बहनों और विकास की जीत है. यह सीट निर्दलीय ने नहीं बल्कि बाड़मेर की जनता ने कांग्रेस से छीनी है. एक सवाल के जवाब में प्रियंका चौधरी ने कहा कि बाड़मेर की जनता ने इस बहन का मायरा वोटों से भर दिया, जो इतिहास के पन्नों में लिखा जाएगा. बहन का मान सम्मान कैसे रखा जाता है यह बाड़मेर की जनता ने पूरी दुनिया को दिखा दिया. प्रियंका चौधरी ने कहा कि 30 साल पहले उनके दादा स्वर्गीय गंगाराम चौधरी ने निर्दलीय चुनाव लड़ा था और जीता था. वही इतिहास फिर से दोराहया है. इस बार निर्दलीय चुनाव लड़ा और महंत जगरामपूरी महाराज और बाड़मेर की जनता का आशीर्वाद मिला. प्रियंका चौधरी ने कहा कि तीन बार से विधायक रहे मेवाराम जैन को हराना मुश्किल नहीं था, क्योंकि पहले दिन ही बाड़मेर की जनता ने तय कर लिया था और आज परिणाम सबके सामने है. प्रियंका चौधरी ने कहा कि बाड़मेर के विकास को लेकर कई कार्य करने हैं और समर्थन किसको देंगे यह बाड़मेर की जनता तय करेगी.