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बाड़मेर: सर्वधर्म प्रार्थना स्थल हुआ बदहाली का शिकार, लोगों की भावनाएं हो रही है आहत

बाड़मेर सर्वधर्म प्रार्थना स्थल बदहाली का शिकार होता जा रहा है. जिससे लोगों की भावनाएं आहत हो रही है. वर्ष 2006 में सर्वधर्म प्रार्थना सभा स्थल बनाया गया था लेकिन जिम्मेदारों की अनदेखी की बदौलत सर्व धर्म सभा स्थल बदहाली का शिकार हो रहा है. साथ ही यहां पर चारों तरफ गंदगी के ढेर लगे हुए हैं. साथ ही यहां पर बने देवी देवताओं की मूर्तिया धूल मिट्टी की जद में है.

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सर्वधर्म प्रार्थना स्थल हुआ बदहाली का शिकार
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Published : Oct 1, 2020, 8:03 PM IST

बाड़मेर. जिले में राज्य की अस्पताल में बने सर्वधर्म प्रार्थना स्थल में नर्सिंग स्टूडेंट्स सुबह की प्रार्थना होती थी. इसके साथ ही अस्पताल में भर्ती मरीजों के परिजन रोगियों के जल्द स्वस्थ होने की कामना भी करते थे. जिसमें पिछले कुछ समय से जिम्मेदारों की अनदेखी के बदौलत यह सर्वधर्म प्रार्थना स्थल बदहाली का शिकार हो रहा है. इस सर्वधर्म प्रार्थना स्थल के परिसर में पूरी तरह से गंदगी का अपार ढेर लगा हुआ है. जिसके चारों तरफ पेड़-पौधे और झाड़ियों के साथ गंदगी के ढेर नजर आ रहे हैं. इस सर्वधर्म प्रार्थना स्थल को बनाने वाले भामाशाह परिवार के इंद्र प्रकाश पुरोहित ने बताया कि हमारे परिवार की ओर से वर्ष 2006 में राजकीय अस्पताल परिसर में तत्कालीन जिला कलेक्टर की प्रेरणा से बनाया गया था.

सर्वधर्म प्रार्थना स्थल हुआ बदहाली का शिकार

साथ ही उन्होंने कहा कि परिवार की तरफ से इस सर्वधर्म प्रार्थना स्थल को बनाने की जिम्मेदारी ली गई थी और इसके रखरखाव के लिए 3 संस्थाओं ने जिम्मेदारी उठाई थी. उन्होंने कहा कि हमारी तो भावनाएं आहत हो रही है क्योंकि हमारी दादी के नाम से इस सर्वधर्म प्रार्थना स्थल को बनाया गया था. सभी धर्मों के देवी-देवताओं की तस्वीरों की यह दुर्दशा देखकर सभी की भावनाएं आहत हो रही हैं.

उनका कहना है कि इस पूरे मामले को लेकर जब राजकीय चिकित्सालय के पीएमओ डॉ. बीएल मसूरिया से बातचीत की गई तो उन्होंने बताया कि अभी तो कोरोना की वजह से पूरा ध्यान उस पर है. साथ ही पीएमओ ने जल्द से जल्द सर्वधर्म प्रार्थना स्थल की साफ-सफाई करवाने का आश्वासन दिया. उन्होंने कहा कि जिन भामाशाह ने इसमें रखरखाव की व्यवस्था की जिम्मेदारी उठाई थी वह भी आगे आए.

पढ़ें: झालावाड़: एबीवीपी ने हाथरस मामले को लेकर किया प्रदर्शन, कड़े कानून बनाने की मांग की

इसके साथ उन्होंने कहा कि सर्वधर्म प्रार्थना स्थल सार्वजनिक है इसको सिर्फ अस्पताल प्रशासन का समझना ठीक नहीं है. इसमें भामाशाह और समाजसेवी संस्थाएं आगे आकर मदद कर सकती है. गौरतलब है कि वर्ष 2006 में तत्कालीन जिला कलेक्टर की प्रेरणा से भामाशाह की मदद से इस सर्वधर्म प्रार्थना स्थल को बनाया गया था और बड़ा कार्यक्रम आयोजित कर इसका उद्घाटन किया गया था. जिसके बाद इसमें सहयोग करने वाली संस्थाओं ने उद्घाटन के बाद कभी भी इसकी सुध नहीं ली. जिसकी वजह से यह सर्वधर्म प्रार्थना स्थल की यह दुर्दशा नजर आ रही है , इससे लोगों की भावनाएं आहत हो रही हैं.

