बाड़मेर. कबाड़ के बेहतर उपयोग के कई किस्से और कहानियां आपने पहले भी सुनी होंगी लेकिन आज हम बात कर रहे हैं बाड़मेर के एक ऐसे युवा की जिसने कबाड़ से कुदरत को संजोने का एक अनूठा प्रयास किया है. जिले के आनंद महेश्वरी का घर जो घर कम गार्डन (उपवन) ज्यादा लगता है. पर्यावरण के प्रति जागरूकता का संदेश दे रहे इस घर में वर्तमान में 800 से ज्यादा पौधे (800 plants in house by using waste material) लगे हुए हैं. यह सभी पौधे वेस्ट मटेरियल का उपयोग कर लगाए गए हैं. यही वजह है कि ये छोटी सी बगिया वाला घर इलाके में भी चर्चा का विषय बना हुआ है.
हैरान हो गए...जी हां, घरेलू उपयोग में आने वाले वेस्ट मैटीरियल से पौधों के लिए खाद का निर्माण भी किया जाता है. युवा आनंद महेश्वरी ने इसकी पहल की और 8 साल की मेहनत के बाद यह घर पूरे शहर के लिए चर्चा और प्रेरणा का विषय बना हुआ है. आनंद ने अपने पूरे घर को ही गार्डन बना दिया है. घर में ऐसी कोई जगह नहीं बची है जहां पौधे न लगे हों. आमतौर पर यह देखा जाता है कि घर में नमकीन, सर्फ, पापड़, दूध की थैली या खाली कार्टन, टूटे पाइप को फेंक दिया करते हैं लेकिन आनंद महेश्वरी इन चीजों को व्यर्थ नहीं मानते.
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आनंद को प्रकृति से ऐसा प्रेम है कि अनुपयोगी वस्तुओं में पूरे घर मे पौधे लगाकर पर्यावरण संरक्षण का संदेश दे रहे हैं. आनंद के घर पर 800 से अधिक विभिन्न किस्मों के पौधे लगे हैं. घर के मुख्य द्वार से सीढ़ियां और छत से लेकर कमरे तक हर तरफ हरियाली ही नजर आती है. आनंद महेश्वरी बताते हैं कि घर में वेस्ट कुछ भी नहीं है. पौधे लगाने के लिए वे मटकी, कोल्ड ड्रिंक की बोतल, थर्माकोल बॉक्स, प्लास्टिक के डिब्बे, नमकीन की थैली, पानी के केन, पॉली बैग पाइप, प्लास्टिक पाइप, टब आदि उपयोग करते है.
इतना ही नहीं, पौधों में किचन वेस्ट, सूखी पत्तियां, चाय की पत्ती, गाय का गोबर आदि का उपयोग करके खाद बनाई जाती है. मां मंजू महेश्वरी बताती हैं कि आनन्द को बचपन से ही पौधे लगाने का शौक था. पहले गमले खरीद कर लाता था लेकिन बाद में घर की अनुपयोगी वस्तुओं का उपयोग कर उनमें पौधे लगाने लगा. हम सब मिलकर इन पौधों की बच्चों की तरह देखरेख करते हैं.
पूरा परिवार करता है मदद
आनंद का पूरा परिवार प्रतिदिन घंटों इस उपवन की देखरेख करता है. घर की अनुपयोगी वस्तुओं को इकट्ठा करने के बाद वे उनमें पौधे लगाते हैं. आनंद की बेटी भी स्कूल में छुट्टी होने पर इन पौधों की देखभाल करती है. वह बताती है कि उसे इन पौधों की देखभाल करके अच्छा लगता है और कई पौधों के नाम भी वह अच्छे से जानती है. पौधों को सुबह-शाम पानी देना या खाद आदि संबंधी तमाम काम में परिजन आनंद का पूरा सहयोग करते हैं ताकि यह उपवन हरा भरा रहे.