बाड़मेर. जिले के तारातरा गांव में बीते कुछ दिनों से पहाड़ी इलाके में पैंथर की मूवमेंट की वजह स्थानीय लोगों में काफी दहशत थे. इसी बीच पैंथर की मूवमेंट तारातरा गांव से करीब 15 किलोमीटर दूर लीलसर गांव के आबादी वाले इलाके में देखे जाने के बाद से लोगों में हड़कंप मच गया. इस पर त्वरित संज्ञान लेते हुए वन विभाग की रेस्क्यू टीम ने गुरुवार को कड़ी मशक्कत के बाद पैंथर को ट्रेंकुलाइज करके पिंजरे में कैद कर लिया. पैंथर के पकड़े जाने के बाद स्थानीय लोगों ने राहत की सांस ली.
जिले के तारातरा गांव में बीते 15 दिनों से पैंथर की दहशत के साये में ग्रामीण जी रहे थे. आए दिन पैंथर मवेशियों को अपना शिकार बना रहा था. ग्रामीणों की सूचना पर करीब सप्ताह भर से बाड़मेर वन विभाग और जोधपुर वन विभाग की रेस्क्यू टीम गांव में डेरा डालकर पैंथर की तलाश में जुटी हुई थी. इस बीच पैंथर की चहलकदमी तारातरा गांव से करीब 15 किलोमीटर दूर लीलसर गांव में दिखा. पैंथर का लागातार पीछा कर रही बाड़मेर एवं जोधपुर वन विभाग की रेस्क्यू टीम ने आखिरकार गुरुवार पैंथर को पकड़ लिया.
टीम ने कड़ी मशक्कत के बाद पैंथर को बेहोश करके पकड़ा है. जिसके बाद ग्रामीणों ने राहत की सांस ली. वहीं रेस्क्यू टीम पैंथर को पिंजरे में डालकर बाड़मेर वन विभाग कार्यालय पहुंची. जोधपुर वन विभाग के रेस्क्यू टीम की बंशीलाल सांखला ने बताया कि 7 जुलाई को सूचना मिली थी की तारातरा गाँव मे पैंथर की मूवमेंट देखी गई है. उसके बाद हम लोग यहां पहुंच गए और सर्च ऑपरेशन शुरू किया लेकिन कोई सफलता नहीं मिली. जगह-जगह पर पिंजरे भी लगाए थे परंतु गुरुवार सुबह एक पिंजरे के पास पैंथर के पैर के निशान मिले. उसके बाद उस पदचिन्हों के आधार पर तलाश करते हुए लीलसर गांव पहुंच गए.
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यहां के एक ग्रामीण ने बताया कि एक किसान के खेत मे पैंथर बैठा है. उसके बाद हम लोग मौके पर पहुंचे और देखा कि झाड़ियों में पैंथर छिपकर बैठा था. बिना समय गंवाए वन विभाग की रेस्क्यू टीम ने पैंथर को ट्रेंकुलाइज गन से बेहोश करके पकड़ लिया. उन्होंने बताया कि यह मेल पैंथर है जिसकी उम्र 7-8 साल के बीच है. डीएफओ के आदेशानुसार इसको अरावली वन क्षेत्र में सुरक्षित छोड़ देंगे. ग्रामीण प्रकाश कुमार देवासी ने बताया कि यह पैंथर पिछले 15 दिनों से तारातरा गांव की पहाड़ियों में घूम रहा था. वन विभाग की रेस्क्यू टीम कई दिनों से इसको पकड़ने के प्रयास में जुटी हुई थी परंतु गुरुवार सुबह को उनका प्रयास सफल हुआ. पैंथर ने अब तक कम से कम 50-60 भेड़- बकरियों को अपना शिकार बना चुका है. इतने दिनों से डर के माहौल में ग्रामीण जी रहे थे, लेकिन अब पैंथर के पकड़े जाने के बाद से गांव में खुशी छाई है. इसका अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि ग्रामीणों की भारी भीड़ पैंथर को पिंजरे के करीब से देखने के लिए मौके पर पहुंची.