बाड़मेर. जिले में राज्य की अस्पताल में बने सर्वधर्म प्रार्थना स्थल में नर्सिंग स्टूडेंट्स सुबह की प्रार्थना होती थी. इसके साथ ही अस्पताल में भर्ती मरीजों के परिजन रोगियों के जल्द स्वस्थ होने की कामना भी करते थे. जिसमें पिछले कुछ समय से जिम्मेदारों की अनदेखी के बदौलत यह सर्वधर्म प्रार्थना स्थल बदहाली का शिकार हो रहा है. इस सर्वधर्म प्रार्थना स्थल के परिसर में पूरी तरह से गंदगी का अपार ढेर लगा हुआ है. जिसके चारों तरफ पेड़-पौधे और झाड़ियों के साथ गंदगी के ढेर नजर आ रहे हैं. इस सर्वधर्म प्रार्थना स्थल को बनाने वाले भामाशाह परिवार के इंद्र प्रकाश पुरोहित ने बताया कि हमारे परिवार की ओर से वर्ष 2006 में राजकीय अस्पताल परिसर में तत्कालीन जिला कलेक्टर की प्रेरणा से बनाया गया था.

सर्वधर्म प्रार्थना स्थल हुआ बदहाली का शिकार

साथ ही उन्होंने कहा कि परिवार की तरफ से इस सर्वधर्म प्रार्थना स्थल को बनाने की जिम्मेदारी ली गई थी और इसके रखरखाव के लिए 3 संस्थाओं ने जिम्मेदारी उठाई थी. उन्होंने कहा कि हमारी तो भावनाएं आहत हो रही है क्योंकि हमारी दादी के नाम से इस सर्वधर्म प्रार्थना स्थल को बनाया गया था. सभी धर्मों के देवी-देवताओं की तस्वीरों की यह दुर्दशा देखकर सभी की भावनाएं आहत हो रही हैं.

उनका कहना है कि इस पूरे मामले को लेकर जब राजकीय चिकित्सालय के पीएमओ डॉ. बीएल मसूरिया से बातचीत की गई तो उन्होंने बताया कि अभी तो कोरोना की वजह से पूरा ध्यान उस पर है. साथ ही पीएमओ ने जल्द से जल्द सर्वधर्म प्रार्थना स्थल की साफ-सफाई करवाने का आश्वासन दिया. उन्होंने कहा कि जिन भामाशाह ने इसमें रखरखाव की व्यवस्था की जिम्मेदारी उठाई थी वह भी आगे आए.

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इसके साथ उन्होंने कहा कि सर्वधर्म प्रार्थना स्थल सार्वजनिक है इसको सिर्फ अस्पताल प्रशासन का समझना ठीक नहीं है. इसमें भामाशाह और समाजसेवी संस्थाएं आगे आकर मदद कर सकती है. गौरतलब है कि वर्ष 2006 में तत्कालीन जिला कलेक्टर की प्रेरणा से भामाशाह की मदद से इस सर्वधर्म प्रार्थना स्थल को बनाया गया था और बड़ा कार्यक्रम आयोजित कर इसका उद्घाटन किया गया था. जिसके बाद इसमें सहयोग करने वाली संस्थाओं ने उद्घाटन के बाद कभी भी इसकी सुध नहीं ली. जिसकी वजह से यह सर्वधर्म प्रार्थना स्थल की यह दुर्दशा नजर आ रही है , इससे लोगों की भावनाएं आहत हो रही हैं.

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